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पोस्टकार्ड कलेक्शन बना जिंदगी का जुनून, रिटायर्ड कर्मचारी ने घर में बना डाला म्यूजियम

Bhopal Postcard Museum: कहते हैं कि शौक बड़ी चीज होती है. भोपाल के एक शख्स ने अनोखा शौक पाला है. एक रिटायर्ड कर्मचारी ने अपने घर को ही म्यूजियम बना दिया है. आजादी से लेकर अभी तक के पोस्टकार्ड उनके कलेक्शन में हैं. इनके पास उल्कापिंडो का भी कलेक्शन है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 26, 2024, 7:10 PM IST

Updated : Feb 26, 2024, 9:12 PM IST

postcard museum in bhopal
कीर्ति कुमार जैन के पास है पोस्टकार्ड कलेक्शन
रिटायर्ड कर्माचारी ने घर में बना डाला म्यूजियम

भोपाल। बचपन से संग्रह का शौक लगा, लेकिन जब नौकरी से रिटायर्ड हुए तो इस शौक को पूरा करने घर में ही म्यूजियम बना दिया. मध्यप्रदेश वेयर हाउस कारर्पोरेशन के सहायक महाप्रबंधक कीर्ति कुमार जैन ने पिछले 127 सालों में जारी हुए पोस्टकार्ड का अद्भुत संग्रह किया है. उनके इस कलेक्शन में वर्ष 1897 में महारानी विक्टोरिया द्वारा जारी किया गया पोस्टकार्ड भी मौजूद है. इसके अलावा देश की तमाम रियासतों और आजादी के बाद भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पोस्टकार्ड भी उनके पास मौजूद हैं. पोस्टकार्ड के अलावा अलग-अलग सीरीज के डाक टिकट का कलेक्शन भी है.

12 साल की उम्र से शुरू कलेक्शन

कीर्ति कुमार जैन बताते हैं कि ''मेरा परिवार खंडवा में रहता था, मेरे दादा स्वर्गीय दयाचंद जैन वहां के नामी वकील थे, घर से लगा हुआ उनका ऑफिस भी था. लेकिन उनके निधन के बाद उसमें ताला डाल दिया गया था, उस वक्त मेरी उम्र 12 साल की थी. एक बार एक पतंग कटकर दादाजी के ऑफिस के पास गिर गई. उसे उठाने के दौरान खिड़की से अंदर झांककर देखा तो उसमें एलएलबी की किताबें और कई कागज रखे थे. कुछ दिन बाद ऑफिस के अंदर गया और फाइलों में कई पोस्टकार्ड मिले. तरह-तरह के पोस्टकार्ड देखकर उत्सुकता जागी और फिर उनका कलेक्शन करना शुरू कर दिया.

Bhopal Postcard Museum
कीर्ति कुमार जैन के पास है पोस्टकार्ड कलेक्शन

पोस्टकार्ड के कलेक्शन का सिलसिला

कीर्ति कुमार जैन ने बताया कि ''घर में थोक किराने की दुकान भी थी, उस दुकान में सामान की खरीद-बिक्री की जानकारी के लिए पोस्टकार्ड से मैसेज आते थे. यह पोस्टकार्ड भी दादाजी के ऑफिस से मिले. इसके बाद पोस्टकार्ड के कलेक्शन का सिलसिला शुरू हो गया. बड़ा हुआ तो फिर दोस्तों से, किताबों की दुकानों से, कबाड़ की दुकानों से पोस्टकार्ड का कलेक्शन चलता रहा.''

1500 से ज्यादा पोस्टकार्ड कलेक्शन में मौजूद

कीर्ति कुमार जैन बताते हैं कि ''बड़ा हुआ तो मध्यप्रदेश वेयर हाउस कारर्पोरेशन में नौकरी लग गई. लेकिन जब भी समय मिलता कलेक्शन का काम चलता रहता. आज मेरे पास 1500 से ज्यादा अलग-अलग पोस्टकार्ड का कलेक्शन मौजूद है. इसके अलावा अलग-अलग बर्ड्स, मसरूम सीरीज के डाक टिकट का भी कलेक्शन उपलब्ध है.'' कीर्ति जैन कहते हैं कि ''5 साल पहले रिटायर्ड होने के बाद इस कलेक्शन को व्यवस्थित करना शुरू किया. अब घर के एक कमरे में कलेक्शन का म्यूजियम खोला है, ताकि स्कूल के बच्चे यहां आएं और इन डाक टिकट, पोस्टल कार्ड को देख सकें.''

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सबसे पुराना 1897 का पोस्टकार्ड

- कीर्ति कुमार जैन के पास 1897 में जारी हुआ पोस्टकार्ड भी मौजूद है. उस समय देश में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था. यह पोस्टकार्ड महारानी विक्टोरिया द्वारा जारी किया था.
- अंग्रेजों के शासन के दौरान वर्ष 1903 में जारी किया गया गया पोस्टकार्ड भी उपलब्ध है. इस पोस्टकार्ड को किंग जॉर्ज द्वारा जारी किया गया था.
- अंग्रेजों के अलावा उस वक्त देश में जयपुर स्टेट, ग्वालियर स्टेट, होल्कर स्टेट जैसी कई बड़ी रियासतें थी. इन रियासतों द्वारा भी पोस्टकार्ड जारी किए गए थे. इन रियासतों के पोस्टकार्ड भी कलेक्शन में मौजूद हैं.

