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कांग्रेस बोली- सेंगोल पर सरकार ने झूठी कहानी बताई, भाजपा ने कहा- चोल साम्राज्य से है इसका संबंध - BJP AND CONGRESS ON SENGOL

संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान सेंगोल पर भाजपा और कांग्रेस के नेता फिर आमने-सामने आ गए.

Sengol
सेंगोल (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 5 hours ago

नई दिल्ली : संसद में स्थापित अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल को लेकर मंगलवार को राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग देखने को मिली. कांग्रेस ने दावा किया कि इसके महत्व के बारे में एक झूठी कहानी बताई गई है, जबकि सरकार ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया.

विपक्षी दलों, मुख्य रूप से कांग्रेस के सदस्यों ने उच्च सदन में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा सेंगोल के उल्लेख पर आपत्ति जताई. यादव ने कहा कि आजादी के समय सत्ता हस्तांतरण के दौरान जब सेंगोल दिया गया तो उसे न्याय के प्रतीक के बजाय जवाहरलाल नेहरू की ‘वाकिंग स्टिक’ की तरह माना गया.

कांग्रेस के जयराम रमेश ने हालांकि टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह किसी को नहीं दिया गया था. यादव ने तब कहा कि कांग्रेस सदस्य ने इस बारे में नहीं बोला है कि पिछले 75 वर्षों से सेंगोल को कहां रखा गया था.

उस समय आसन पर मौजूद राजीव शुक्ल ने रमेश को बोलने की अनुमति दी. रमेश ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने सेंगोल के बारे में एक कहानी फैलाई है और ‘यह इतिहास नहीं है’. उन्होंने कहा, ‘‘यह औपचारिक रूप से किसी को नहीं सौंपा गया. कुछ लोग आए और एक समारोह में सेंगोल दिया और उन्होंने (भाजपा ने) इस इतिहास से एक कहानी रच दी.’’

सदन के नेता जे पी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू से आजादी के समय भारत में सत्ता सौंपने की प्रक्रिया के दौरान कहा था कि यदि इसका कोई अनुष्ठान या परंपरा हो तो वह बताएं, लेकिन नेहरू ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी परंपरा या अनुष्ठान की जानकारी नहीं है.

नड्डा ने कहा कि सी राजगोपालाचारी ने सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण की परंपरा के बारे में बताया, जैसा कि चोल राजवंश में प्रचलित था. भाजपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि चोल वंश के इन्हीं सदस्यों ने संसद में सेंगोल की स्थापना के समारोह में भाग लिया था.

नड्डा ने कहा कि सेंगोल को मद्रास से विमान से लाया गया था और एक रस्म के तहत संभवत: 14 अगस्त 1947 को नेहरू को उनके आवास पर सौंपा गया था. उन्होंने यह भी कहा कि सेंगोल को आनंद भवन भेजा गया था और उसके बाद एक संग्रहालय में रखा गया था, जहां यह लिखा गया था कि यह नेहरू की छड़ी थी.

इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया. पीठासीन अध्यक्ष शुक्ला ने नड्डा से पूछा कि क्या वह अपने दावों को सत्यापित करेंगे? नड्डा ने कहा कि वह सारी बातें सत्यापित कर देंगे. यादव ने अपने भाषण में कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान का सम्मान नहीं करते, वे संविधान की एक प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश की प्रगति से जुड़े मुद्दों का कभी विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ कांग्रेस ने जीएसटी और नई संसद का विरोध किया और कहा कि भाजपा 'राष्ट्र पहले' के सिद्धांत पर काम करती है. उन्होंने कहा, ‘‘इस पार्टी (पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ) के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के लिए अपना बलिदान दिया था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार ने सभ्यतागत मूल्य जोड़ने के लिए नई संसद में सेंगोल की स्थापना की.’’ यादव ने कहा कि कांग्रेस ने भी राम सेतु मामले में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर दावा किया है कि भगवान राम का अस्तित्व नहीं है. यादव ने कहा कि संविधान के मूल अध्याय में भगवान राम की तस्वीर है लेकिन कांग्रेस ने उनकी अनदेखी कर नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिये.

विपक्षी दलों पर हमला करते हुए यादव ने कहा कि जब भी उन्होंने भाजपा सरकार के बारे में झूठ फैलाने की कोशिश की, जनता ने उन्हें चुनावी हार की सजा दी. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने बार-बार लोकतंत्र के तीन स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर हमला किया. पीएमके के अंबुमणि रामदास ने कहा कि देश में जाति आधारित जनगणना की जरूरत है, क्योंकि सभी आरक्षण इसी पर आधारित हैं.

द्रमुक के पी. विल्सन ने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल में सरकार ने संविधान की इमारत को ईंट दर ईंट नष्ट करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘संसद को कमजोर करने से लेकर अन्य संवैधानिक निकायों की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने एवं सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने तक, इस सरकार ने हमारे संविधान के ताने-बाने को तार-तार कर दिया है.’’

विल्सन ने आरोप लगाया कि 17वीं लोकसभा में 221 से अधिक विधेयकों को मंजूरी दी गई, लेकिन इनमें से एक तिहाई विधेयक एक घंटे से भी कम समय में या बिना बहस के पारित कर दिए गए. उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में हुए सबसे भीषण नरसंहार पर कोई चर्चा नहीं हुई, (जबकि) स्थायी समितियों को कागजी समितियों में तब्दील कर दिया गया है.’’ तृणमूल कांग्रेस की मौसम बी. नूर, यूपीपी (एल) सांसद रावंगवर नारजरी और भाजपा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने भी बहस में भाग लिया.

