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UGC-NET पेपर के संदिग्ध स्क्रीनशॉट शेयर करने वाले के खिलाफ CBI दाखिल करेगी आरोप पत्र - screenshot of UGC NET paper

Screenshot Of UGC NET Paper: यूजीसी-नेट पेपर के 'छेड़छाड़' वाले स्क्रीनशॉट को प्रसारित करने वाले युवक के खिलाफ सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दाखिल किए जाने की संभावना है. अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें इस मामले में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं मिली है.

Screenshot Of UGC NET Paper
प्रतीकात्मक तस्वीर. (ANI)
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By PTI

Published : Jul 11, 2024, 12:04 PM IST

नई दिल्ली: सीबीआई की ओर से एक युवक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने की संभावना है, जिसने कथित तौर पर टेलीग्राम पर यूजीसी-नेट पेपर का 'छेड़छाड़' किया हुआ स्क्रीनशॉट प्रसारित किया था. अधिकारियों ने कहा कि इसी स्क्रीनशॉट के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय से संभावित 'उल्लंघन' के बारे में अलर्ट मिलने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस प्रकरण में कोई बड़े पैमाने पर साजिश नहीं मिली है. वह आरोप पत्र को धोखाधड़ी या धोखाधड़ी के प्रयास के अपराधों तक सीमित रखेगी. अधिकारियों ने कहा कि कथित यूजीसी-नेट पेपर लीक में केंद्रीय एजेंसी की जांच में पाया गया था कि 18 जून की परीक्षा के लिए 'लीक' हुए प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट को एक स्कूली छात्र द्वारा 'छेड़छाड़' किया गया था.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अनौपचारिक रूप से सरकार को अपने निष्कर्षों से अवगत करा दिया है और युवक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने की संभावना है. इस परीक्षा के लिए 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था, जो जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करती है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से अलर्ट मिलने के बाद 19 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द कर दी थी.

शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द होने के बाद कहा था कि यूजीसी को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से परीक्षा के बारे में कुछ इनपुट मिले थे. इन इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि उक्त परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है.

जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने पाया कि पेपर का कथित स्क्रीनशॉट स्कूल के छात्र ने एक ऐप का उपयोग करके बनाया था. उन्होंने कहा कि उसने स्क्रीनशॉट की तारीख 17 जून कर दी ताकि यह आभास देकर कुछ पैसे कमाए कि उसके पास प्रश्नपत्र तक पहुंच है.

उन्होंने बताया कि युवक ने यह आभास देने की कोशिश की कि वह बाद में होने वाले विषय-विशिष्ट पेपर की व्यवस्था कर सकता है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने फोरेंसिक विशेषज्ञों से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि स्क्रीनशॉट के साथ छेड़छाड़ की गई है.

सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को I4C से मिली जानकारी के आधार पर परीक्षा रद्द कर दी गई थी कि पेपर डार्कनेट पर उपलब्ध था और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कथित तौर पर 5-6 लाख रुपये में बेचा जा रहा था. यूजीसी-नेट अब 21 अगस्त से 4 सितंबर तक नए सिरे से आयोजित किया जाएगा.

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उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस प्रकरण में कोई बड़े पैमाने पर साजिश नहीं मिली है. वह आरोप पत्र को धोखाधड़ी या धोखाधड़ी के प्रयास के अपराधों तक सीमित रखेगी. अधिकारियों ने कहा कि कथित यूजीसी-नेट पेपर लीक में केंद्रीय एजेंसी की जांच में पाया गया था कि 18 जून की परीक्षा के लिए 'लीक' हुए प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट को एक स्कूली छात्र द्वारा 'छेड़छाड़' किया गया था.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अनौपचारिक रूप से सरकार को अपने निष्कर्षों से अवगत करा दिया है और युवक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने की संभावना है. इस परीक्षा के लिए 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था, जो जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करती है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से अलर्ट मिलने के बाद 19 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द कर दी थी.

शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द होने के बाद कहा था कि यूजीसी को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से परीक्षा के बारे में कुछ इनपुट मिले थे. इन इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि उक्त परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है.

जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने पाया कि पेपर का कथित स्क्रीनशॉट स्कूल के छात्र ने एक ऐप का उपयोग करके बनाया था. उन्होंने कहा कि उसने स्क्रीनशॉट की तारीख 17 जून कर दी ताकि यह आभास देकर कुछ पैसे कमाए कि उसके पास प्रश्नपत्र तक पहुंच है.

उन्होंने बताया कि युवक ने यह आभास देने की कोशिश की कि वह बाद में होने वाले विषय-विशिष्ट पेपर की व्यवस्था कर सकता है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने फोरेंसिक विशेषज्ञों से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि स्क्रीनशॉट के साथ छेड़छाड़ की गई है.

सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को I4C से मिली जानकारी के आधार पर परीक्षा रद्द कर दी गई थी कि पेपर डार्कनेट पर उपलब्ध था और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कथित तौर पर 5-6 लाख रुपये में बेचा जा रहा था. यूजीसी-नेट अब 21 अगस्त से 4 सितंबर तक नए सिरे से आयोजित किया जाएगा.

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