पटना: लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए ने 40 सीटों में से 30 सीटों पर कब्जा जमाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए का शानदार प्रदर्शन रहा है. जदयू के नेता लोकसभा के रिजल्ट से गदगद हैं. नीतीश कुमार का महत्व भी बढ़ गया है क्योंकि केंद्र में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, अब सरकार बनाने में नीतीश कुमार की जरूरत है.
नीतीश कुमार बने बीजेपी की मजबूरी!: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडेय का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद स्थिति अब बदल चुकी है. नीतीश कुमार अब एनडीए में मजबूती से उभरे हैं. नीतीश कुमार जो डिमांड करेंगे भाजपा को मानना मजबूरी है.
"नीतीश कुमार लोकसभा में भी चाहते थे कि विधानसभा का चुनाव हो जाए जिससे 5 साल उनका सुरक्षित हो जाए. अब बदली स्थिति में फिर चाहेंगे कि विधानसभा का चुनाव समय से पहले हो जाए, जिससे उनका 5 साल सुरक्षित हो. इसके साथ जदयू का जो 2020 में खराब प्रदर्शन रहा था वह भी बेहतर हो जाए."- सुनील पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ
बीजेपी के बदले सुर: भाजपा नेताओं के भी अब सुर बदल गए हैं. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि "नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के नेता हैं और नेता जो चाहेंगे वही होगा. समय से पहले चुनाव चाहेंगे तो समय से पहले होगा." वहीं बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी ने भी कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2025 का चुनाव लड़ेंगे.
"2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हमारे एनडीए के नेता हैं इसमें किसी को कहां शक है. कुछ लोग पिछले चोर दरवाजे से घुसना चाहते हैं. आरजेडी के लोगों को भ्रम है और भ्रम का वातावरण बना रहे हैं."-विजय सिन्हा, उपमुख्यमंत्री, बिहार
"नीतीश जी बिहार के नेता हैं. एनडीए के बड़े पार्टनर के तौर पर सम्मान है और रहेगा."- सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री, बिहार
विजय चौधरी के बयान से मची खलबली: जदयू के वरिष्ठ नेता और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एक दिन पहले ही बयान दिया है कि "नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही 2025 विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. नीतीश कुमार एनडीए के नेता थे और आगे भी NDA के नेता रहेंगे.विजय चौधरी के इस बयान पर भी कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं और इसी के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है."
2020 में जदयू बनी तीसरे नंबर की पार्टी : विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा केवल 43 सीटों पर जीत मिली थी.आरजेडी, बीजेपी के बाद तीसरे नंबर पर जेडीयू पहुंच गई थी. नीतीश कुमार का एनडीए में कद भी घट गया. मुख्यमंत्री नीतीश जरूर बने, लेकिन बीजेपी का दबाव साफ देखने को मिला और इसी कारण नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ महागठबंधन में जाने का फैसला भी लिया था.
2024 में किंगमेकर की भूमिका में नीतीश: हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में फिर से नीतीश कुमार की वापसी हो गई और लोकसभा चुनाव में जदयू ने 12 सीट जीता है. एनडीए को नीतीश कुमार ने 30 सीट जितवाया है. 2019 से 9 सीट कम जरूर है लेकिन उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हरियाणा जैसे राज्यों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन को देखे तो बिहार में कहीं बेहतर प्रदर्शन हुऐ है.
क्या होगा नीतीश का अगला दांव: इसी कारण नीतीश कुमार की पार्टी गदगद है. नीतीश कुमार का महत्व और कद दोनों बढ़ा है.केंद्र में सरकार बनाने में भी अब नीतीश कुमार की जरूरत बीजेपी को है. ऐसे में देखना है कि नीतीश कुमार विधानसभा का चुनाव समय से पहले कराने की मांग करते हैं या नहीं और मांग करते हैं तो भाजपा नेतृत्व क्या फैसला लेता है
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