लखनऊः लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने संगठन की समीक्षा और पार्टी के हार का कारण का पता लगाने के लिए रविवार 23 जून को प्रदेश दफ्तर में सभी पदाधिकारी की बैठक बुलाई है. बैठक में उत्तर प्रदेश सहित बीएसपी ऑल इंडिया लेवल के सभी वरिष्ठ एवं विभिन्न राज्यों के प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया है.
इस बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती 18वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम की समीक्षा करने के साथ ही भविष्य की तैयारी को लेकर जरूरी दिशा निर्देश पदाधिकारियों को देगी.लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा. पार्टी का प्रदर्शन 2019 के मुकाबले बहुत ही खराब रहा. वहीं पार्टी 2014 की तरह 2024 में भी लोकसभा में अपना खाता नहीं खोल पायी. लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक काफी कम हो गया.
बसपा अब जाटव समाज का अपना मूल जन आधार भी एक तरह से खोती नजर आ रही है. मायावती का वोट बैंक अब खिसक कर 8 फ़ीसदी के आसपास ही रह गया है. इस बार उनके अपने मूल वोटरों में से एक तिहाई से ज्यादा में सेंध लग गई है. सिर्फ मूल जाटव वोटर ही नहीं, बल्कि गैर जाटव दलित वोटरों में भी बसपा अध्यक्ष का जो जनाधार था, अब वह भी खिसक गया है.
इस लोकसभा चुनाव में बसपा 2019 में जीती अपनी 10 सीटों पर या तो तीसरे नंबर पर या चौथे नंबर पर रही है. बीएसपी कहीं भी दूसरे नंबर पर नहीं आ पाई है. बसपा सुप्रीमो के लिए अब आगे की राह बहुत मुश्किल होती जा रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की तरफ से बसपा के वोट में लगातार सेंध लगायी जा रही है. मायावती की एकला चलो की रणनीति और बीजेपी की बी टीम का लेबल बीएसपी के लिए मुसीबत खड़ा कर रहा है.
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