नई दिल्लीः अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे की पीछे वजह सामने आ गई है. उन्हें आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन रास नहीं आ रहा था. बता दें कि लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद से कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चलने को लेकर शीर्ष नेतृत्व की उदासीनता का यह बड़ा खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है.
अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा देते हुए यह साफ कह दिया है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस उस पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के एकमात्र आधार पर बनी थी. बावजूद इसके कांग्रेस ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया.़
सीट शेयरिंग पर भी सामने आई थी नाराजगी
इस बीच देखा जाए तो 'इंडिया गठबंधन' के तहत आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग मुद्दे से भी प्रदेश नेताओं और कार्यकर्ताओं में कड़ी नाराजगी बनी हुई थी. खासकर दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट लीोकसभा सीट और नॉर्थ वेस्ट लोकसभा सीट पर ज्यादा खींचतान मची हुई थी. नॉर्थ वेस्ट सीट पर डॉ उदित राज का खुलकर विरोध किया जा रहा है जिसके चलते पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान का इस्तीफा भी हो चुका है. हालांकि, चौहान ने अपने इस्तीफा होने की बड़ी वजह एक वीडियो जारी कर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के दुर्व्यवहार को बताया था.
2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की थी ज्वाइन
गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इससे पहले भी 2017 में कांग्रेस छोड़ी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे. करीब एक साल तक बीजेपी में रहने के बाद उन्होंने वापस सितंबर, 2018 में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. उनको वापस लाने में उस वक्त के दिल्ली प्रदेश प्रभारी पीसी चाको की अहम भूमिका रही थी. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उनको ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट भी दिया था. वह चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन बीजेपी के गौतम गंभीर ने उनको मात दे दी थी.
लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में थे लवली
लवली इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में थे लेकिन पार्टी इस बार दिल्ली में 'इंडिया गठबंधन' के तहत आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर सीट शेयरिंग फार्मूला के अंतर्गत चुनाव लड़ रही है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को 3 सीटें दिल्ली में दी हैं जिनमें नॉर्थ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट और चांदनी चौक लोकसभा सीट हैं. इनमें से ज्यादातर बवाल नॉर्थ ईस्ट और नॉर्थ वेस्ट सीट से उतारे गए कैंडिडेट्स के नामों को लेकर है. कन्हैया कुमार को उतारे जाने को लेकर शीर्ष नेतृत्व भले हर राजी हो लेकिन प्रदेश नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं में इसको लेकर शुरुआत से नाराजगी बनी हुई है. डॉ. उदित राज के नाम को लेकर भी यही स्थिति बनी हुई है.
आप पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थे अरविंदर सिंह लवली
हैरान करने वाली बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के सामने इस बात को साफ कर चुका था कि आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली में गठबंधन नहीं किया जाना चाहिए. कांग्रेस को सभी सातों सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे जाने चाहिए. इसको लेकर पार्टी की तरफ से सशक्त दावेदार के रूप में संभावित प्रत्याशियों के नाम भी भेजे गए थे. लेकिन इस सभी को दरकिनार कर दिया गया और आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर सीट शेयरिंग पर चुनाव लड़ने का निर्णय हुआ. इसके बाद नाराजगी की लगी चिंगारी ने आग का रूप ले लिया है.
दरअसल, कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता, आम आदमी पार्टी के साथ बिल्कुल भी समझौता करने के पक्ष में नहीं थे. स्थानीय नेता इस बात का लगातार कहते आ रहे हैं जिस आम आदमी पार्टी ने 2014 में कांग्रेस को खत्म कर दिया और उसके खिलाफ लगातार 10 साल से दुष्प्रचार किया. दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ निराधार आरोप लगाए, उसको गले लगा लिया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लवली भी आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने के पक्ष में शुरुआत से ही नहीं थे. अब जब भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में हैं और दिल्ली के राज्यसभा सांसद संजय सिंह बेल पर हैं, ऐसे में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में आप नेताओं को लेकर कैसे काउंटर करेगी. माना जा रहा है कि अरविंदर सिंह लवली के पार्टी छोड़ने के बाद कई और बड़े नेताओं के इस्तीफा होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है.
इस बीच देखा जाए तो अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफा देने के बाद कई और नेता पूरे बगावती मूड में माने जा रहे हैं. पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार, पूर्व विधायक जयकिशन, पूर्व विधायक भीष्म शर्मा, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और कई बड़े नेता आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के खिलाफ दिख रहे हैं.
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