रांची: चुनावी समर में इन दिनों वादों का दौर जारी है.राजनीतिक दल के साथ साथ प्रत्याशियों के द्वारा घोषणाओं की झड़ी लगाई जा रही है.मगर इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि चुनावी शोरगुल में झारखंड के स्थानीय मुद्दे गौण होते दिख रहे हैं. कुछ दिन पहले तक 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति, सरना धर्मकोड जैसे मुद्दे सियासी दल के नेताओं की जुबान पर रहती थी मगर जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है सियासी दल अपनी रणनीति भी बदलते जा रहे हैं.
इन सबके बीच हाईटेक तरीके से चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी स्थानीय मुद्दे को गौण कर राष्ट्रीय मुद्दे पर चुनाव जीतने में जुटी है. मोदी की गारंटी के जरिए चुनावी नैया पार लगाने में जुटी बीजेपी ने एक बार फिर मोदी का चेहरा सामने कर जनता का विश्वास जीतने में लगी है. झारखंड बीजेपी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक कहते हैं कि देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार के 10 वर्षों का कार्यकाल देख चुकी है उस उपलब्धि के आधार पर जनता के बीच हम जाने की तैयारी में हैं.
इसके अलावे 2047 में विकसित भारत का जो विजन है उसे पूरा करने के संकल्प में जनता का सहयोग इस चुनाव में जरूर मिलेगा. विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर शिवपूजन पाठक ने कहा कि चूंकि यह लोकसभा चुनाव है और इस चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही उठाए जाते हैं और राष्ट्रीय मुद्दे में हर क्षेत्र का चाहे वह झारखंड हो या पूर्वोत्तर के राज्य हो सभी समाहित होते हैं.
स्थानीय मुद्दे के बजाय बीजेपी को राष्ट्रीय मुद्दे से है उम्मीद
- लोकप्रियता बटोर रही मोदी की गारंटी को भुनाने की होगी बीजेपी की कोशिश
- पीएम मोदी के चेहरा को आगे कर जनता के बीच जाने का है संकल्प
- 2047 के विकसित भारत संकल्प को प्रमुखता से जनता के बीच रखेगी बीजेपी
- भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार की उपलब्धि गिनाकर झारखंड में इंडी गठबंधन पर हमला बोलने की रणनीति
- जनजातियों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्य को प्रचारित करने की रणनीति
नो इलेक्शन ऑनली माइ सेलेक्शन पर चुनाव लड़ रही है बीजेपी-कांग्रेस
चुनावी समर में राष्ट्रीय मुद्दे हावी होने पर कांग्रेस का मानना है कि इंडिया गठबंधन भारत जोड़ो की बात करता है जबकि बीजेपी नो इलेक्शन ओनली माइ सेलेक्शन पर चुनाव लड़ना चाहती है. घोषणा पत्र के जरिए जो बीजेपी ने वादा किया है उसमें किसी तरह का विजन नहीं है और ना ही झारखंड के स्थानीय मुद्दे को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ने की तैयारी की गई है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनल शांति कहते हैं कि इंडिया गठबंधन ने राष्ट्रीय मुद्दे के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दे को भी समाहित किया है. हम चुनाव मैदान में आदिवासी सरना धर्मकोड को लेकर जायेंगे कि किस तरह मोदी सरकार ने इसे नजरअंदाज किया. उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तब से झारखंड के प्रति उदासीन रही है और यहां तक कि हाल ही में जारी संकल्प पत्र में यहा के लोगों के विकास के लिए कोई जिक्र नहीं किया गया है. सबसे बड़ा मुद्दा यहां आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड है जो बीजेपी के एजेंडे में नहीं है.
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