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कलकत्ता हाईकोर्ट में एक आदेश पर मतभेद ने गंभीर रूप लिया - दो जजों के बीच मतभेद बंगाल

प.बंगाल में मेडिकल कॉलेजों और हॉस्पिटलों के एडमिशन में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए. क्या थी इसकी वजह, पढ़ें पूरी स्टोरी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट
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By IANS

Published : Jan 25, 2024, 5:30 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ और एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित एक विशेष आदेश पर मतभेद ने गुरुवार को गंभीर रूप ले लिया. गुरुवार को मामले ने इतना गंभीर मोड़ ले लिया कि एकल न्यायाधीश पीठ के न्यायाधीश ने खंडपीठ के दो न्यायाधीशों में से एक पर 'राजनीतिक-पक्षपातपूर्ण' आदेश पारित करने का आरोप लगा दिया.

मतभेद की जड़ न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा बुधवार को पारित एक आदेश है, जिसमें राज्य में मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में प्रवेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार ने उसी दिन मामले में न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ से संपर्क किया, और खंडपीठ ने तुरंत एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश पर मौखिक रूप से रोक लगा दी.

हालांकि, बुधवार को खंडपीठ की ओर से कोई लिखित आदेश नहीं मिलने पर न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच आगे बढ़ाने को कहा. हालांकि, गुरुवार को जब मामला फिर से न्यायमूर्ति सेन और न्यायमूर्ति कुमार की खंडपीठ के पास भेजा गया, तो बाद में एफआईआर को खारिज कर दिया गया. यहीं से मतभेद गंभीर रूप लेने लगे.

जब खंडपीठ द्वारा एफआईआर खारिज करने की जानकारी न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ तक पहुंची, तो उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने न्यायमूर्ति सेन पर राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण आदेश पारित करने का आरोप लगाते हुए उस घटना का भी जिक्र किया, जब न्यायमूर्ति सेन ने कथित तौर पर न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को अपने कक्ष में बुलाया और पश्चिम बंगाल में स्कूल नौकरी मामले से संबंधित मामलों पर कुछ सुझाव दिए, जिनकी सुनवाई उनकी पीठ में चल रही है.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति सेन ने कथित तौर पर न्यायमूर्ति सिन्हा को उनकी अदालत में उस समय की सुनवाई की लाइव-स्ट्रीमिंग रोकने का भी निर्देश दिया, जो पिछले महीने क्रिसमस की छुट्टियों से पहले हुई थी. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भारत के चीफ जस्टिस को न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने यह भी दावा किया कि देश की शीर्ष अदालत ने लगभग दो साल पहले न्यायमूर्ति सेन को कलकत्ता हाईकोर्ट से स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक उस निर्देश को लागू नहीं किया गया है.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, ''मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को देखने का अनुरोध करूंगा। मैं उनसे यह भी जांच करने का अनुरोध करूंगा कि स्थानांतरण रोकने के पीछे किसकी भूमिका थी.''

ये भी पढ़ें : इंडिया गठबंधन को झटका, ममता बोलीं- प. बंगाल में टीएमसी अकेले लड़ेगी लोकसभा चुनाव

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ और एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित एक विशेष आदेश पर मतभेद ने गुरुवार को गंभीर रूप ले लिया. गुरुवार को मामले ने इतना गंभीर मोड़ ले लिया कि एकल न्यायाधीश पीठ के न्यायाधीश ने खंडपीठ के दो न्यायाधीशों में से एक पर 'राजनीतिक-पक्षपातपूर्ण' आदेश पारित करने का आरोप लगा दिया.

मतभेद की जड़ न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा बुधवार को पारित एक आदेश है, जिसमें राज्य में मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में प्रवेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार ने उसी दिन मामले में न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ से संपर्क किया, और खंडपीठ ने तुरंत एकल न्यायाधीश पीठ के आदेश पर मौखिक रूप से रोक लगा दी.

हालांकि, बुधवार को खंडपीठ की ओर से कोई लिखित आदेश नहीं मिलने पर न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच आगे बढ़ाने को कहा. हालांकि, गुरुवार को जब मामला फिर से न्यायमूर्ति सेन और न्यायमूर्ति कुमार की खंडपीठ के पास भेजा गया, तो बाद में एफआईआर को खारिज कर दिया गया. यहीं से मतभेद गंभीर रूप लेने लगे.

जब खंडपीठ द्वारा एफआईआर खारिज करने की जानकारी न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ तक पहुंची, तो उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने न्यायमूर्ति सेन पर राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण आदेश पारित करने का आरोप लगाते हुए उस घटना का भी जिक्र किया, जब न्यायमूर्ति सेन ने कथित तौर पर न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा को अपने कक्ष में बुलाया और पश्चिम बंगाल में स्कूल नौकरी मामले से संबंधित मामलों पर कुछ सुझाव दिए, जिनकी सुनवाई उनकी पीठ में चल रही है.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति सेन ने कथित तौर पर न्यायमूर्ति सिन्हा को उनकी अदालत में उस समय की सुनवाई की लाइव-स्ट्रीमिंग रोकने का भी निर्देश दिया, जो पिछले महीने क्रिसमस की छुट्टियों से पहले हुई थी. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भारत के चीफ जस्टिस को न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने यह भी दावा किया कि देश की शीर्ष अदालत ने लगभग दो साल पहले न्यायमूर्ति सेन को कलकत्ता हाईकोर्ट से स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक उस निर्देश को लागू नहीं किया गया है.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, ''मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को देखने का अनुरोध करूंगा। मैं उनसे यह भी जांच करने का अनुरोध करूंगा कि स्थानांतरण रोकने के पीछे किसकी भूमिका थी.''

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