नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दो-तीन उद्योगपतियों को लेकर कथित तौर पर भ्रामक और गलत बयान देने के आधार पर विपक्षी नेताओं राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. बुधवार को सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि मतदाताओं की बुद्धिमता को कमतर कर नहीं आंकें.
हाईकोर्ट ने कहा कि देश के मतदाता जानते हैं कि कौन राजनीतिक नेता उनका नेतृत्व कर रहा है और कौन गुमराह कर रहा है. इस मामले में याचिकाकर्ता पीड़ित नहीं है. अगर कोई उद्योगपति पीड़ित है तो वो कोर्ट आ सकता है. वर्तमान याचिकाकर्ता की याचिका पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता. याचिका हिन्दू सेना के नेता सुरजीत सिंह यादव ने दायर किया था.
याचिका में कहा गया था कि ये नेता अपने एजेंडे के अनुसार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर केंद्र सरकार की छवि के बारे में गलत धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लिए गए ऋणों को बट्टे खाते में डालने के वास्तविक अर्थ को जानबूझकर दूसरे अर्थों में पेश कर भ्रम पैदा किया गया है. इसके परिणाम स्वरूप केंद्र सरकार की छवि खराब हुई है.
आगे कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक बट्टे खाते में डालना माफी के समान नहीं है. जबकि, नेताओं ने इसको ऋण माफी के रूप में पेश किया. याचिका में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के अलावा कुछ न्यूज चैनलों के ट्विटर हैंडल और यूट्यूब पर से इन उद्योगपतियों के खिलाफ चलाये जा रहे दुष्प्रचार को हटाने की मांग की गई थी.
ट्रू कॉलर के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिजः वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रूकॉलर के खिलाफ यूजर्स की निजता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
दरअसल, 12 फरवरी को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. 12 फरवरी को कोर्ट ने कहा था कि इसके पहले याचिकाकर्ता ने ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते समय हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी थी.
कोर्ट ने कहा था कि ऐसा पहली बार नहीं है कि फोन और ई-मेल एड्रेस की जानकारी सार्वजनिक हो रही है. पहले भी टेलीफोन डायरेक्ट्री में लोगों के फोन नंबर छपते थे. ये एक सुविधा है. याचिका अजय शुक्ला ने दायर किया था.