बेंगलुरु: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कर्नाटक में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए, जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर विजयपुरा में चल रहे वक्फ भूमि विवाद में अल्पसंख्यक समुदायों का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया है.
यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान द्वारा आयोजित वक्फ अदालत के बाद किसानों को बेदखली के नोटिस मिले, जिसका की व्यापक आलोचना और विरोध हुआ.
बेंगलुरू में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा विधायक डॉ. सीएन अश्वथ नारायण ने मांग की कि कांग्रेस सरकार भूमि रिकॉर्ड (RTC) में वक्फ भूमि एंट्री को हटा दे और इन संपत्तियों के संबंध में 1974 के राजपत्र अधिसूचना को वापस ले.
तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप
उन्होंने कांग्रेस पर कथित भ्रष्टाचार, कुशासन और विकास की कमी से ध्यान हटाने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप भी लगाया. नारायण ने पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई की वक्फ अनियमितताओं पर अनवर मणिपड्डी रिपोर्ट की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) की मांग को भी दोहराया.
सिद्धारमैया का बयान
जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ के लिए फायदा उठा रही है. सिद्धारमैया ने कहा कि वक्फ भूमि का मुद्दा नया नहीं है. बोम्मई के कार्यकाल के दौरान भी किसानों को इसी तरह के नोटिस भेजे गए थे.
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने मंत्रियों एचके पाटिल और कृष्णा बायरे गौड़ा के साथ मिलकर अधिकारियों को किसानों को प्रभावित करने वाले सभी बेदखली नोटिस रद्द करने का निर्देश दिया, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.
भाजपा नेता आर अशोक ने भी मंत्री जमीर अहमद खान पर किसानों के खिलाफ जमीन के नोटिस जारी करने का आरोप लगाया. अशोक ने नोटिस रद्द करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर संदेह जताया और किसानों की जमीन की रक्षा के लिए अध्यादेश लाने की मांग की.
विरोध प्रदर्शन में पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई, पूर्व मंत्री सीटी रवि, राजू गौड़ा, सीसी. पाटिल, पूर्व सांसद प्रताप सिन्हा और पूर्व विधायक पी राजीव समेत भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हुए.
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