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परीक्षण में सफल रहा फ्लोटिंग हाउस, अब तैरकर बक्सर से पहुंचेगा पटना, पढ़ें इसकी खासियत - Floating House

Floating House On Water: पानी पर तैरने वाले घर का परीक्षण पिछले एक साल से गंगा की तेज धार में किया जा रहा था. यह फ्लोटिंग हाउस अपने परीक्षण में पास रहा. घर को बनाने वाले इंजीनियर प्रशांत कुमार का दावा है कि यह घर कई विकल्पों में इस्तेमाल के लिए तैयार है. उन्हें इस घर को और बेहतर बनाने के लिए सरकारी मदद की दरकार है. पढ़ें पूरी खबर..

FLOATING HOUSE
पानी पर तैरता घर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 24, 2024, 6:27 AM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में पिछल साल गंगा नदी में एक अनूठा प्रयोग हुआ. यहां गंगा नदी पर तैरने वाला घर बनाया गया. यह काम आरा के एक युवक प्रशांत कुमार ने किया. इस काम में कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के उनके दोस्तों ने भी सहयोग किया. यह एक पाॅयलट प्रोजेक्ट था. उन्होंने कहा था कि अगर उनका प्रयोग सफल हुआ तो बाढ़ के दिनों में आवास की एक बड़ी चिंता से लोग मुक्त हो जाएंगे. कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के दोस्त और स्थानीय वॉलेंटियर की सहायता से बना यह घर पानी के तल पर लोहे के एंगल से बंधा है. बाढ़ के दिनों में नदी की लहरों के साथ ये घर तैरता रहेगा.

'तैरता घर' और बाढ़ प्रभावित इलाके : पिछले साल जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत कृतपुरा गांव के पास गंगा नदी पर तैरता घर बना रहे इंजीनियर प्रशांत से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की थी. प्रशांत ने बताया था कि बिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की विभीषिका से परेशान रहता है. बाढ़ के समय लोगों को पलायन करना पड़ता है. जब वह लौट कर वापस अपने घर आते हैं तो उनके पास रहने के लिए छत नहीं रहती. ऐसे में कुछ ऐसा तैयार करने की सोची, जिससे बाढ़ पीड़ितों के घर की समस्या का समाधान हो.

बक्सर में तैरने वाला घर (ETV Bharat)

किस मैटेरियल से बना है फ्लोटिंग हाउस ? : इस घर को बनाने में जो भी मैटेरियल का उपयोग किया है, वो सब आसानी से नजदीक में ही उपलब्ध हो जाते हैं. उससे पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है. बाढ़ आने पर यह घर गंगा के पानी के साथ ऊपर चला जाएगा और बाढ़ खत्म होते ही पुनः यह अपने स्थान पर आ जाएगा. इसमें शयन कक्ष, रसोई घर, स्नानागार, शौचालय भी बनाया जा रहा है. साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि जो गंदा पानी अथवा जो भी कचरा यहां से निकले, वह नदी में न जाए ताकि नदी भी प्रदूषित न हो.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

तैरता घर बनाने का मकसद क्या? : प्रशांत बताते हैं कि बाढ़ पीड़ित लोगों को बाढ़ खत्म होने के बाद एक बार फिर से अपना जीवन शुरू करना पड़ता है. ऐसे लोगों की परेशानियों को देखते हुए सरकार जो भी सहायता देती है वे कुछ दिनों के लिए होती हैं. ऐसे में पानी पर तैरने वाला एक उनके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है, जिसमें आराम से कोई भी व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ रह सकता है, खेती कर सकता है और बाढ़ के कहर से अपना बचाव कर सकता है. प्रशांत ने बताया कि पिछले एक साल से बना यह 'तैरता घर' अब पटना के दियारा क्षेत्र में ले जाने की तैयारी है. वहां अभी बाढ़ से लोग पीड़ित हैं. वहाँ इसका उपयोग व्यापक स्तर पर दिखाया जाएगा.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कितने रुपए आती है लागत? : करीब 900 वर्गफुट में बने इस तैरते घर की लागत लगभग 6 लाख रुपये आई थी. प्रशांत के अनुसार इस घर में ना तो डीजल और पेट्रोल जलाने की आवश्यकता होती है और ना ही कार्बन उत्सर्जन होता है. इस घर को बनाने में जिस ईंट का प्रयोग हुआ उसे गोबर और मिट्टी तथा धान और उड़द की भूसी से बनाया गया है. इस ईंट का वजन भी केवल ढाई-तीन सौ ग्राम था. ऐसे में बिना पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाये जो घर की वेस्ट मैटेरियल है, उसी से इसका निर्माण किया गया. पेंट और इंजन ऑयल आदि के खाली ड्रम, मिट्टी-गोबर जैसी सामग्री से उन्होंने यह घर बनाया.