रिटायर्ड कर्माचारी ने घर में बना डाला म्यूजियम

भोपाल। बचपन से संग्रह का शौक लगा, लेकिन जब नौकरी से रिटायर्ड हुए तो इस शौक को पूरा करने घर में ही म्यूजियम बना दिया. मध्यप्रदेश वेयर हाउस कारर्पोरेशन के सहायक महाप्रबंधक कीर्ति कुमार जैन ने पिछले 127 सालों में जारी हुए पोस्टकार्ड का अद्भुत संग्रह किया है. उनके इस कलेक्शन में वर्ष 1897 में महारानी विक्टोरिया द्वारा जारी किया गया पोस्टकार्ड भी मौजूद है. इसके अलावा देश की तमाम रियासतों और आजादी के बाद भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पोस्टकार्ड भी उनके पास मौजूद हैं. पोस्टकार्ड के अलावा अलग-अलग सीरीज के डाक टिकट का कलेक्शन भी है.

12 साल की उम्र से शुरू कलेक्शन

कीर्ति कुमार जैन बताते हैं कि ''मेरा परिवार खंडवा में रहता था, मेरे दादा स्वर्गीय दयाचंद जैन वहां के नामी वकील थे, घर से लगा हुआ उनका ऑफिस भी था. लेकिन उनके निधन के बाद उसमें ताला डाल दिया गया था, उस वक्त मेरी उम्र 12 साल की थी. एक बार एक पतंग कटकर दादाजी के ऑफिस के पास गिर गई. उसे उठाने के दौरान खिड़की से अंदर झांककर देखा तो उसमें एलएलबी की किताबें और कई कागज रखे थे. कुछ दिन बाद ऑफिस के अंदर गया और फाइलों में कई पोस्टकार्ड मिले. तरह-तरह के पोस्टकार्ड देखकर उत्सुकता जागी और फिर उनका कलेक्शन करना शुरू कर दिया.

Bhopal Postcard Museum
कीर्ति कुमार जैन के पास है पोस्टकार्ड कलेक्शन

पोस्टकार्ड के कलेक्शन का सिलसिला

कीर्ति कुमार जैन ने बताया कि ''घर में थोक किराने की दुकान भी थी, उस दुकान में सामान की खरीद-बिक्री की जानकारी के लिए पोस्टकार्ड से मैसेज आते थे. यह पोस्टकार्ड भी दादाजी के ऑफिस से मिले. इसके बाद पोस्टकार्ड के कलेक्शन का सिलसिला शुरू हो गया. बड़ा हुआ तो फिर दोस्तों से, किताबों की दुकानों से, कबाड़ की दुकानों से पोस्टकार्ड का कलेक्शन चलता रहा.''

1500 से ज्यादा पोस्टकार्ड कलेक्शन में मौजूद

कीर्ति कुमार जैन बताते हैं कि ''बड़ा हुआ तो मध्यप्रदेश वेयर हाउस कारर्पोरेशन में नौकरी लग गई. लेकिन जब भी समय मिलता कलेक्शन का काम चलता रहता. आज मेरे पास 1500 से ज्यादा अलग-अलग पोस्टकार्ड का कलेक्शन मौजूद है. इसके अलावा अलग-अलग बर्ड्स, मसरूम सीरीज के डाक टिकट का भी कलेक्शन उपलब्ध है.'' कीर्ति जैन कहते हैं कि ''5 साल पहले रिटायर्ड होने के बाद इस कलेक्शन को व्यवस्थित करना शुरू किया. अब घर के एक कमरे में कलेक्शन का म्यूजियम खोला है, ताकि स्कूल के बच्चे यहां आएं और इन डाक टिकट, पोस्टल कार्ड को देख सकें.''

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सबसे पुराना 1897 का पोस्टकार्ड

- कीर्ति कुमार जैन के पास 1897 में जारी हुआ पोस्टकार्ड भी मौजूद है. उस समय देश में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था. यह पोस्टकार्ड महारानी विक्टोरिया द्वारा जारी किया था.
- अंग्रेजों के शासन के दौरान वर्ष 1903 में जारी किया गया गया पोस्टकार्ड भी उपलब्ध है. इस पोस्टकार्ड को किंग जॉर्ज द्वारा जारी किया गया था.
- अंग्रेजों के अलावा उस वक्त देश में जयपुर स्टेट, ग्वालियर स्टेट, होल्कर स्टेट जैसी कई बड़ी रियासतें थी. इन रियासतों द्वारा भी पोस्टकार्ड जारी किए गए थे. इन रियासतों के पोस्टकार्ड भी कलेक्शन में मौजूद हैं.

Last Updated : Feb 26, 2024, 9:12 PM IST
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