ETV Bharat / bharat

मध्य प्रदेश में गरीबों को नहीं भा रहे पक्के मकान, डेढ़ लाख लोगों ने सरेंडर किए पीएम आवास

झुग्गियां खत्म करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है लेकिन यहां रहने वाले पानी-बिजली का बिल भरना नहीं चाहते.

PRADHAN MANTRI AWAS YOJANA MP
प्रधानमंत्री आवास योजना (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार शहरों में मौजूद झुग्गी बस्तियों को खत्म करना चाहती है, जिससे यहां रहने वाले लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के साथ उन्हें बेहतर जीवन स्तर प्रदान किया जा सके. इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को सस्ते और निशुल्क पक्के मकान उपलब्ध करा रही है. इसके बावजूद लोगों का मोह झुग्गी बस्तियों से नहीं छूट रहा है. हितग्राही सरकार के दबाव में पक्का मकान तो ले लेते हैं, लेकिन वो झुग्गियों में रहना नहीं छोड़ते.

डेढ़ लाख हितग्राहियों ने सरेंडर किए पीएम आवास

मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में झुग्गी उन्मूलन के लिए गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान बनाकर दिए जा रहे हैं. लेकिन हितग्राही पक्के मकानों में रहने से परहेज कर रहे हैं. बीते 7 सालों में मध्यप्रदेश के अंदर करीब डेढ़ लाख से अधिक हितग्राही हैं, जिन्होंने पक्के मकान लेने के बाद उसे सरकार को वापस सरेंडर कर दिया है. बता दें कि साल 2015 में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के 413 नगरीय निकायों के लिए 11 लाख 52 हजार पीएम आवास की डिमांड की थी. इनमें से 9 लाख आवासों के लिए प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था. उसमें भी करीब डेढ़ लाख यानि करीब 14 प्रतिशत लोग पीएम आवास लेने के बाद उसे वापस कर चुके हैं.

pm awas rejected madhya pradesh
डेढ़ लाख लोगों ने सरेंडर किए पीएम आवास (ETV Bharat)

पानी-बिजली का बिल नहीं भरना चाहते हितग्राही

नगरीय निकायों से झुग्गी बस्तियां खत्म नहीं होने के 2 बड़े कारण हैं. इसमें सरकारी अधिकारी हितग्राहियों से बिना अनुमति लिए उन्हें मकान स्वीकृत कर देते हैं. वहीं मकान आवंटन होने के बाद भी झुग्गी बस्ती खाली नहीं कराते. ऐसे में लोग पीएम आवास लेने के बाद भी झुग्गी में रहने चले जाते हैं. दूसरा कारण झुग्गी में रहने वाले लोगों को टैक्स नहीं चुकाना है. दरअसल जब तक वो झुग्गी में रहते हैं, उन्हें पानी और बिजली का बिल नहीं चुकाना पड़ता है. वहीं पीएम आवास में आने के बाद उन्हें पानी-बिजली के साथ सोसायटी के अन्य खर्च भी उठाने पड़ते हैं.

पीएम आवास लेने के बाद वसूल रहे किराया

भोपाल नगर निगम की बात करें तो शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अब तक 8500 से अधिक प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन किया जा चुका है. लेकिन इसमें 40 प्रतिशत लोग ही रहे रहे हैं. जबकि 60 फीसदी लोग या तो ऐसे थे, जिनके पास पहले से ही मकान था या फिर ऐसे लोग जो झुग्गी से विस्थापित होकर पीएम आवास का आवंटन तो करा लिया, लेकिन अब फिर किसी अन्य स्थान पर झुग्गी बनाकर रह रहे हैं. जो मकान उन्हें आवंटित हुआ है, उसे किराए पर चढ़ाकर हर महीने 3 से 5 हजार रुपये किराया वसूला जा रहा है. इधर शहर में स्मार्ट सिटी समेत अन्य परियोजनाओं के कारण एक दर्जन से अधिक झुग्गी बस्तियों को विस्थापित किया जाना है, लेकिन पर्याप्त मकान नहीं होने से इनको पीएम आवास नहीं मिल रहा.

