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बीजेपी ने बिखेरी ईद की मिठास, मुस्लिम महिलाओं ने भी किया ईद मुबारक मोदी 'भाईजान' - BJP spread the sweetness of Eid

BJP also spread the sweetness of Eid: लोकसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में सियासी सरगर्मी काफी तेज हो गई है. आम चुनाव से पहले भाजपा के अल्पसंख्यक नेताओं ने ईद के अवसर पर मस्जिद जाकर लोगों को मुबारकबाद दी और गले मिले. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इस बार मुस्लिम मतदाताओं पर पूरा फोकस बनाए हुए है. कुल मिलाकर 400 पार के नारों के साथ बीजेपी सियासी मैदान में पूरे दमखम के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. ईटीवी भारत की संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 11, 2024, 10:54 PM IST

अनामिका रत्ना की रिपोर्ट

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में ईद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. त्योहार चुनाव प्रचार के बीच में आया है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां ईद पर इसका सियासी फायदा भी खूब उठाया है. ईद त्योहार का राजनीतिक लाभ लेने की होड़ में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दल के नेता शामिल नजर आए. इस बार बीजेपी ने भी ईद के मौके पर अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रम का आयोजन किया. दिल्ली में भी पार्टी के अल्पसंख्यक नेता शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी ने मस्जिद जाकर लोगों को ईद की मुबारकबाद दी और लोगों से गले मिले. बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा उन 65 सीटों पर लगातार स्नेह सम्मेलन कर रहा है जिन सीटों पर 35 से 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. जो चुनाव के रिजल्ट पर असर डालते हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

बीजेपी ने ईद पर घोली मिठास
देश में कुल 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे और परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे. बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. खासतौर पर पार्टी की नजर मुस्लिम महिलाओं के वोट बैंक पर है. जहां पार्टी को ऐसा लगता है की तीन तलाक के हटने के बाद से इन महिलाओं का नजरिया भाजपा के लिए बदल गए हैं, साथ ही आयुष्मान भारत और उज्जवला गैस योजना जैसी स्कीम, जिसमें बड़ी संख्या में लाभार्थी मुस्लिम वर्ग के भी हैं, वहां भाजपा उन्हें वोटिंग बूथ तक अपने पक्ष में खींचने की तैयारी कर रही है. ईद के मौक पर भी पार्टी के लोकल कार्यकताओं के सहारे कागज जगह ईद की मिठास बिखेरी गई.पार्टी ने जो मास्टर प्लान पहले तैयार किया था उसी को जमीन पर उतारा जा रहा है.

बीजेपी का 400 पार का नारा
400 पार के नारों के साथ बीजेपी सियासी मैदान में पूरे दमखम के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. साथ भाजपा की नजर अल्पसंख्यक वोटर्स पर भी है. पूरे देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं,और ये वो 65 सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है. वहीं, 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए भाजपा का अलग प्लान है. एक तरफ जहां बीजेपी नीतीश कुमार, अजित पवार और जयंत चौधरी सहित अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के जरिए जिनकी छवि सेक्युलर है, उनके माध्यम से मुस्लिम वोटरों को संदेश देने का प्रयास कर रही है. इसके साथ ही इन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा इन नेताओं के कार्यक्रम लगाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कार्यकर्ता बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम मतदाताओं, खासकर मुस्लिम महिलाओं का वोट सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे.

मुस्लिम मतदाताओं पर बीजेपी की नजर
बीजेपी नेताओं का यह मानना है कि अल्पसंख्यकों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले वे पार्टी को मात्र हराने के लिए काम करते थे. मगर लगातार तीसरी बार जिस तरीके का माहौल देश में तैयार हो रहा है, उससे ऐसा लगता है बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आ सकती है. इस वजह अब अल्पसंख्यक मतदाता भी भाजपा के पक्ष में वोट कर सकते हैं. ऐसे में बीजेपी को लग रहा है कि इस बार मुस्लिम सीटों पर बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ेगा. इसके लिए पार्टी ने प्रयास भी तेज कर दी है. पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने ऐसे सीटों की पहचान की है जहां मुस्लिम वोटर्स अधिक है, जिन्होंने केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाया है. वैसे मुस्लिम मतदाता जिनका नजरिया बीजेपी के लिए बदला है. वैसे सीटों मे, दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट, चांदनी चौक सीट शामिल है. हरियाणा की बात करें तो गुरुग्राम, फरीदाबाद पर बीजेपी नजर है. वहीं जम्मू-कश्मीर के बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग, राजौरी और उधमपुर सीट शामिल है. वैसे ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, मेरठ, बरेली, अमरोहा, संभल, बहराइच, श्रावस्ती सीट पर भी बीजेपी की पैनी नजर बनी हुई है.

