रायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के पनपने और आतंक मचाने के राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप की बात जब शुरू होती है तो कांग्रेस अक्सर ये आरोप लगाती है, इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है. बीजेपी सरकार में सबसे ज्यादा नक्सली छत्तीसगढ़ में आतंक मचाने का काम किए. लेकिन 2024 के चुनाव में कांग्रेस को इस राजनीति का कोई फायदा नहीं मिला . 25 मई 2013 को हुए झीरम हत्याकांड की बरसी कांग्रेस दफ्तर में मनाई गई. जिसमें कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2013 में नक्सलियों ने जिस हत्याकांड को अंजाम दिया था, उसमें कांग्रेस के कई बड़े नेता मारे गए थे. नक्सल हमले में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल की जान चली गई थी.बावजूद इसके बीजेपी ने इसकी जांच नहीं की.इसके बरसी के बाद प्रदेश में दो चरण के लोकसभा चुनाव बचे हुए थे.
नक्सल मुद्दे से थी कांग्रेस को बड़ी उम्मीद : कांग्रेस को ये उम्मीद थी कि शायद छत्तीसगढ़ में नहीं लेकिन देश में बीजेपी के छत्तीसगढ़ वाली गारंटी का तोड़ इससे निकल जाए. लेकिन कोई बड़ा फायदा कांग्रेस को नहीं मिला. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सफाई वाली गारंटी का पूरा फायदा लोकसभा चुनाव के परिणाम के रूप में बीजेपी की झोली में गया है. कांग्रेस जांच की बात करती रही, लेकिन जब उनकी सरकार छत्तीसगढ़ में थी तो जांच नहीं हो पाई. इस बात को बीजेपी ने अपने पक्ष में किया.लोगों को भरोसा दिलाया कि गारंटी जो बीजेपी देगी वही पूरी होगी.
नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई का असर : छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन का चुनाव में फायदा बीजेपी को मिला.जब नक्सलियों के मांद में घुसकर फोर्स ने लाल घेरे का खात्मा किया तो लोगों को लगा कि बीजेपी के राज में नक्सल से निपटने के लिए फोर्स रेडी है. आचार संहिता लगने के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चले अभियान में 115 से ज्यादा नक्सली मारे गए. 375 नक्सलियों ने सरेंडर किया और 200 से ज्यादा नक्सलियों को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया.पूरे देश में नक्सलियों के खिलाफ जिस निर्णायक लड़ाई को सुरक्षा एजेंसियों ने जारी कर रखा है, वह किसी लोकसभा चुनाव के दरमियान अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कही जा सकती है. इसमें बीजेपी ने चुनावी तड़का लगाते हुए पूरे देश और छत्तीसगढ़ से 2 साल में नक्सलियों के सफाई की गारंटी दे दी.
नक्सलियों का सफाया बना मॉडल : छत्तीसगढ़ के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली रही हो या गृहमंत्री अमित शाह की रैली रही हो. नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की बात और 2 साल में नक्सलियों के सफाई की गारंटी छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने चुनाव के दरमियान हर मंच से रखी. छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई को सिर्फ दो साल में सफाई की गारंटी नहीं कहा गया बल्कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं अभियान को छत्तीसगढ़ का मॉडल बना दिया गया. दूसरे राज्यों के कई मंच से इस बात को बीजेपी के नेताओं ने रखा.नक्सलियों के सफाई का छत्तीसगढ़ का मॉडल पूरे देश में लागू होगा.
बीजेपी ने काटी नक्सवाद के खात्मे की फसल : बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह चाहे छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड,ओडिशा, तेलंगाना और आंधप्रदेश की चुनावी रैलियों में नक्सलवाद का मुद्दा उठाया.यही नहीं नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ मॉडल को लागू करने की बात बीजेपी ने हर मंच में कही. नक्सलियों का नासूर कुछ इस कदर लोगों के मन को झकझोर चुका था. जिसमें नक्सल अभियान में जुटे जवान जो राज्य की सीमा में नहीं बधे होते हैं, उनके परिवार के लोगों को भी चुभने लगा था. क्योंकि नक्सली अभियान में हताहत होने वाले जवानों का खून किसी भी मां के लाल के जाने पर उसके कलेजे को छलनी कर रहा था. परिवार के इस दर्द को बीजेपी ने भांपा और चुनाव में नक्सलियों के सफाए की गारंटी दे दी. बीजेपी ने चुनाव के दरमियान नक्सलियों की सफाई वाली जिस राजनीतिक खेती के बीज को बोया,वो चुनाव के दौरान बड़ी अच्छी फसल बनीं. रिजल्ट आते-आते फसल पकी और अब इस फसल को काटकर बीजेपी ने अपना खलिहान भर लिया है.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में नक्सल बड़ा मुद्दा : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक दुर्गेश भटनागर ने बताया कि पिछले तीन दशक से नक्सलियों ने जिस तरीके से क्षेत्र विशेष में विकास को रोक रखा है. अब वहां के लोगों को यह बात चुभने लगी है. नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी जो स्थानीय हैं अब उन्हें अपने बच्चों के शिक्षा और स्वास्थ्य की चिंता हो रही है. अगर गांव तक शिक्षा और स्वास्थ्य नहीं पहुंचेगा तो फिर किसी विकास के मायने क्या है.जिस तरीके से तकनीकी क्रांति आई है, उसमें सिर्फ नक्सली के नाम पर लोगों को विकास से दूर रखना अब लोगों के मन को कचोटता है.
''नक्सलियों के सफाई के लिए आम जनता के मन में एक सकारात्मक भाव जगा है. यही वजह है जिस अभियान को विगत 30 सालों में चलने के बाद रोकना पड़ता था. वह अब सफलता से अपने अंजाम के तरफ जा रहा है. हालांकि यह सिर्फ एक पहलू है. देखना यह भी होगा कि जिस अभियान को चलाया जा रहा है वह सिर्फ बंदूक की गोली वाला अभियान बनकर न रह जाए, जरूर इस बात की है कि वहां विकास की मूल धारा भी पहुंचे.जो वादा जनता से किया गया है वह मूर्त रूप भी ले, तभी दो इंजन के विकास वाले रफ्तार की बात सफल होगी.''- दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार
मोदी लहर में भी बस्तर सीट थी छूटी : 2019 में मोदी के मजबूत काम की लहर और असर के बाद भी बस्तर की सीट कांग्रेस के हाथ से नहीं निकली थी. लेकिन इस बार बस्तर की सीट बीजेपी के खाते में चली गई. बस्तर में चल रहे नक्सली अभियान जनता के बीच या भरोसा कायम करने में बीजेपी के लोग सफल रहे. लोगों को बीजेपी ने ये गारंटी दी है कि बस्तर से लाल आतंक का खात्मा होगा.