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'भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान...', कर्नाटक हाईकोर्ट के जज के खिलाफ कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा - Karnataka High Court

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

Supreme Court: कर्नाटक हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद ने हाल ही में बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहा और एक महिला वकील को लेकर महिला विरोधी टिप्पणी की. इस पर न्याधीश ने माफी मांग ली है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी. 21 सितंबर को खुली अदालत में उनके द्वारा मांगी गई माफी पर गौर करने के बाद यह फैसला सुनाया गया. मकान मालिक-किराएदार विवाद पर हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद ने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहा और एक महिला वकील को लेकर महिला विरोधी टिप्पणी की.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच जिसमें जस्टिस एस खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और एच रॉय शामिल थे, ने कहा कि जज ने माफी मांगी है और कहा, "खुली अदालत की कार्यवाही में हाई कोर्ट के जज द्वारा मांगी गई माफी को ध्यान में रखते हुए, हम न्याय और संस्था की गरिमा के हित में इस कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाना चाहेंगे."

जानबूझकर जज को नोटिस जारी करने से परहेज किया- सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया की व्यापकता और पहुंच में व्यापक रिपोर्टिंग शामिल है. अधिकांश उच्च न्यायालयों ने लाइवस्ट्रीमिंग या वीडियोकांफ्रेंसिंग को अपनाया है. कोविड 19 महामारी के दौरान न्याय तक पहुंच प्रदान करने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियोकांफ्रेंसिंग की आवश्यकता उभरी है.

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अदालती कार्यवाही के दौरान कैजुअल ओब्जर्वेशन व्यक्तिगत पूर्वाग्रह को दर्शा सकता है और अदालतों को ऐसी टिप्पणियां न करने के लिए सावधान रहना चाहिए, जिन्हें हमारे समाज के किसी भी वर्ग के लिए स्त्री-द्वेषी माना जा सकता है. सीजेआई ने कहा, "हम भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकते. यह देश की क्षेत्रीय अखंडता के मूल रूप से विपरीत है."

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विवादों से अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग रोकने की मांग नहीं उठनी चाहिए. सोशल मीडिया को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और सूरज की रोशनी का जवाब अधिक सूर्य का प्रकाश है, जो हुआ उसे दबाना नहीं चाहिए क्योंकि यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है और इसका उत्तर दरवाजे बंद करना और सब कुछ बंद करना नहीं है.

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि मैंने भी क्लिपिंग देखी है, मैं सोच रहा था कि क्या इनहाउस कार्यवाही होगी. उन्होंने कहा कि वह बेंगलुरु में थे और बार के सदस्यों के साथ न केवल जज के बारे में बल्कि अन्य चीजों के बारे में भी बात की. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कभी-कभी हम भी बातें कह देते हैं, हम सभी अब जनता की निगाह में हैं.

कर्नाटक हाई कोर्ट के जज ने की थी विवादास्पद टिप्पणी
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की एक विवादास्पद टिप्पणी पर ध्यान दिया और राज्य के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी. 20 सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अदालती कार्यवाही के दौरान एक महिला वकील के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की गई कथित विवादास्पद और आपत्तिजनक टिप्पणियों का स्वत: संज्ञान लिया.

वायरल वीडियो पर ध्यान देते हुए, जिसमें न्यायमूर्ति वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद को बेंगलुरु में मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान कहते हुए सुना जा सकता है, CJI की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने न्यायिक मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया.

यह भी पढ़ें- 'अदालत को अपने एजेंडे में न घसीटें', सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR को लगाई फटकार, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी. 21 सितंबर को खुली अदालत में उनके द्वारा मांगी गई माफी पर गौर करने के बाद यह फैसला सुनाया गया. मकान मालिक-किराएदार विवाद पर हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद ने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहा और एक महिला वकील को लेकर महिला विरोधी टिप्पणी की.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच जिसमें जस्टिस एस खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और एच रॉय शामिल थे, ने कहा कि जज ने माफी मांगी है और कहा, "खुली अदालत की कार्यवाही में हाई कोर्ट के जज द्वारा मांगी गई माफी को ध्यान में रखते हुए, हम न्याय और संस्था की गरिमा के हित में इस कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाना चाहेंगे."

जानबूझकर जज को नोटिस जारी करने से परहेज किया- सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया की व्यापकता और पहुंच में व्यापक रिपोर्टिंग शामिल है. अधिकांश उच्च न्यायालयों ने लाइवस्ट्रीमिंग या वीडियोकांफ्रेंसिंग को अपनाया है. कोविड 19 महामारी के दौरान न्याय तक पहुंच प्रदान करने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियोकांफ्रेंसिंग की आवश्यकता उभरी है.

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अदालती कार्यवाही के दौरान कैजुअल ओब्जर्वेशन व्यक्तिगत पूर्वाग्रह को दर्शा सकता है और अदालतों को ऐसी टिप्पणियां न करने के लिए सावधान रहना चाहिए, जिन्हें हमारे समाज के किसी भी वर्ग के लिए स्त्री-द्वेषी माना जा सकता है. सीजेआई ने कहा, "हम भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकते. यह देश की क्षेत्रीय अखंडता के मूल रूप से विपरीत है."

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विवादों से अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग रोकने की मांग नहीं उठनी चाहिए. सोशल मीडिया को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और सूरज की रोशनी का जवाब अधिक सूर्य का प्रकाश है, जो हुआ उसे दबाना नहीं चाहिए क्योंकि यह सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है और इसका उत्तर दरवाजे बंद करना और सब कुछ बंद करना नहीं है.

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि मैंने भी क्लिपिंग देखी है, मैं सोच रहा था कि क्या इनहाउस कार्यवाही होगी. उन्होंने कहा कि वह बेंगलुरु में थे और बार के सदस्यों के साथ न केवल जज के बारे में बल्कि अन्य चीजों के बारे में भी बात की. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कभी-कभी हम भी बातें कह देते हैं, हम सभी अब जनता की निगाह में हैं.

कर्नाटक हाई कोर्ट के जज ने की थी विवादास्पद टिप्पणी
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की एक विवादास्पद टिप्पणी पर ध्यान दिया और राज्य के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी. 20 सितंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अदालती कार्यवाही के दौरान एक महिला वकील के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की गई कथित विवादास्पद और आपत्तिजनक टिप्पणियों का स्वत: संज्ञान लिया.

वायरल वीडियो पर ध्यान देते हुए, जिसमें न्यायमूर्ति वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद को बेंगलुरु में मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान कहते हुए सुना जा सकता है, CJI की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने न्यायिक मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया.

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