ETV Bharat / bharat

झारखंड में भाजपा के खाते से लालाजी और बाबू साहेब साफ, एक भूमिहार की एंट्री, तीन पिछड़ी जातियों पर बरसी मोदी कृपा, पार्टी ने बदली स्ट्रैटजी - Jharkhand BJP Lok Sabha Candidate

Caste equation of BJP Lok Sabha candidates. बीजेपी ने झारखंड में अपने कोटे की सभी सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. बीजेपी की लिस्ट में जातीय समीकरण का ख्याल रखा गया है. इस बार की लिस्ट में लालाजी और बाबू साहेब की भागीदारी को साफ कर दिया गया है. इस रिपोर्ट में जानिए बीजेपी ने किस तरह से जातीय समीकरण को साधा है.

Caste equation of BJP Lok Sabha candidates
Caste equation of BJP Lok Sabha candidates
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 25, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Mar 25, 2024, 5:07 PM IST

रांची: झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर फतह के लिए भाजपा नई स्ट्रेटजी के साथ सामने आई है. इसबार पार्टी ने जातीय समीकरण पर फोकस किया है. लालाजी और बाबू साहेब की भागीदारी साफ कर दी गई है. दो अगड़ी जातियों की तीन सिटिंग सीटें काटकर भूमिहार जाति से आने वाले कालीचरण सिंह को चतरा का प्रत्याशी बनाया है.

इसके अलावा पार्टी ने झारखंड़ में दबदबा रखने वाली कुड़मी, बनिया और यादव जाति के वोट बैंक को साधने के लिए कई उलटफेर किए हैं. इस फॉर्मूला को समझने के लिए सबसे पहले यह जान लें कि 14 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें एसटी और एक सीट एससी के लिए रिजर्व है. अनारक्षित शेष 8 सीटों में से भाजपा ने सहयोगी आजसू के लिए इसबार भी गिरिडीह सीट छोड़ रखा है.

भाजपा ने भूमिहार और ओबीसी पर बरसाई कृपा

शेष सात सीटों के जरिए भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. इनमें से दो सीट पर कुड़मी, दो पर बनिया, एक पर यादव, एक पर भूमिहार और एक सीट ब्राह्मण को दी है. यही नहीं पार्टी ने अपने पांच सीटिंग (हजारीबाग, धनबाद, चतरा, दुमका और लोहरदगा) सांसदों का टिकट काट दिया है. जबकि हजारीबाग के विधायक मनीष जयसवाल को हजारीबाग, बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को धनबाद, जामा से झामुमो विधायक रहीं शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को दुमका और पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव को लोहरदगा का प्रत्याशी बनाया है.

इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम कालीचरण सिंह का है. कालीचरण सिंह ऐसे पहले प्रत्याशी होंगे जो चतरा के ही मूल निवासी हैं. वह प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. पेशे से शिक्षक रहे हैं. वह भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं. इस सीट पर अलग-अलग पार्टियां बाहरी प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाती रही है. इस फैसले से भाजपा ने संदेश देने की कोशिश की है कि वह स्थानीयों को भी तरजीह देती है.

2019 में अगड़ी जातियों का था दबदबा

2019 के लोकसभा चुनाव में आठ अनारक्षित सीटों में से सात सीट पर लड़ने वाली भाजपा ने हजारीबाग में कायस्थ समाज के जयंत सिन्हा, धनबाद में राजपूत समाज के पीएन सिंह. चतरा में राजपूत समाज के सुनील कुमार सिंह, कोडरमा में यादव समाज की अन्नापूर्णा देवी, जमशदेपुर में कुड़मी समाज के विद्युत वरण महतो, गोड्डा में ब्राह्मण समाज के निशिकांत दूबे और रांची में बनिया समाज के संजय सेठ को टिकट दिया था और सभी ने जीत भी दर्ज की थी.

अनुमानित प्रतिशत के हिसाब से हिस्सेदारी

2019 में भाजपा कोटे की सात अनारक्षित लोकसभा सीटों में से चार (हजारीबाग, धनबाद, चतरा और गोड्डा) पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार जीते थे. इस लिहाज से भाजपा ने करीब 53 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जातियों को दी थी. लेकिन आजसू के गिरिडीह सीट को जोड़कर देखें तो एनडीए के लिहाज से आधी भागीदारी अगड़ी जाति को मिली थी. लेकिन इस बार एनडीए की कुल आठ सीटों में सिर्फ दो सीटें अगड़ी जाति के खाते में गई हैं. प्रतिशत के लिहाज से 25 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जाति को और पिछड़ी जाति को 75 प्रतिशत भागीदारी दी गई है.

