लखनऊ : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर दिन-रात मेहनत कर रही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री भी लगातार अयोध्या का दौरा कर रहे हैं कि व्यवस्था में कहीं कोई कमी न रह जाए. प्रदेश की सरकार और मंत्रियों में भी इस आयोजन को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. ऐसे में हमने बात की उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से. देखिए पूरा साक्षात्कार...
प्रश्न : लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार 22 जनवरी को भगवान राम अपने मंदिर में पहुंच जाएंगे. इस पर क्या कहेंगे आप?
उत्तर : देखिए, यह देशवासियों की अभिलाषा थी, जो अब पूरी होने जा रही है. पिछले चार सौ वर्षों में न जाने कितने युद्ध हुए इसे लेकर. तमाम आंदोलन हुए, तब कहीं रामलला अपने स्थान पर विराजमान होने जा रहे हैं. हमें याद है कि जब हम आंदोलनरत थे, तो एक नारा बोला करते थे कि 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे.' यह कोई नारे नहीं थे, यह संकल्प लाखों कार्यकर्ताओं का. आज करोड़ों हिंदू देश और दुनियाभर में खुशियां मना रहे हैं.
प्रश्न : अयोध्या में विकास के कामों की बात करें, तो आपकी सरकार कहती भी है और मैंने खुद भी देखा है, काफी काम हुए हैं. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि पिछली सरकारों ने अयोध्या में विकास के विषय में सोचा तक नहीं, हालांकि इससे पहले भी केंद्र और उत्तर प्रदेश में आपकी भी सरकार रही है. इसका मतलब आपकी पहले की सरकारों ने भी अयोध्या की अपेक्षा हुई?
उत्तर : देखिए, अयोध्या की उपेक्षा उस समय इसलिए नहीं हुई, क्योंकि उसका बेसिक प्वाइंट जो था राम जन्मभूमि, उसे हासिल कर लेते, तो उसी के अनुसार विकास किया जाता. इधर-उधर विकास करके पैसे का अपव्यय करना और फिर उसे तोड़ना, इससे बेहतर था कि अयोध्या का सुनियोजित विकास हो. आज अयोध्या का जो विकास हो रहा है, योगी और मोदी जी की सरकार में, वह मंदिर का स्थान तय होने के बाद हो रहा है. इसलिए मंदिर को केंद्र बिंदु मानते हुए विकास का काम हो रहा है. इसलिए नियोजित और अच्छा विकास करने के साथ ही अयोध्या विश्व की सबसे आकर्षक धर्मनगरी बनने जा रही है.
प्रश्न : प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में लगभग दस हजार आमंत्रित अतिथि आने वाले हैं. इसके अलावा भी हजारों लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं. आप और मंत्रिमंडल के बाकी सदस्य अयोध्या श्रीराम के दर्शन करने कब जाने वाले हैं?
उत्तर : पूरे देश में लोगों ने उत्साह है और लोग चाहते हैं कि वह 22 जनवरी को ही अयोध्या पहुंचें. हम मंत्री भी आपस में पूछते थे कि आपको निमंत्रण मिला क्या? अयोध्या में अव्यवस्था न फैले इसलिए सिस्टम बना दिया गया, उसी के अनुसार मुख्यमंत्री के साथ पूरा मंत्रिमंडल एक फरवरी को रामलला के दर्शन करने जाएगा. वहां से लौटकर दो तारीख से हम बजट सत्र में शामिल होंगे.
प्रश्न : आप उच्च शिक्षा मंत्री भी हैं. अब जबकि आपकी सरकार कह रही है कि हम राम राज्य की ओर लौट रहे हैं, ऐसे में क्या आप संस्कृत भाषा की उपेक्षा से निपटने के लिए कोई उपाय कर रहे हैं?
उत्तर : यह आपने अच्छा प्रश्न किया है. निश्चित रूप से संस्कृत की उपेक्षा हो रही थी. मैंने खुद हाईस्कूल में संस्कृत विषय छोड़ दिया था. जब संस्कृत खत्म होने लगी, तो हमारी संस्कृति भी खत्म होने लगी. इसलिए संस्कृत का जिंदा रहना जरूरी है. संस्कृत पूरे भारत को जोड़ने वाली भाषा है. अब पुन: उसका पुनरुत्थान होगा. इस दृष्टि से कार्यक्रम और पाठ्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं.
प्रश्न : आप राजनेता हैं, इसलिए आपसे राजनीतिक सवाल पूछते हैं. क्या आगामी लोकसभा के चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा प्रमुख होगा?