ये भी पढ़ें : सत्ता के हस्तांतरण के लिए सेंगोल पूरी तरह से काल्पनिक है, मनगढ़ंत कहानी है- एन राम

नई दिल्ली : संसद में स्थापित अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल को लेकर मंगलवार को राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग देखने को मिली. कांग्रेस ने दावा किया कि इसके महत्व के बारे में एक झूठी कहानी बताई गई है, जबकि सरकार ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया.

विपक्षी दलों, मुख्य रूप से कांग्रेस के सदस्यों ने उच्च सदन में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा सेंगोल के उल्लेख पर आपत्ति जताई. यादव ने कहा कि आजादी के समय सत्ता हस्तांतरण के दौरान जब सेंगोल दिया गया तो उसे न्याय के प्रतीक के बजाय जवाहरलाल नेहरू की ‘वाकिंग स्टिक’ की तरह माना गया.

कांग्रेस के जयराम रमेश ने हालांकि टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह किसी को नहीं दिया गया था. यादव ने तब कहा कि कांग्रेस सदस्य ने इस बारे में नहीं बोला है कि पिछले 75 वर्षों से सेंगोल को कहां रखा गया था.

उस समय आसन पर मौजूद राजीव शुक्ल ने रमेश को बोलने की अनुमति दी. रमेश ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने सेंगोल के बारे में एक कहानी फैलाई है और ‘यह इतिहास नहीं है’. उन्होंने कहा, ‘‘यह औपचारिक रूप से किसी को नहीं सौंपा गया. कुछ लोग आए और एक समारोह में सेंगोल दिया और उन्होंने (भाजपा ने) इस इतिहास से एक कहानी रच दी.’’

सदन के नेता जे पी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू से आजादी के समय भारत में सत्ता सौंपने की प्रक्रिया के दौरान कहा था कि यदि इसका कोई अनुष्ठान या परंपरा हो तो वह बताएं, लेकिन नेहरू ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी परंपरा या अनुष्ठान की जानकारी नहीं है.

नड्डा ने कहा कि सी राजगोपालाचारी ने सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण की परंपरा के बारे में बताया, जैसा कि चोल राजवंश में प्रचलित था. भाजपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि चोल वंश के इन्हीं सदस्यों ने संसद में सेंगोल की स्थापना के समारोह में भाग लिया था.

नड्डा ने कहा कि सेंगोल को मद्रास से विमान से लाया गया था और एक रस्म के तहत संभवत: 14 अगस्त 1947 को नेहरू को उनके आवास पर सौंपा गया था. उन्होंने यह भी कहा कि सेंगोल को आनंद भवन भेजा गया था और उसके बाद एक संग्रहालय में रखा गया था, जहां यह लिखा गया था कि यह नेहरू की छड़ी थी.

इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया. पीठासीन अध्यक्ष शुक्ला ने नड्डा से पूछा कि क्या वह अपने दावों को सत्यापित करेंगे? नड्डा ने कहा कि वह सारी बातें सत्यापित कर देंगे. यादव ने अपने भाषण में कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान का सम्मान नहीं करते, वे संविधान की एक प्रति अपनी जेब में रखकर घूमते रहते हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश की प्रगति से जुड़े मुद्दों का कभी विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ कांग्रेस ने जीएसटी और नई संसद का विरोध किया और कहा कि भाजपा 'राष्ट्र पहले' के सिद्धांत पर काम करती है. उन्होंने कहा, ‘‘इस पार्टी (पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ) के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के लिए अपना बलिदान दिया था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार ने सभ्यतागत मूल्य जोड़ने के लिए नई संसद में सेंगोल की स्थापना की.’’ यादव ने कहा कि कांग्रेस ने भी राम सेतु मामले में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर दावा किया है कि भगवान राम का अस्तित्व नहीं है. यादव ने कहा कि संविधान के मूल अध्याय में भगवान राम की तस्वीर है लेकिन कांग्रेस ने उनकी अनदेखी कर नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिये.

विपक्षी दलों पर हमला करते हुए यादव ने कहा कि जब भी उन्होंने भाजपा सरकार के बारे में झूठ फैलाने की कोशिश की, जनता ने उन्हें चुनावी हार की सजा दी. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने बार-बार लोकतंत्र के तीन स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर हमला किया. पीएमके के अंबुमणि रामदास ने कहा कि देश में जाति आधारित जनगणना की जरूरत है, क्योंकि सभी आरक्षण इसी पर आधारित हैं.

द्रमुक के पी. विल्सन ने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल में सरकार ने संविधान की इमारत को ईंट दर ईंट नष्ट करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘संसद को कमजोर करने से लेकर अन्य संवैधानिक निकायों की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने एवं सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने तक, इस सरकार ने हमारे संविधान के ताने-बाने को तार-तार कर दिया है.’’

विल्सन ने आरोप लगाया कि 17वीं लोकसभा में 221 से अधिक विधेयकों को मंजूरी दी गई, लेकिन इनमें से एक तिहाई विधेयक एक घंटे से भी कम समय में या बिना बहस के पारित कर दिए गए. उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में हुए सबसे भीषण नरसंहार पर कोई चर्चा नहीं हुई, (जबकि) स्थायी समितियों को कागजी समितियों में तब्दील कर दिया गया है.’’ तृणमूल कांग्रेस की मौसम बी. नूर, यूपीपी (एल) सांसद रावंगवर नारजरी और भाजपा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने भी बहस में भाग लिया.

ये भी पढ़ें : सत्ता के हस्तांतरण के लिए सेंगोल पूरी तरह से काल्पनिक है, मनगढ़ंत कहानी है- एन राम

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