मकान आवंटन के बाद 30 प्रतिशत लागों ने नहीं लिया पजेशन

नगर निगम भोपाल की मालीखेड़ी, राहुल नगर और कोकता ट्रांसपोर्ट नगर समेत अन्य स्थानों पर बनाए गए मकानों का शत प्रतिशत आवंटन किया जा चुका है. लेकिन यहां 30 प्रतिशत से अधिक मकान खाली हैं, लोगों ने अब तक पजेशन नहीं लिया है. जिससे इनके द्वारा कालोनी का मेंटेनेंस शुल्क भी नहीं जमा किया जाता है. ऐसे में जो रहवासी यहां रह रहे हैं, उन्हें भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. जबकि कई मकानों में किराएदार रह रहे हैं, वो भी पानी-बिजली और मेंटेनेंस शुल्क जमा नहीं करते.

ये भी पढ़ें:

PM आवास योजना का दायरा बढ़ा, 4 शर्तों में बड़ा बदलाव, देखें- ये है नई गाइडलाइन

PM आवास नहीं मिलने से ग्रामीण गुस्से में "अपात्रों को दिए घर, जरूरतमंदों की सुनवाई नहीं"

पीएम आवास बेचने का अधिकार बिल्डरों को देगी सरकार

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अपर आयुक्त डॉ परीक्षित राव झाड़े ने बताया कि "जो आवास सरेंडर किए जा रहे हैं, उनमें पीएम आवास की लोकेशन शहर से दूर होना और हितग्राहियों का माईग्रेट होना है. इसके लिए अब नगरीय निकायों द्वारा एक टीम बनाकर पीएम आवास में हितग्राहियों का भौतिक परीक्षण कराया जाएगा. वहीं सरकार अब पीएम आवास को बेचने के लिए प्राइवेट बिल्डरों का सहारा लेने की योजना बना रही है. जिससे आवास जरुरतमंदों को मिल सके."

भोपाल: मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार शहरों में मौजूद झुग्गी बस्तियों को खत्म करना चाहती है, जिससे यहां रहने वाले लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के साथ उन्हें बेहतर जीवन स्तर प्रदान किया जा सके. इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को सस्ते और निशुल्क पक्के मकान उपलब्ध करा रही है. इसके बावजूद लोगों का मोह झुग्गी बस्तियों से नहीं छूट रहा है. हितग्राही सरकार के दबाव में पक्का मकान तो ले लेते हैं, लेकिन वो झुग्गियों में रहना नहीं छोड़ते.

डेढ़ लाख हितग्राहियों ने सरेंडर किए पीएम आवास

मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में झुग्गी उन्मूलन के लिए गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान बनाकर दिए जा रहे हैं. लेकिन हितग्राही पक्के मकानों में रहने से परहेज कर रहे हैं. बीते 7 सालों में मध्यप्रदेश के अंदर करीब डेढ़ लाख से अधिक हितग्राही हैं, जिन्होंने पक्के मकान लेने के बाद उसे सरकार को वापस सरेंडर कर दिया है. बता दें कि साल 2015 में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के 413 नगरीय निकायों के लिए 11 लाख 52 हजार पीएम आवास की डिमांड की थी. इनमें से 9 लाख आवासों के लिए प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था. उसमें भी करीब डेढ़ लाख यानि करीब 14 प्रतिशत लोग पीएम आवास लेने के बाद उसे वापस कर चुके हैं.

pm awas rejected madhya pradesh
डेढ़ लाख लोगों ने सरेंडर किए पीएम आवास (ETV Bharat)