उत्तर : राम मंदिर हमारा मुद्दा नहीं है. राम मंदिर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए, स्वयं सेवकों के लिए और हमारे अनुषांगिक क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए अस्मिता और आस्था का प्रश्न था. इसलिए सब कुछ झोंककर हम लोग उससे जुड़े हुए थे. आज वह पूर्ण हो रहा है. आज जनता को भी विश्वास हो रहा है कि यह जो कहते हैं, वह करते हैं. पहले हमारा मखौल उड़ाया जाता था.
प्रश्न : शंकराचार्य की नाराजगी का विषय चर्चा में है. वह कह रहे हैं कि अक्षत भाजपा और संघ के लोग बांट रहे हैं. इसलिए अयोध्या का कार्यक्रम राजनीतिक हो गया है. आप इससे सहमत हैं?
उत्तर : किसी ने किसी को नहीं रोका है कि चावल बांटने में संघ का स्वयंसेवक ही जाए. विहिप और संघ सांस्कृतिक संगठन हैं. यह कोई राजनीतिक संगठन भी नहीं हैं. इनसे जो जुड़ना चाहे, जुड़ सकता है. मंदिर समिति ही सबको आमंत्रित कर रही है.
प्रश्न : योगी जी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. साथ ही गोरक्षपीठ के महंत भी हैं. यदि वह चाहते तो शंकराचार्यों को मनाया भी जा सकता था. ऐसे मौके पर शंकराचार्यों की नाराजगी दाल में कंकड़ की तरह ही है. आप इससे सहमत हैं?
उत्तर : शंकराचार्य जी हम सबके पूज्य हैं. वह पूरे समाज के पूज्य हैं. उन्होंने जो बात उठाई है, यह वही जान सकते हैं कि क्यों उठाई है. इतना बड़ा महायज्ञ हो रहा है, तो छोटी-छोटी बातों को विवाद बनाना न हम चाहते हैं न शंकराचार्य. उन्होंने सिर्फ अपना मत व्यक्त किया है. बाकी उन्होंने अपनी ओर से मना किसी को नहीं किया है कि मत जाओ.
प्रश्न : लगभग डेढ़ वर्ष पहले उच्च शिक्षा विभाग ने एक शासनादेश जारी किया था कि सभी विश्वविद्यालयों में फीस एक समान होनी चाहिए, लेकिन तमाम विश्वविद्यालय इसे नहीं मानते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय भी इसे नहीं मानता है. निजी कॉलेज आंदोलन चला रहे हैं, पर सुनवाई नहीं है. इस दिशा में आप क्या कर रहे हैं?
उत्तर : देखिए विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस बॉडी होते हैं. यदि चलती हुई भाषा में कहें, तो वह एक अलग स्टेट होते हैं. हालांकि शिक्षा पर अंकुश रहता है सरकार का. सरकार ने उन्हें सुझाव भी दिया है कि पाठ्यक्रम और फीस में एकरूपता लाई जाए. धीरे-धीरे इस ओर प्रयास किया जा रहा है. बहुत जल्दी ही एक तरह का कार्यक्रम, एक तरह का पाठ्यक्रम और एक तरह का शुल्क लागू करने का प्रयास होगा.
प्रश्न : जब विश्वविद्यालय ज्यादा फीस वसूलेंगे, तो कॉलेज भी बच्चों और अभिभावकों पर अधिक बोझ डालेंगे. स्वाभाविक है कि इससे शिक्षा महंगी हो जाएगी. सरकार फीस कम करना चाहती होगी, तभी शासनादेश जारी किया. फिर कठिनाई कहां आ रही है?
उत्तर : समस्या कहीं नहीं है. कुछ विश्वविद्यालय अच्छी सुविधा दे रहे हैं, तो वह चाहते हैं कि फीस भी बढ़े. सरकार चाहती है कि उत्तर प्रदेश में अधिकतर निजी और सरकारी विश्वविद्यालय खुलें. हर मंडल में एक सरकारी विश्वविद्यालय. हम इस दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं. तेजी से निजी विश्वविद्यालय भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में कंपटीशन बढ़ेगा और फीस भी स्वत: कम होगी.
प्रश्न : आगामी लोकसभा चुनाव में आप किसे चुनौती मानते हैं. गठबंधन को या बहुजन समाज पार्टी को?
उत्तर : इस समय हमारे लिए कोई भी दल चुनौती नहीं है. हमें सीधा दिख रहा है कि एनडीए चार सौ सीटें पार करेगा. हम उत्तर प्रदेश में भी अस्सी की अस्सी सीटें जीतेंगे.
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