प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नवरात्र के त्यौहार की वजह से किसी दूसरे समुदाय को उसका धार्मिक आयोजन करने से नहीं रोका जा सकता है. कोर्ट ने बरेली के जिला प्रशासन के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें उन्होंने 'सकलैन मियां' के अनुयायियों को 8 और 9 अक्टूबर को उर्स मनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने यह आदेश आस्तान-ए-आलिया सकलैनिया शराफतिया और अन्य की याचिका पर दिया.
बरेली में हजरत शाह शराफत अली के पोते हजरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां की मृत्यु 20 अक्टूबर 2023 को हुई थी. उन्हें एक सूफी विद्वान माना जाता है. उनके बरेली के आसपास के क्षेत्र में काफी अनुयायी हैं. सूफियों के बीच प्रचलित धार्मिक प्रथा के अनुसार उनका पहला उर्स 08 और 09 अक्टूबर 2024 को मनाया जाना है. मगर सिटी मजिस्ट्रेट बरेली ने उर्स मनाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया. तर्क दिया गया था कि यदि उर्स मनाने की अनुमति दी जाती है तो बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे और एक नई प्रथा शुरू हो जाएगी.
03 अक्टूबर 2024 से नवरात्र उत्सव शुरू हो रहा है. शहर के विभिन्न हिस्सों में कई दुर्गा पूजा पंडाल स्थापित किए जाएंगे. विभिन्न स्थानों पर रामलीला का मंचन भी किया जाएगा. यदि उर्स मनाने की अनुमति दी गई तो "चादरों का जुलूस" तेज संगीत के साथ निकाला जाएगा. पिछले महीने आला हजरत दरगाह और शराफत मियां दरगाह के अनुयायियों के बीच जुलूस के लिए अपनाए जाने वाले मार्ग को लेकर टकराव हुआ था. ऐसे में प्रशासन की ओर से ऐसी कोई भी अनुमति न देने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे नई धार्मिक प्रथाओं की स्थापना हो सकती है.
कोर्ट ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट, बरेली ने आवेदन को एक नई धार्मिक प्रथा स्थापित करने की मांग के रूप में पढ़ने में गलती की है. इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि नवरात्र के दौरान उर्स का आयोजन हो रहा है, सिर्फ इस आधार पर सूफियों को धार्मिक अभ्यास का पालन करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि याची 'चादरों का जुलूस' सार्वजनिक सड़कों, रास्तों आदि पर तेज संगीत बजाते हुए नहीं निकलेंगे. इस आशय से वे सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना लिखित वचन दाखिल करने के लिए तैयार हैं.
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उचित विचार किए बिना आक्षेपित आदेश जल्दबाजी में पारित किया गया था, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया है. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए सिटी मजिस्ट्रेट को एक नया तर्कसंगत आदेश पारित करने का आदेश दिया.
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