पानी-बिजली का बिल नहीं भरना चाहते हितग्राही

नगरीय निकायों से झुग्गी बस्तियां खत्म नहीं होने के 2 बड़े कारण हैं. इसमें सरकारी अधिकारी हितग्राहियों से बिना अनुमति लिए उन्हें मकान स्वीकृत कर देते हैं. वहीं मकान आवंटन होने के बाद भी झुग्गी बस्ती खाली नहीं कराते. ऐसे में लोग पीएम आवास लेने के बाद भी झुग्गी में रहने चले जाते हैं. दूसरा कारण झुग्गी में रहने वाले लोगों को टैक्स नहीं चुकाना है. दरअसल जब तक वो झुग्गी में रहते हैं, उन्हें पानी और बिजली का बिल नहीं चुकाना पड़ता है. वहीं पीएम आवास में आने के बाद उन्हें पानी-बिजली के साथ सोसायटी के अन्य खर्च भी उठाने पड़ते हैं.

पीएम आवास लेने के बाद वसूल रहे किराया

भोपाल नगर निगम की बात करें तो शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अब तक 8500 से अधिक प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन किया जा चुका है. लेकिन इसमें 40 प्रतिशत लोग ही रहे रहे हैं. जबकि 60 फीसदी लोग या तो ऐसे थे, जिनके पास पहले से ही मकान था या फिर ऐसे लोग जो झुग्गी से विस्थापित होकर पीएम आवास का आवंटन तो करा लिया, लेकिन अब फिर किसी अन्य स्थान पर झुग्गी बनाकर रह रहे हैं. जो मकान उन्हें आवंटित हुआ है, उसे किराए पर चढ़ाकर हर महीने 3 से 5 हजार रुपये किराया वसूला जा रहा है. इधर शहर में स्मार्ट सिटी समेत अन्य परियोजनाओं के कारण एक दर्जन से अधिक झुग्गी बस्तियों को विस्थापित किया जाना है, लेकिन पर्याप्त मकान नहीं होने से इनको पीएम आवास नहीं मिल रहा.

मकान आवंटन के बाद 30 प्रतिशत लागों ने नहीं लिया पजेशन

नगर निगम भोपाल की मालीखेड़ी, राहुल नगर और कोकता ट्रांसपोर्ट नगर समेत अन्य स्थानों पर बनाए गए मकानों का शत प्रतिशत आवंटन किया जा चुका है. लेकिन यहां 30 प्रतिशत से अधिक मकान खाली हैं, लोगों ने अब तक पजेशन नहीं लिया है. जिससे इनके द्वारा कालोनी का मेंटेनेंस शुल्क भी नहीं जमा किया जाता है. ऐसे में जो रहवासी यहां रह रहे हैं, उन्हें भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. जबकि कई मकानों में किराएदार रह रहे हैं, वो भी पानी-बिजली और मेंटेनेंस शुल्क जमा नहीं करते.

ये भी पढ़ें:

PM आवास योजना का दायरा बढ़ा, 4 शर्तों में बड़ा बदलाव, देखें- ये है नई गाइडलाइन

PM आवास नहीं मिलने से ग्रामीण गुस्से में "अपात्रों को दिए घर, जरूरतमंदों की सुनवाई नहीं"

पीएम आवास बेचने का अधिकार बिल्डरों को देगी सरकार

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अपर आयुक्त डॉ परीक्षित राव झाड़े ने बताया कि "जो आवास सरेंडर किए जा रहे हैं, उनमें पीएम आवास की लोकेशन शहर से दूर होना और हितग्राहियों का माईग्रेट होना है. इसके लिए अब नगरीय निकायों द्वारा एक टीम बनाकर पीएम आवास में हितग्राहियों का भौतिक परीक्षण कराया जाएगा. वहीं सरकार अब पीएम आवास को बेचने के लिए प्राइवेट बिल्डरों का सहारा लेने की योजना बना रही है. जिससे आवास जरुरतमंदों को मिल सके."

Last Updated : 2 hours ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.