गंगा में लंगर डालकर खड़ा 'तैरता घर'
गंगा में लंगर डालकर खड़ा 'तैरता घर' (ETV Bharat)

''चाहे पटना हो, आरा हो या बक्सर, सभी जगह प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग मिला था. अनुमति मिलने के बाद ही कृतपुरा के पास गंगा में तैरते हुए घर का निर्माण शुरू किया. अब निर्माण के एक साल बीत जाने और परीक्षण में सफलता के बाद इसे बाढ़ प्रभावित बिहार की राजधानी पटना के दियारा क्षेत्र में ले जाने की तैयारी है. वहाँ पर इसका व्यापक उपयोग और प्रचार प्रसार किया जाएगा. दीवारें मिट्टी से बने होने के बावजूद पिछले साल से ही पूरी तरह सुरक्षित हैं. छत भी पूरी तरह सुरक्षित है.''- प्रशांत कुमार, घर बनाने वाले इंजीनियर

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

पटना ले जाने का क्या मकसद है? : इस सवाल के जवाब में प्रशांत ने कहा कि पटना बड़ा क्षेत्र है, बिहार की राजधानी है, वहाँ देश विदेश के लोग आते हैं. उनलोगों को इस घर के बारे में दिखना और बताना है. सरकार से मांग भी होगी कि इस प्रोजेक्ट में मदद करें. प्रशांत ने कहा कि हालांकि स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का प्रोत्साहन मिला है, किंतु सरकार स्तर से कोई सहायता अभी नहीं मिली है. जबकि इस तैरते हुए घर का उपयोग बाढ़ से निजात दिलाने और गर्मी से बचने दोनों में बहुत उपयोगी हो सकता है. पटना में ले जाकर वहां स्थानीय लोगों को बताना भी है कि देखिए कैसे तैरने वाला घर बनाया जा सकता है.

पहले परीक्षण में पास हुआ फ्लोटिंग हाउस
पहले परीक्षण में पास हुआ फ्लोटिंग हाउस (ETV Bharat)

सुरक्षित है तैरता घर : बता दें कि जब घर बनाया जा रहा था तब प्रशांत ने कहा था कि फ्लोटिंग हाउस का कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने इसे पर्यटकों को रिझाने के लिए भी इस्तेमाल की बात कही थी, बाढ़ के दौरान आपात हॉस्पिटल के रूप में, बाढ़ की विभीषिका के दौरान शेल्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उस वक्त यह कहना मुश्किल था कि ये कितना कारगर होगा लेकिन पिछले एक साल से गंगा की लहरों के थपेड़ों को सहकर भी फ्लोटिंग हाउस बिना किसी क्षति के खड़ा है. इससे यह दिखाने की कोशिश है कि यह काफी सुरक्षित है.

फ्लोटिंग हाउस का नजारा
फ्लोटिंग हाउस का नजारा (ETV Bharat)

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बक्सर: बिहार के बक्सर में पिछल साल गंगा नदी में एक अनूठा प्रयोग हुआ. यहां गंगा नदी पर तैरने वाला घर बनाया गया. यह काम आरा के एक युवक प्रशांत कुमार ने किया. इस काम में कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के उनके दोस्तों ने भी सहयोग किया. यह एक पाॅयलट प्रोजेक्ट था. उन्होंने कहा था कि अगर उनका प्रयोग सफल हुआ तो बाढ़ के दिनों में आवास की एक बड़ी चिंता से लोग मुक्त हो जाएंगे. कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के दोस्त और स्थानीय वॉलेंटियर की सहायता से बना यह घर पानी के तल पर लोहे के एंगल से बंधा है. बाढ़ के दिनों में नदी की लहरों के साथ ये घर तैरता रहेगा.

'तैरता घर' और बाढ़ प्रभावित इलाके : पिछले साल जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत कृतपुरा गांव के पास गंगा नदी पर तैरता घर बना रहे इंजीनियर प्रशांत से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की थी. प्रशांत ने बताया था कि बिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की विभीषिका से परेशान रहता है. बाढ़ के समय लोगों को पलायन करना पड़ता है. जब वह लौट कर वापस अपने घर आते हैं तो उनके पास रहने के लिए छत नहीं रहती. ऐसे में कुछ ऐसा तैयार करने की सोची, जिससे बाढ़ पीड़ितों के घर की समस्या का समाधान हो.

