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लोकसभा चुनाव 2024: 80 में से 10 सीटें सहयोगी दलों को दे सकती है भारतीय जनता पार्टी

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) चुनाव में 6-10 सीटें सहयोगी दलों (Seat Sharing with Alliance) को दे सकती है. इसको लेकर शीर्ष नेतृत्व का सहयोगी दलों के साथ मंथन जारी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 28, 2024, 3:30 PM IST

Updated : Feb 2, 2024, 10:38 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी 19 सीटों पर सहयोगी दलों के साथ समायोजन कर चुकी है. वहीं भारतीय जनता पार्टी ( Bharatiya Janata Party ) 80 में से छह से 10 सीटें अपने सहयोगी दलों को दे सकती (BJP Seat Sharing with Alliance) है. अपना दल को तीन ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी को दो और निषाद पार्टी को एक सीट भारतीय जनता पार्टी चुनाव में लड़ने के लिए दे सकती है.

इससे अधिक सीट होने की दशा में भाजपा या तो अपना प्रत्याशी समर्थित दल के चुनाव चिन्ह पर या समर्थित दल का प्रत्याशी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ा सकती है. फिलहाल भाजपा के सहयोगी दलों का भारतीय जनता पार्टी पर दबाव है कि वह उनके मनमाने लोकसभा क्षेत्र से उनको सेट दे और यह संख्या भी ज्यादा है. मगर भारतीय जनता पार्टी केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर ही अपने सहयोगियों को सिम देगी, जिनकी संख्या आधा दर्जन से कुछ अधिक होने की संभावना है. सत्ताधारी एनडीए और विपक्ष के गठबंधन के लिए उत्तर प्रदेश की 80 सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं.

विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी है. उसने अपनी ओर से 8 लोकसभा क्षेत्र राष्ट्रीय लोकदल को लड़ने के लिए दिए हैं. दूसरी ओर 11 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी के लड़ने के लिए समाजवादी पार्टी राजी हो गई है. फिलहाल कांग्रेस पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का स्पष्ट कहना है कि अभी उनके केंद्रीय नेतृत्व में कमेटी इस पर बातचीत कर रही है और वह कमेटी ही तय करेगी कि इंडिया गठबंधन के तहत कितनी सिम कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में लड़ेगी.

इस पूरी कवायद के बीच भारतीय जनता पार्टी में भी इस बात को लेकर शुभ विवाह शुरू हो गई है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को कितनी सीटें लोकसभा चुनाव में देगी. भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में तीन प्रमुख सहयोगी दल हैं. अनुप्रिया पटेल की अपना दल सोनेलाल, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और डॉक्टर संजय निषाद की निषाद पार्टी. फिलहाल अपना दल के दो सांसद हैं. खुद अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं. जबकि सोनभद्र लोकसभा क्षेत्र से अपना दल के पकौड़ी लाल सांसद निर्वाचित हुए थे.

संत कबीर नगर लोकसभा सीट से डॉ. प्रवीण निषाद लोकसभा सांसद हैं. 2019 में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं थी. इस बार भाजपा का एक सहयोगी बढ़ चुका है. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अपना दल को इस बार मिर्जापुर और सोनभद्र के साथ एक बार फिर से प्रतापगढ़ की सीट भी दी जा सकती है. प्रतापगढ़ की सीट पर समाजवादी पार्टी से मजबूत कुर्मी उम्मीदवार के लड़ने की संभावना है. ऐसे में अपना दल को यह सीट देकर भारतीय जनता पार्टी जातिगत समीकरणों को बेहतर करने का प्रयास करेगी.

दूसरी ओर ओमप्रकाश राजभर मऊ घोसी और गाजीपुर सीटों पर अपने प्रत्याशियों के लिए दावेदारी कर रहे हैं. इनमें से दो सीटें उनको मिल सकती है. जबकि निषाद पार्टी को अभी तक केवल संत कबीर नगर लोकसभा क्षेत्र से ही लड़ाई जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. भारतीय जनता पार्टी फरवरी के महीने में पहले 15 दिन के भीतर ही सीटों का यह समायोजन तय कर लेगी.