इन सीटों पर बीजेपी की नजर
वैसे ही बिहार की बात करें तो अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज सीट वहीं, मध्य प्रदेश की मंदसौर, भोपाल, बैतूल सीट पर बीजेपी की नजरें टिकीं हुई हैं. ठीक उसी प्रकार गोवा में नॉर्थ गोवा, साउथ गोवा और केरल की वायनाड, कासरगोड, कोझिकोड, मल्लापुरम, कोट्टायम, इडुक्की, पतनमथिट्टा , वाडकर सीट पर भी बीजेपी जीत सुनिश्चित करने के प्रयास में जुटी नजर आ रही है. वहीं, तमिलनाडु की रामनाथपुरम,तेलंगाना में सिकंदराबाद, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल में जादवपुर, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, बहरामपुर, कृष्णा नगर, रायगंज, बीरभूम, असम की करिया बोर, नौगांव, मंगलदोई, धुबरी, बरपेटा, सिलचर, करीमगंज सीट, महाराष्ट्र में औरंगाबाद, भिवंडी और लद्दाख में लद्दाख पर नजरें बराबर बनी हुई है.

मुस्लिम महिला वोटर से उम्मीद
बीजेपी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, पार्टी के मुस्लिम कार्यकर्ता इन लोकसभा सीटों पर जोड़े गए सूफी समाज और बनाए गए मोदी मित्रों के जरिए मुस्लिम समाज के लाभार्थियों से संपर्क स्थापित लगातार कर रहे है. उनकी सुविधाएं स्वास्थ्य,आयुष्मान कार्ड बनवाने में लगातार मेहनत कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है की अल्पसंख्यक समुदाय और खासतौर पर मुस्लिम महिला वोटरों इस बार भाजपा को भी वोट देंगे. उन्होंने कहा की मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक की बुराई से निजात दिलाने के लिए पीएम मोदी को पसंद करती हैं. पार्टी को यह भी लगता है कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका अब जीत के जश्न में भी शामिल होना चाहता है. यानी मुस्लिम महिलाओं का रूख मोदी भाईजान के प्रति काफी बदलता नजर आ रहा है.

ये भी पढ़ें: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने मनाई ईद, देशवासियों से की मतदान की अपील

अनामिका रत्ना की रिपोर्ट

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में ईद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. त्योहार चुनाव प्रचार के बीच में आया है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां ईद पर इसका सियासी फायदा भी खूब उठाया है. ईद त्योहार का राजनीतिक लाभ लेने की होड़ में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दल के नेता शामिल नजर आए. इस बार बीजेपी ने भी ईद के मौके पर अलग-अलग राज्यों में कार्यक्रम का आयोजन किया. दिल्ली में भी पार्टी के अल्पसंख्यक नेता शाहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी ने मस्जिद जाकर लोगों को ईद की मुबारकबाद दी और लोगों से गले मिले. बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा उन 65 सीटों पर लगातार स्नेह सम्मेलन कर रहा है जिन सीटों पर 35 से 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. जो चुनाव के रिजल्ट पर असर डालते हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

बीजेपी ने ईद पर घोली मिठास
देश में कुल 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे और परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे. बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. खासतौर पर पार्टी की नजर मुस्लिम महिलाओं के वोट बैंक पर है. जहां पार्टी को ऐसा लगता है की तीन तलाक के हटने के बाद से इन महिलाओं का नजरिया भाजपा के लिए बदल गए हैं, साथ ही आयुष्मान भारत और उज्जवला गैस योजना जैसी स्कीम, जिसमें बड़ी संख्या में लाभार्थी मुस्लिम वर्ग के भी हैं, वहां भाजपा उन्हें वोटिंग बूथ तक अपने पक्ष में खींचने की तैयारी कर रही है. ईद के मौक पर भी पार्टी के लोकल कार्यकताओं के सहारे कागज जगह ईद की मिठास बिखेरी गई.पार्टी ने जो मास्टर प्लान पहले तैयार किया था उसी को जमीन पर उतारा जा रहा है.