बक्सर में तैरने वाला घर (ETV Bharat)

किस मैटेरियल से बना है फ्लोटिंग हाउस ? : इस घर को बनाने में जो भी मैटेरियल का उपयोग किया है, वो सब आसानी से नजदीक में ही उपलब्ध हो जाते हैं. उससे पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है. बाढ़ आने पर यह घर गंगा के पानी के साथ ऊपर चला जाएगा और बाढ़ खत्म होते ही पुनः यह अपने स्थान पर आ जाएगा. इसमें शयन कक्ष, रसोई घर, स्नानागार, शौचालय भी बनाया जा रहा है. साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि जो गंदा पानी अथवा जो भी कचरा यहां से निकले, वह नदी में न जाए ताकि नदी भी प्रदूषित न हो.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

तैरता घर बनाने का मकसद क्या? : प्रशांत बताते हैं कि बाढ़ पीड़ित लोगों को बाढ़ खत्म होने के बाद एक बार फिर से अपना जीवन शुरू करना पड़ता है. ऐसे लोगों की परेशानियों को देखते हुए सरकार जो भी सहायता देती है वे कुछ दिनों के लिए होती हैं. ऐसे में पानी पर तैरने वाला एक उनके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है, जिसमें आराम से कोई भी व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ रह सकता है, खेती कर सकता है और बाढ़ के कहर से अपना बचाव कर सकता है. प्रशांत ने बताया कि पिछले एक साल से बना यह 'तैरता घर' अब पटना के दियारा क्षेत्र में ले जाने की तैयारी है. वहां अभी बाढ़ से लोग पीड़ित हैं. वहाँ इसका उपयोग व्यापक स्तर पर दिखाया जाएगा.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कितने रुपए आती है लागत? : करीब 900 वर्गफुट में बने इस तैरते घर की लागत लगभग 6 लाख रुपये आई थी. प्रशांत के अनुसार इस घर में ना तो डीजल और पेट्रोल जलाने की आवश्यकता होती है और ना ही कार्बन उत्सर्जन होता है. इस घर को बनाने में जिस ईंट का प्रयोग हुआ उसे गोबर और मिट्टी तथा धान और उड़द की भूसी से बनाया गया है. इस ईंट का वजन भी केवल ढाई-तीन सौ ग्राम था. ऐसे में बिना पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाये जो घर की वेस्ट मैटेरियल है, उसी से इसका निर्माण किया गया. पेंट और इंजन ऑयल आदि के खाली ड्रम, मिट्टी-गोबर जैसी सामग्री से उन्होंने यह घर बनाया.

गंगा में लंगर डालकर खड़ा 'तैरता घर'
गंगा में लंगर डालकर खड़ा 'तैरता घर' (ETV Bharat)

''चाहे पटना हो, आरा हो या बक्सर, सभी जगह प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग मिला था. अनुमति मिलने के बाद ही कृतपुरा के पास गंगा में तैरते हुए घर का निर्माण शुरू किया. अब निर्माण के एक साल बीत जाने और परीक्षण में सफलता के बाद इसे बाढ़ प्रभावित बिहार की राजधानी पटना के दियारा क्षेत्र में ले जाने की तैयारी है. वहाँ पर इसका व्यापक उपयोग और प्रचार प्रसार किया जाएगा. दीवारें मिट्टी से बने होने के बावजूद पिछले साल से ही पूरी तरह सुरक्षित हैं. छत भी पूरी तरह सुरक्षित है.''- प्रशांत कुमार, घर बनाने वाले इंजीनियर

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

पटना ले जाने का क्या मकसद है? : इस सवाल के जवाब में प्रशांत ने कहा कि पटना बड़ा क्षेत्र है, बिहार की राजधानी है, वहाँ देश विदेश के लोग आते हैं. उनलोगों को इस घर के बारे में दिखना और बताना है. सरकार से मांग भी होगी कि इस प्रोजेक्ट में मदद करें. प्रशांत ने कहा कि हालांकि स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का प्रोत्साहन मिला है, किंतु सरकार स्तर से कोई सहायता अभी नहीं मिली है. जबकि इस तैरते हुए घर का उपयोग बाढ़ से निजात दिलाने और गर्मी से बचने दोनों में बहुत उपयोगी हो सकता है. पटना में ले जाकर वहां स्थानीय लोगों को बताना भी है कि देखिए कैसे तैरने वाला घर बनाया जा सकता है.

पहले परीक्षण में पास हुआ फ्लोटिंग हाउस
पहले परीक्षण में पास हुआ फ्लोटिंग हाउस (ETV Bharat)

सुरक्षित है तैरता घर : बता दें कि जब घर बनाया जा रहा था तब प्रशांत ने कहा था कि फ्लोटिंग हाउस का कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने इसे पर्यटकों को रिझाने के लिए भी इस्तेमाल की बात कही थी, बाढ़ के दौरान आपात हॉस्पिटल के रूप में, बाढ़ की विभीषिका के दौरान शेल्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उस वक्त यह कहना मुश्किल था कि ये कितना कारगर होगा लेकिन पिछले एक साल से गंगा की लहरों के थपेड़ों को सहकर भी फ्लोटिंग हाउस बिना किसी क्षति के खड़ा है. इससे यह दिखाने की कोशिश है कि यह काफी सुरक्षित है.

फ्लोटिंग हाउस का नजारा
फ्लोटिंग हाउस का नजारा (ETV Bharat)

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