नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) में भर्तियों में सीमावर्ती इलाकों के निवासियों के लिए उपलब्ध फायदे हासिल करने के लिए जाली अधिवास प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल के आरोपों पर शनिवार को पश्चिम बंगाल के कोलकाता और 24 उत्तर परगना जिले में आठ स्थानों पर छापे मारे.
सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर पिछले साल अगस्त में इस मामले की जांच संभाली थी. ऐसे आरोप हैं कि सशस्त्र बलों और सीएपीएफ में फर्जी अधिवास प्रमाणपत्रों के जरिए कई अभ्यर्थियों की अवैध भर्ती की गयी. इन प्रमाणपत्रों में उन्हें सीमावर्ती इलाकों का दिखाया गया और इस तरह उन्हें कम कट-ऑफ अंकों पर भी उत्तीर्ण कर दिया गया. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि कुछ पाकिस्तानी नागरिकों को भी इससे फायदा मिला.
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को गिरोह के सदस्यों के परिसरों पर तलाशी ली गयी जो जाली अधिवास प्रमाणपत्र बनाने में कथित तौर शामिल हैं. न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने सीबीआई की प्रारंभिक जांच के नतीजों पर गौर करने के बाद कहा था कि सशस्त्र बलों में भर्ती में कोई अनियमितता नहीं पायी गयी लेकिन केंद्रीय अर्द्धसैन्य बलों में चार घटनाएं पायी गयी हैं.
उन्होंने कहा था कि सीमावर्ती राज्य होने के नाते पश्चिम बंगाल केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में रोजगार के लिए परीक्षाओं में कम कट-ऑफ अंक की अनुमति देता है. न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल की दलीलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इसने अन्य राज्यों, विशेष रूप से देश के उत्तरी भाग के लोगों को यह दिखाने के लिए जाली दस्तावेज बनाने के लिए प्रेरित किया है कि वे पश्चिम बंगाल राज्य में रहते हैं. उन्होंने कहा था कि निवास प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र जाली हैं. यह अधिक गहन जांच का विषय होगा कि क्या विदेशी नागरिकों ने भी भारतीय बलों में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए इसी पद्धति का सहारा लिया है.
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