पलामूः उत्तर प्रदेश के बहराईच की तरह झारखंड में पाए जाने वाले भेड़िए आदमखोर नहीं हैं. पूरे देश में झारखंड के महुआडांड़ में एक मात्र वुल्फ सेंचुरी है. जहां दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं. 1970 के आसपास महुआडांड़ सेंचुरी का गठन किया गया था. वुल्फ सेंचुरी के लिए खास इलाके को चिन्हित किया गया था ताकि भेड़ियों को संरक्षित किया जा सके.
![behaviour of wolves being assessed in Mahuadanr Wolf Sanctuary of Jharkhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-09-2024/22435139_lat.jpg)
फिलहाल महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में 70 से 80 भेड़िया है और चार अलग अलग ग्रुप में बंटे हुए हैं. यह वुल्फ सेंचुरी 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद है. उत्तर प्रदेश के बहराईच में भेड़ियों द्वारा आदमी पर हमले की कई खबर निकल कर सामने आई है. झारखंड के महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी और उससे सटे हुए इलाकों में इस तरह की घटना पिछले कई दशक में नहीं हुई है.
![behaviour of wolves being assessed in Mahuadanr Wolf Sanctuary of Jharkhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-09-2024/22435139_lat1.jpg)
झारखंड में भेड़ियों का प्रवास नहीं हुआ है प्रभावित, ग्रामीणों को जोड़ा गया था संरक्षण से
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के अगल बगल बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी है. वुल्फ सेंचुरी के भेड़िया कभी भी ग्रामीण बस्ती में दाखिल नहीं हुए हैं. भेड़ियों के द्वारा जंगल में बकरी एवं अन्य छोटे जीव का शिकार किया गया है. लेकिन भेड़ियों द्वारा बस्ती में घुस कर शिकार नहीं किया गया है.
![behaviour of wolves being assessed in Mahuadanr Wolf Sanctuary of Jharkhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-09-2024/22435139_lat2.jpg)
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि बहराईच में भेड़ियों के हैबिटेट को प्रभावित किया गया है, भेड़ियों को भोजन भी नहीं मिल रहा है. लेकिन यह हालत महुआडांड़ में नहीं है. कुछ वर्ष पहले महुआडांड़ में ग्रामीणों ने आग लगाने की कोशिश की थी, लेकिन ग्रामीणों को अभियान से जोड़ा गया. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीणों के हुए नुकसान को भी विभाग के द्वारा भरपाई किया जाने लगा.
अक्टूबर में शुरू होता है भेड़ियों का प्रजनन काल, खतरा होने पर वापस नहीं लौटते हैं भेड़िया
अक्टूबर महीने से भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू होता है. प्रजनन के लिए भेड़िया मांद में जाते हैं. मार्च तक भेड़ियों के बच्चे बड़े हो जाते हैं, जिसके बाद भेड़िया वापस इलाके में लौट जाते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार एक बार खतरा महसूस होने के बाद भेड़िया दोबारा अपनी मांद में वापस नहीं लौटते हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि भेड़िया अक्सर खरहा, चूहा आदि का शिकार अधिक करते हैं.
भेड़ियों के व्यवहार का किया जा रहा आकलन, वर्ष के अंत तक जारी होगा रिपोर्ट
1970 के बाद महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में व्यवहार का आकलन किया जा रहा है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के द्वारा व्यवहार का आकलन किया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट वर्ष के अंत तक जारी की जाएगी. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की टीम कई महीनो से वुल्फ सेंचुरी के इलाके में कैंप कर रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि व्यवहार के आकलन के बाद सेंचुरी का दायरा बढ़ाया जा सकता है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक कुमार आशीष बताते हैं कि सेंचुरी के भेड़िया कभी हिंसक नहीं रहे हैं. उनका व्यवहार कभी चिंताजनक नहीं रहा है. सर्वे की रिपोर्ट वर्ष के अंत तक जारी होने की उम्मीद है. भेड़ियों के संरक्षण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः