कोलकाता: कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में रामनवमी के दिन हुई हिंसा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त निर्देश देते हुए कहा, कोर्ट उन निर्वाचन क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव की अनुमति नहीं देगा, जहां रामनवमी के दिन सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. कोर्ट ने चुनाव आयोग से बरहामपुर निर्वाचन क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को देखते हुए वहां चुनाव स्थगित करने को कहा है. साथ ही कोर्ट इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी. बता दें कि, मुर्शिदाबाद मामले पर एनआईए जांच की मांग करते हुए कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
'आठ घंटे तक शांति से अपना त्योहार नहीं मना सकते'
कलकत्ता कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, अगर लोग 8 घंटे शांति से किसी भी पर्व का आनंद और जश्न नहीं मना सकते, तो कोर्ट चुनाव आयोग को वैसे निर्वाचन क्षेत्रों में जहां पर सांप्रादायिक हिंसा हुई, में लोकसभा चुनाव नहीं कराने की सिफारिश करेगा. कलकत्ता हाईकोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में आगे कहा कि, चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी दो समूह के लोग आपस में लड़ रहे हैं, तो ऐसे में एक-दूसरे को अपने प्रतिनिधि को वोट देने का कोई हक नहीं है.
पश्चिम बंगाल में 7 फेज में चुनाव
मंगलवार को चीफ जस्टिस की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मुख्य न्यायाधीश के सामने रामनवमी दंगों को लेकर चिंता जताई. न केवल बहरामपुर, बल्कि रामनवमी के दिन राज्य में हुई सभी अशांति की घटनाओं की जानकारी वादी की ओर से कोर्ट को दी गई. पश्चिम बंगाल में सभी सातों फेज में लोकसभा चुनाव होने हैं. इलेक्शन कमीशन ने राज्य में चुनाव को लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की है.
बता दें कि, पश्चिम बंगाल में रामनवमी के अवसर पर दो जगह हिंसा हुई थी. मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा शहर में मस्जिद के पास से शोभायात्रा निकालने के बाद दो समुदायों के बीच संघर्ष की खबरें प्राप्त हुई थी. इस बीच बम फटने की भी सूचना मिली थी. वहीं, मेदिनीपुर के इगरा में भी दो समुदाय के बीच झड़प हुई और आगजनी की गई थी. इस हिंसा में कई लोगों के घायल होने की खबरें मिली थी.
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