ये भी पढ़ें- चुनाव आयोग के आदेश के बाद योगी का चलेगा यूपी में ब्यूरोक्रेसी पर हंटर, होगा बड़ा बदलाव

लखनऊ: समाजवादी पार्टी 19 सीटों पर सहयोगी दलों के साथ समायोजन कर चुकी है. वहीं भारतीय जनता पार्टी ( Bharatiya Janata Party ) 80 में से छह से 10 सीटें अपने सहयोगी दलों को दे सकती (BJP Seat Sharing with Alliance) है. अपना दल को तीन ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी को दो और निषाद पार्टी को एक सीट भारतीय जनता पार्टी चुनाव में लड़ने के लिए दे सकती है.

इससे अधिक सीट होने की दशा में भाजपा या तो अपना प्रत्याशी समर्थित दल के चुनाव चिन्ह पर या समर्थित दल का प्रत्याशी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ा सकती है. फिलहाल भाजपा के सहयोगी दलों का भारतीय जनता पार्टी पर दबाव है कि वह उनके मनमाने लोकसभा क्षेत्र से उनको सेट दे और यह संख्या भी ज्यादा है. मगर भारतीय जनता पार्टी केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर ही अपने सहयोगियों को सिम देगी, जिनकी संख्या आधा दर्जन से कुछ अधिक होने की संभावना है. सत्ताधारी एनडीए और विपक्ष के गठबंधन के लिए उत्तर प्रदेश की 80 सीटें बहुत महत्वपूर्ण हैं.

विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी है. उसने अपनी ओर से 8 लोकसभा क्षेत्र राष्ट्रीय लोकदल को लड़ने के लिए दिए हैं. दूसरी ओर 11 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी के लड़ने के लिए समाजवादी पार्टी राजी हो गई है. फिलहाल कांग्रेस पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का स्पष्ट कहना है कि अभी उनके केंद्रीय नेतृत्व में कमेटी इस पर बातचीत कर रही है और वह कमेटी ही तय करेगी कि इंडिया गठबंधन के तहत कितनी सिम कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में लड़ेगी.

इस पूरी कवायद के बीच भारतीय जनता पार्टी में भी इस बात को लेकर शुभ विवाह शुरू हो गई है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को कितनी सीटें लोकसभा चुनाव में देगी. भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में तीन प्रमुख सहयोगी दल हैं. अनुप्रिया पटेल की अपना दल सोनेलाल, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और डॉक्टर संजय निषाद की निषाद पार्टी. फिलहाल अपना दल के दो सांसद हैं. खुद अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं. जबकि सोनभद्र लोकसभा क्षेत्र से अपना दल के पकौड़ी लाल सांसद निर्वाचित हुए थे.

संत कबीर नगर लोकसभा सीट से डॉ. प्रवीण निषाद लोकसभा सांसद हैं. 2019 में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं थी. इस बार भाजपा का एक सहयोगी बढ़ चुका है. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अपना दल को इस बार मिर्जापुर और सोनभद्र के साथ एक बार फिर से प्रतापगढ़ की सीट भी दी जा सकती है. प्रतापगढ़ की सीट पर समाजवादी पार्टी से मजबूत कुर्मी उम्मीदवार के लड़ने की संभावना है. ऐसे में अपना दल को यह सीट देकर भारतीय जनता पार्टी जातिगत समीकरणों को बेहतर करने का प्रयास करेगी.

दूसरी ओर ओमप्रकाश राजभर मऊ घोसी और गाजीपुर सीटों पर अपने प्रत्याशियों के लिए दावेदारी कर रहे हैं. इनमें से दो सीटें उनको मिल सकती है. जबकि निषाद पार्टी को अभी तक केवल संत कबीर नगर लोकसभा क्षेत्र से ही लड़ाई जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. भारतीय जनता पार्टी फरवरी के महीने में पहले 15 दिन के भीतर ही सीटों का यह समायोजन तय कर लेगी.

ये भी पढ़ें- चुनाव आयोग के आदेश के बाद योगी का चलेगा यूपी में ब्यूरोक्रेसी पर हंटर, होगा बड़ा बदलाव

Last Updated : Feb 2, 2024, 10:38 PM IST
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