नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को 8,399 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत पर दिल्ली मेट्रो चरण-IV परियोजनाओं के दो कॉरिडोर को मंजूरी दे दी है. जानकारी के अनुसार ये दो कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ के लिए बनाए जाएंगे.
इसके बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि 'आज दो नए मेट्रो कॉरिडोर को मंजूरी दी गई है, जिस पर 8,400 करोड़ रुपये खर्च होंगे. लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक तक करीब 8.4 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन होगी और इसमें आठ स्टेशन होंगे.'
उन्होंने आगे कहा कि 'दूसरी है इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ तक, ये करीब 12.4 किलोमीटर की मेट्रो लाइन होगी और इस लाइन पर 10 स्टेशन बनाए जाएंगे. इन दोनों कॉरिडोर का काम मार्च 2029 तक पूरा हो जाएगा.'
ये दोनों गलियारे 20.762 किलोमीटर के हैं. इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ गलियारा ग्रीन लाइन का विस्तार होगा और रेड, येलो, एयरपोर्ट लाइन, मैजेंटा, वॉयलेट और ब्लू लाइन के साथ जोड़ेगा. लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक गलियारा सिल्वर, मैजेंटा, पिंक और वॉयलेट लाइन को जोड़ेगा.
इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इन क्षेत्रों के यात्री इंद्रप्रस्थ के साथ-साथ मध्य और पूर्वी दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों तक सीधे पहुंचने के लिए ग्रीन लाइन का उपयोग कर सकेंगे. इन कॉरिडोर पर इंद्रलोक, नबी करीम, नई दिल्ली, दिल्ली गेट, इंद्रप्रस्थ, लाजपत नगर, चिराग दिल्ली और साकेत जी ब्लॉक में आठ नए इंटरचेंज स्टेशन बनेंगे.
ये स्टेशन दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की सभी परिचालन लाइनों के बीच इंटरकनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार करेंगे. बता दें दिल्ली मेट्रो पहले से ही अपने विस्तार के चौथे चरण के तहत 65 किलोमीटर का नेटवर्क बना रही है.
मंत्रिमंडल ने आईएमईसी पर भारत-यूएई समझौते को दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत-पश्चिम एशिया -यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के लिए सहयोग पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच एक अंतर-सरकारी मसौदा समझौते को मंजूरी दी. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.
इसके मुताबिक, अंतर-सरकारी मसौदा समझौते (आईजीएफए) का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना और बंदरगाहों, समुद्री एवं लॉजिस्टिक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना है. इस समझौते में पश्चिम एशिया से होते हुए भारत और यूरोप के बीच आर्थिक गलियारे के विकास के संबंध में भावी संयुक्त निवेश और सहयोग की संभावनाओं की तलाश के उद्देश्य से सहयोग के क्षेत्र शामिल किए गए हैं.
समझौते में भारत और यूएई के बीच सहयोग के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश की गई है. यह सहयोग पारस्परिक रूप से सहमत सिद्धांतों, दिशानिर्देशों और समझौतों के एक समूह पर आधारित होगा, जो देशों के अधिकार क्षेत्र के प्रासंगिक नियमों के अनुरूप होगा.