पटना : बिहार का अपना पहला सुपर कंप्यूटर 'परम बुद्ध' तैयार हो गया है. सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग अर्थात सीडैक ने इसे तैयार किया है. अन्य कंप्यूटरों से इतर इसमें जीपीयू यानी ग्राफिकल प्रोसेसिंग यूनिट लगा हुआ है. यह स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, विज्ञान, पुलिसिंग समेत अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र से जुड़े शोध को सरल तरीके से करने में मदद करता है.
रिसर्च से जुड़े कार्य आसानी से होंगे : 'परम बुद्ध' सुपर कंप्यूटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति से लैस है. सामान्य कंप्यूटर की तुलना में इसके कार्य करने की क्षमता हजारों गुना अधिक है. परम बुद्ध को बनाने वाले सीडैक साइंटिस्ट ने बताया कि इस कंप्यूटर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी जैसे रिसर्च के साथ-साथ मौसम और आपदा की भविष्यवाणियों के लिए एप्लीकेशन बनाने में मदद मिलती है.
तीन महीने में इन्स्टॉल हुआ सिस्टम : इस कंप्यूटर के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में फसल की तस्वीर देखकर उसके रोगों के बारे में बताने, शरीर के टिशु की तस्वीर को देखकर के कैंसर का स्टेज पता लगाने जैसे अन्य रिसर्च वर्क आसानी से संभव है. उन्होंने बताया कि इस सुपर कंप्यूटर के लिए लंबे समय से काम चल रहा था. सीडैक हेडक्वार्टर पुणे की टीम और यहां की टीम ने मिलकर इस पर काम किया है. 3 महीने में यह पूरा सिस्टम इन्स्टॉल हुआ है.
इस कंप्यूटर का रखरखाव है कठिन : सीडैक साइंटिस्ट ने बताया कि परम बुद्ध का रखरखाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. रखरखाव में तीन एलिमेंट्स हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि इसे अधिक समय के लिए ऑन रखना है. यह सिस्टम बहुत ही हीट रिलीज करता है, इसलिए सिस्टम रूम में कूलिंग को मेंटेन रखना होता है. इसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को अपडेट रखना है.
बिजली की खपत : यदि इसे आधी क्षमता पर चलते हैं तो 40 केवी बिजली की जरूरत पड़ती है और पूरी क्षमता पड़ी से चलाया जाए तो 80 से 100 किलो वाट बिजली की आवश्यकता पड़ती है. कूलिंग के लिए सिस्टम रूम में 8 से 10 टन का एसी निरंतर चलते रहता है. इसके अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की 24 घंटे मॉनिटरिंग होती है, इसके लिए उन लोगों ने अपना दर्पण तैयार किया है जो नेटवर्क मॉनिटरिंग सिस्टम है.
2 पेटाफ्लॉप है इसकी क्षमता : सीडैक साइंटिस्ट ने बताया कि परम बुद्ध के मॉनिटरिंग के लिए स्पेशलाइज्ड मैनपावर की जरूरत होती है जो सिर्फ और सिर्फ मॉनिटरिंग करते हैं. उन्होंने बताया कि कंप्यूटर का स्पीड फ्लॉप्स में मापते हैं. फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशंस पर सेकंड में कंप्यूटर की स्पीड मापी जाती है. इसका क्षमता दो पेटा फ्लॉप की है. एक कीवर्ड पर 10¹⁷ (10 स्क्वायर 17)इंस्ट्रक्शंस आ जाते हैं.
घंटों का काम सेकेंडों में : एक सामान्य कंप्यूटर पर जो काम 1 घंटे में हो सकते हैं यहां वह एक सेकंड में हो जाता है. इंटरनेट इसमें दो जगह उसे करना पड़ता है पहले बाहर से अंदर का एक्सेस देने के लिए, और दूसरा आपस में कनेक्टिविटी के लिए. आपस में कनेक्टिविटी के लिए स्पीड बहुत है, एक मशीन से दूसरे मशीन को लोकली बात करनी है तो 400 जीबी प्रति सेकंड की रफ्तार है. लेकिन इंटरनेट एक्सेस के लिए अभी 1GB प्रति सेकंड की रफ्तार हैं.
अभी 10% की क्षमता पर हो रहा इस्तेमाल : सीडैक साइंटिस्ट ने बताया कि सिस्टम रूम में हिट और नॉइस बहुत अधिक होती है. इसके सिस्टम में अलग से वाइब्रेशन कंट्रोल के लिए रैक में इक्विपमेंट लगाए गए हैं. इसके बावजूद यदि फुल स्पीड से चले तो बहुत वाइब्रेशन होता है. बिस्कोमान भवन के 14 वें तले पर यह सिस्टम इनस्टॉल है और यदि फुल कैपेसिटी में यह चले तो कई फ्लोर तक वाइब्रेशन महसूस किए जा सकते हैं. शीशे के तीन लेयर में पैक गेट है, बावजूद इसके मशीन के चलने की आवाज बाहर तक आ रही है. अभी निशुल्क में अलग-अलग संस्थानों के लिए रिसर्च के फील्ड में इस कंप्यूटर का इस्तेमाल हो रहा है.
रिसर्च में परम बुद्ध का इस्तेमाल : सीडैक पटना के निदेशक आदित्य कुमार सिन्हा ने बताया कि इस सुपर कंप्यूटर परम बुद्ध का इस्तेमाल रिसर्च के क्षेत्र में किया जा रहा है. अभी के समय साइबर सिक्योरिटी से संबंधित रिसर्च, क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में रिसर्च, डिजिटल ट्विनिंग के लिए, वाटर एंड फ्लड मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल और ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए परम बुद्ध का उपयोग किया जा रहा है.
''हम लोग बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में डाटा का रिसर्च कर रहे हैं. परम बुद्ध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस पैसा सुपर कंप्यूटर है जो कई पहलुओं पर टेस्टिंग में पूरी तरह सफल रहा है. यह स्मार्ट सिटी के लिए प्लानिंग, विज्ञान आधारित खेती को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकता है.''- आदित्य कुमार सिन्हा, निदेशक, सीडैक, पटना
कैंसर का पता लगाएगा परम बुद्ध : आदित्य कुमार सिन्हा ने बताया कि उनका करार आईजीआईएमएस से भी हुआ है. इसमें तस्वीर के माध्यम से कैंसर के स्टेज को डिटेक्ट करने के लिए रिसर्च चल रही है. त्वचा की तस्वीर देखकर कैंसर की स्थिति पता लगाई जा सकेगी. इसके लिए मरीजों के डाटा का अध्ययन हो रहा है.
''हेल्थ एंड मेडिकल साइंस के क्षेत्र में रिसर्च चल रहे हैं. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में रिसर्च के लिए उन लोगों का करार भागलपुर के बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से हुआ है. फसल की तस्वीर देखकर फसल की बीमारी का पता लगाने के साथ-साथ फसल के तैयार होने का पूर्वानुमान और किस क्षेत्र में किस प्रकार की फसल बेहतर होंगे इन सब पर रिसर्च चल रहा है.'' - आदित्य कुमार सिन्हा, निदेशक, सीडैक, पटना
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