भोपाल : कूनो नेशनल पार्क में श्योपुर और शिवपुरी का 54 हजार 249 हेक्टेयर वन क्षेत्र जुड़ने से इसका कुल क्षेत्रफल 1 लाख 77 हजार हेक्टेयर हो जाएगा. वन विभाग के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के विस्तार के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. जल्द ही इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. कूनो नेशनल पार्क का टोटल एरिया बढ़ने से चीतों के साथ-साथ जानवरों की विभिन्ना प्रजातियों को इसका लाभ मिलेगा. सबसे खास बात ये है कि अब कूनों के चीतों को बार-बार सरहद लांघने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उधर कूनो प्रोजेक्ट को लेकर ऑडिट में कई गंभीर आपत्तियां भी जताई गई हैं.
कूनो में चीते आए पर सवाल बसाहट का
कूनो पालपुर में चीतों को बसाने को लेकर ऑडिट रिपोर्ट में कई बड़े सवाल हैं. ये सवाल किसी बड़े खुलासे से कम नहीं है. मसलन पहला सवाल यही है कि अफ्रीका से लाए गए चीतों के लिए कूनो पार्क में पुनर्वास प्रोजेक्ट का इनका जिक्र ही नहीं है. इससे पहले इस प्रोजेक्ट पर 44 करोड़ रुपए खर्च हुए मगर यह प्रबंधन योजना के तहत खर्च नहीं हुए. यही नहीं ऑडिट की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से साल 2020 में नियुक्त 3 सदस्यों की रिपोर्ट भी नहीं है जो एक्सपर्ट थे.
किसने किया था चीता प्रोजेक्ट का विरोध
कूनो नेशनल पार्क को गिर के शेरों का दूसरा घर बनाया जाना था. यहां पर एशियाटिक लायन लाए जाने थे. इसे लेकर पालपुर रियासत के वंशजों ने कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होने अपनी जमीन की मांग करते हुए कहा था कि जिस जमीन और किले के इर्द गिर्द चीते लाए जा रहे हैं उसे शेरों के लिए अधिग्रहित किया गया था. इसे लेकर श्योपुर ADJ कोर्ट में भी याचिक लगाई गई थी.
कूनो में मैदानी अमले की कमी
कूनो नेशनल पार्क को लेकर कैग की रिपोर्ट में गंभीर आपत्तियां भी जताई गई हैं. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कूनो नेशनल पार्क में चीता बिना वर्किंग प्लान के ही बसा दिए गए. यहां तक चीता प्रोजेक्ट मैदानी अमले की कमी में चल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कूनो नेशनल पार्क में मैदानी अमले के रूप में पदस्थ रहने वाले वन क्षेत्रपाल के 14 पद स्वीकृत हैं, जबकि यहां सिर्फ 8 क्षेत्रपाल पदस्थ हैं. इसी प्रकार उप वन क्षेत्रपाल के 12 पद हैं, लेकिन कार्यरत 6 हैं. वहीं वनपाल के 45 पद हैं, लेकिन सिर्फ 15 वनपाल ही यहां पदस्थ हैं.
कैग रिपोर्ट में सामने आईं अनियमितताएं
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि इस प्रोजेक्ट को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय की कमी देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि अफ्रीका से चीतों को लाने के बाद आगे चीते लाने का कोई जिक्र नहीं है. कूनो प्रोजेक्ट के दौरान खरपतवार को हटाने पर किए गए साढ़े तीन करोड़ की राशि के व्यय को लेकर भी आपत्ति जताई गई है. ऑडिट ने कूनो प्रबंधन द्वारा रोडक बही संधारित न किए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई.रिपोर्ट में कहा गया कि कार्ययोजना में प्रावधान था कि इस प्रोजेक्ट में लगे किसी भी अधिकारी को 5 साल तक नहीं हटाया जाएगा, लेकिन डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा को हटा दिया गया.
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कूनो का क्षेत्रफल बढ़ने से चुनौतियां भी बढ़ेंगी
कूनो नेशनल पार्क तकरीबन 1200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, शिवपुरी और श्योपुर का एरिया जुड़ने के बाद चीतों के लिए जंगल और बढ़ जाएगा. इसके बाद अब चीतों के कूनों की सीमा से बार-बार बाहर जाने की समस्या खत्म होगी. रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी डॉ. सुदेश बाघमारे कहते हैं, '' कूनो की सीमा बढ़ने से काफी लाभ होगा. चीतों को और बड़ा एरिया मिलेगा, साथ ही इनकी निगरानी भी बेहतर होगी. पिछले दो सालों में कूनो से कई अच्छी और कुछ बुरी खबरें आई हैं, लेकिन उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट सफल साबित होगा.''