बीजेपी का 400 पार का नारा
400 पार के नारों के साथ बीजेपी सियासी मैदान में पूरे दमखम के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. साथ भाजपा की नजर अल्पसंख्यक वोटर्स पर भी है. पूरे देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं,और ये वो 65 सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है. वहीं, 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए भाजपा का अलग प्लान है. एक तरफ जहां बीजेपी नीतीश कुमार, अजित पवार और जयंत चौधरी सहित अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के जरिए जिनकी छवि सेक्युलर है, उनके माध्यम से मुस्लिम वोटरों को संदेश देने का प्रयास कर रही है. इसके साथ ही इन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा इन नेताओं के कार्यक्रम लगाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कार्यकर्ता बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम मतदाताओं, खासकर मुस्लिम महिलाओं का वोट सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे.

मुस्लिम मतदाताओं पर बीजेपी की नजर
बीजेपी नेताओं का यह मानना है कि अल्पसंख्यकों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले वे पार्टी को मात्र हराने के लिए काम करते थे. मगर लगातार तीसरी बार जिस तरीके का माहौल देश में तैयार हो रहा है, उससे ऐसा लगता है बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आ सकती है. इस वजह अब अल्पसंख्यक मतदाता भी भाजपा के पक्ष में वोट कर सकते हैं. ऐसे में बीजेपी को लग रहा है कि इस बार मुस्लिम सीटों पर बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ेगा. इसके लिए पार्टी ने प्रयास भी तेज कर दी है. पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने ऐसे सीटों की पहचान की है जहां मुस्लिम वोटर्स अधिक है, जिन्होंने केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाया है. वैसे मुस्लिम मतदाता जिनका नजरिया बीजेपी के लिए बदला है. वैसे सीटों मे, दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट, चांदनी चौक सीट शामिल है. हरियाणा की बात करें तो गुरुग्राम, फरीदाबाद पर बीजेपी नजर है. वहीं जम्मू-कश्मीर के बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग, राजौरी और उधमपुर सीट शामिल है. वैसे ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, मेरठ, बरेली, अमरोहा, संभल, बहराइच, श्रावस्ती सीट पर भी बीजेपी की पैनी नजर बनी हुई है.

इन सीटों पर बीजेपी की नजर
वैसे ही बिहार की बात करें तो अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज सीट वहीं, मध्य प्रदेश की मंदसौर, भोपाल, बैतूल सीट पर बीजेपी की नजरें टिकीं हुई हैं. ठीक उसी प्रकार गोवा में नॉर्थ गोवा, साउथ गोवा और केरल की वायनाड, कासरगोड, कोझिकोड, मल्लापुरम, कोट्टायम, इडुक्की, पतनमथिट्टा , वाडकर सीट पर भी बीजेपी जीत सुनिश्चित करने के प्रयास में जुटी नजर आ रही है. वहीं, तमिलनाडु की रामनाथपुरम,तेलंगाना में सिकंदराबाद, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल में जादवपुर, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, बहरामपुर, कृष्णा नगर, रायगंज, बीरभूम, असम की करिया बोर, नौगांव, मंगलदोई, धुबरी, बरपेटा, सिलचर, करीमगंज सीट, महाराष्ट्र में औरंगाबाद, भिवंडी और लद्दाख में लद्दाख पर नजरें बराबर बनी हुई है.

मुस्लिम महिला वोटर से उम्मीद
बीजेपी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, पार्टी के मुस्लिम कार्यकर्ता इन लोकसभा सीटों पर जोड़े गए सूफी समाज और बनाए गए मोदी मित्रों के जरिए मुस्लिम समाज के लाभार्थियों से संपर्क स्थापित लगातार कर रहे है. उनकी सुविधाएं स्वास्थ्य,आयुष्मान कार्ड बनवाने में लगातार मेहनत कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है की अल्पसंख्यक समुदाय और खासतौर पर मुस्लिम महिला वोटरों इस बार भाजपा को भी वोट देंगे. उन्होंने कहा की मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक की बुराई से निजात दिलाने के लिए पीएम मोदी को पसंद करती हैं. पार्टी को यह भी लगता है कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका अब जीत के जश्न में भी शामिल होना चाहता है. यानी मुस्लिम महिलाओं का रूख मोदी भाईजान के प्रति काफी बदलता नजर आ रहा है.

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