भोपाल। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है. क्योंकि पूरे देश में सबसे ज्यादा बाघ एमपी में हैं. अब प्रदेश को एक और खुशखबरी मिली है, वो भी वन्य जीव के संरक्षण में. वन विभाग ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा कि वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है. प्रदेश के लिए खुशी की बात है कि टाइगर और लेपर्ड स्टेट के बाद मध्य प्रदेश गिद्धों की संख्या में भी देश में अव्वल है.
गिद्धों का नया आशियाना एमपी
एमपी में गिद्धों और घड़ियालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. टाइगर और लेपर्ड स्टेट के बाद एमपी अब गिद्धों का स्टेट भी बन चुका है. 2019 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ 2019 में पक्षी गणना के मुताबिक 9,449 गिद्ध प्रदेश में थे, जो भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक हैं. भोपाल के केरबा में 2013 से गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्र स्थापित हैं. इसे मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है. गिद्धों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश नम्बर वन की पायदान पर आ गया है.
मध्यप्रदेश में गिद्धों की संख्या 10 हजार के पार
प्रदेश में 800 से 1000 नए गिद्ध मिले हैं. इसके बाद कुल संख्या 10 हजार के पार हो गई है. तीन दिन गिनती के बाद नई संख्या सामने आई है. प्रदेश में 16 से 18 फरवरी तक गिद्धों की गणना की गई, जो कि 73 वन मंडलों में एक साथ सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक चली. करीब 1600 वन अमले ने बैठे हुए गिद्धों की संख्या और उनके साक्ष्यों को एकत्रित किया. वन विहार के अधिकारियों के मुताबिक सभी वन मंडलों से जो प्राथमिक रिपोर्ट आई थी, उसके अनुसार प्रत्येक मंडलों में गिद्धों की संख्या बढ़ी है. इसलिए यह लग रहा था कि प्रदेश में किए गए संरक्षण के कामों के चलते गिद्धों का कुनबा बढ़ा है.
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विलुप्ती की कगार पर पहुंच गए थे गिद्ध
गणना में लगे अधिकारियों के मुताबिक 800 से 1000 हजार नए गिद्ध मिले हैं. रिपोर्ट किए गए साक्ष्यों के मिलान में यह संख्या बढ़ भी सकती है. इससे पहले की गणना में 9449 गिद्ध मिले थे. तब यह संख्या बाकी प्रदेशों की तुलना में सबसे ज्यादा थी. 1000 गिद्ध नए मिले है जिसके बाद मप्र फिर गिद्धों की संख्या में सबसे आगे हो गया है. बता दें कि 1990 तक देश में गिद्धों की संख्या करोड़ों में थी. लेकिन उसके बाद कुछ ऐसी प्रतिबंधित दवाइयां का उपयोग इंसानों ने शुरू कर दिया, जिसे खाने से गिद्धों की मौत होने लगी, और वह विलुप्ती की कगार पर पहुंच गए थे.