झारखंड में जातियों का अनुमानित प्रतिशत

झारखंड में एसटी आबादी करीब 26 प्रतिशत, एससी की आबादी करीब 12 प्रतिशत है. लेकिन अन्य जातियों की आबादी अनुमान के आधार पर ही निकाली जाती है. वैसे ओबीसी की राजनीति करने वाले संगठनों का दावा है कि झारखंड में उनकी आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है. अनुमान के मुताबिक पिछड़ी जातियों में सबसे ज्यादा कुड़मी समाज की आबादी 16 प्रतिशत, यादव की 14 प्रतिशत, बनिया, साहू, तेली समाज की 22 प्रतिशत है.

वहीं सामान्य वर्ग की अनुमानित आबादी 16 प्रतिशत है जिसमें ब्राह्मण की आबादी 5 मानी जाती है. शेष 11 प्रतिशत में राजपूत, भूमिहार और कायस्थ जाति प्रमुख है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसबार भाजपा हर समीकरण का ख्याल रखकर आगे बढ़ रही है. अबतक भाजपा पर अगड़ी जातियों के प्रति झुकाव का आरोप लगता रहा है. इस मिथक को पार्टी ने तोड़ दिया.

हालांकि, इस बात की चर्चा हो रही है कि चार प्रमुख अगड़ी जातियों में से राजपूत और कायस्थ का पत्ता साफ कर भाजपा ने समाज में पैठ रखने वाली इन जातियों को नाराज होने का मौका दे दिया है. कुल मिलाकर देखें तो झारखंड में भाजपा की तरफ से कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सांसद के रूप में दीपक प्रकाश कर रहे हैं लेकिन राजपूत पूरी तरह आउट हो गए हैं.

ये भी पढ़ें-

बाघमारा विधायक को टिकट मिलने से समर्थकों में उत्साह, ढुल्लू महतो ने पार्टी के नेताओं का जताया आभार

मजदूर से विधायक बनने तक संघर्षमय रहा है ढुल्लू महतो का राजनीतिक सफर, जानिए किसने दी टाइगर की उपाधि

टिकट कटने के बाद सुनील सोरेन का बयान, राष्ट्रीय नेतृत्व का निर्णय हृदय से स्वीकार, सच्चे सिपाही के तौर पर करता रहूंगा काम

चतरा लोकसभा सीट को लेकर I.N.D.I.A में संशय, कांग्रेस और राजद दोनों ने ठोकी दावेदारी, राजद कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार भी किए घोषित

रांची: झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर फतह के लिए भाजपा नई स्ट्रेटजी के साथ सामने आई है. इसबार पार्टी ने जातीय समीकरण पर फोकस किया है. लालाजी और बाबू साहेब की भागीदारी साफ कर दी गई है. दो अगड़ी जातियों की तीन सिटिंग सीटें काटकर भूमिहार जाति से आने वाले कालीचरण सिंह को चतरा का प्रत्याशी बनाया है.

इसके अलावा पार्टी ने झारखंड़ में दबदबा रखने वाली कुड़मी, बनिया और यादव जाति के वोट बैंक को साधने के लिए कई उलटफेर किए हैं. इस फॉर्मूला को समझने के लिए सबसे पहले यह जान लें कि 14 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें एसटी और एक सीट एससी के लिए रिजर्व है. अनारक्षित शेष 8 सीटों में से भाजपा ने सहयोगी आजसू के लिए इसबार भी गिरिडीह सीट छोड़ रखा है.

भाजपा ने भूमिहार और ओबीसी पर बरसाई कृपा

शेष सात सीटों के जरिए भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. इनमें से दो सीट पर कुड़मी, दो पर बनिया, एक पर यादव, एक पर भूमिहार और एक सीट ब्राह्मण को दी है. यही नहीं पार्टी ने अपने पांच सीटिंग (हजारीबाग, धनबाद, चतरा, दुमका और लोहरदगा) सांसदों का टिकट काट दिया है. जबकि हजारीबाग के विधायक मनीष जयसवाल को हजारीबाग, बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को धनबाद, जामा से झामुमो विधायक रहीं शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को दुमका और पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव को लोहरदगा का प्रत्याशी बनाया है.

इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम कालीचरण सिंह का है. कालीचरण सिंह ऐसे पहले प्रत्याशी होंगे जो चतरा के ही मूल निवासी हैं. वह प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. पेशे से शिक्षक रहे हैं. वह भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं. इस सीट पर अलग-अलग पार्टियां बाहरी प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाती रही है. इस फैसले से भाजपा ने संदेश देने की कोशिश की है कि वह स्थानीयों को भी तरजीह देती है.

2019 में अगड़ी जातियों का था दबदबा

2019 के लोकसभा चुनाव में आठ अनारक्षित सीटों में से सात सीट पर लड़ने वाली भाजपा ने हजारीबाग में कायस्थ समाज के जयंत सिन्हा, धनबाद में राजपूत समाज के पीएन सिंह. चतरा में राजपूत समाज के सुनील कुमार सिंह, कोडरमा में यादव समाज की अन्नापूर्णा देवी, जमशदेपुर में कुड़मी समाज के विद्युत वरण महतो, गोड्डा में ब्राह्मण समाज के निशिकांत दूबे और रांची में बनिया समाज के संजय सेठ को टिकट दिया था और सभी ने जीत भी दर्ज की थी.

अनुमानित प्रतिशत के हिसाब से हिस्सेदारी

2019 में भाजपा कोटे की सात अनारक्षित लोकसभा सीटों में से चार (हजारीबाग, धनबाद, चतरा और गोड्डा) पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार जीते थे. इस लिहाज से भाजपा ने करीब 53 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जातियों को दी थी. लेकिन आजसू के गिरिडीह सीट को जोड़कर देखें तो एनडीए के लिहाज से आधी भागीदारी अगड़ी जाति को मिली थी. लेकिन इस बार एनडीए की कुल आठ सीटों में सिर्फ दो सीटें अगड़ी जाति के खाते में गई हैं. प्रतिशत के लिहाज से 25 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जाति को और पिछड़ी जाति को 75 प्रतिशत भागीदारी दी गई है.

झारखंड में जातियों का अनुमानित प्रतिशत

झारखंड में एसटी आबादी करीब 26 प्रतिशत, एससी की आबादी करीब 12 प्रतिशत है. लेकिन अन्य जातियों की आबादी अनुमान के आधार पर ही निकाली जाती है. वैसे ओबीसी की राजनीति करने वाले संगठनों का दावा है कि झारखंड में उनकी आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है. अनुमान के मुताबिक पिछड़ी जातियों में सबसे ज्यादा कुड़मी समाज की आबादी 16 प्रतिशत, यादव की 14 प्रतिशत, बनिया, साहू, तेली समाज की 22 प्रतिशत है.

वहीं सामान्य वर्ग की अनुमानित आबादी 16 प्रतिशत है जिसमें ब्राह्मण की आबादी 5 मानी जाती है. शेष 11 प्रतिशत में राजपूत, भूमिहार और कायस्थ जाति प्रमुख है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसबार भाजपा हर समीकरण का ख्याल रखकर आगे बढ़ रही है. अबतक भाजपा पर अगड़ी जातियों के प्रति झुकाव का आरोप लगता रहा है. इस मिथक को पार्टी ने तोड़ दिया.

हालांकि, इस बात की चर्चा हो रही है कि चार प्रमुख अगड़ी जातियों में से राजपूत और कायस्थ का पत्ता साफ कर भाजपा ने समाज में पैठ रखने वाली इन जातियों को नाराज होने का मौका दे दिया है. कुल मिलाकर देखें तो झारखंड में भाजपा की तरफ से कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सांसद के रूप में दीपक प्रकाश कर रहे हैं लेकिन राजपूत पूरी तरह आउट हो गए हैं.

ये भी पढ़ें-

बाघमारा विधायक को टिकट मिलने से समर्थकों में उत्साह, ढुल्लू महतो ने पार्टी के नेताओं का जताया आभार

मजदूर से विधायक बनने तक संघर्षमय रहा है ढुल्लू महतो का राजनीतिक सफर, जानिए किसने दी टाइगर की उपाधि

टिकट कटने के बाद सुनील सोरेन का बयान, राष्ट्रीय नेतृत्व का निर्णय हृदय से स्वीकार, सच्चे सिपाही के तौर पर करता रहूंगा काम

चतरा लोकसभा सीट को लेकर I.N.D.I.A में संशय, कांग्रेस और राजद दोनों ने ठोकी दावेदारी, राजद कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार भी किए घोषित

Last Updated : Mar 25, 2024, 5:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.