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भारत में बांग्लादेशी छात्रों का शेख हसीना से अनुरोध, बोले- शब्दों में बयां नहीं कर सकते स्थिति - Bangladesh Violence

Bangladesh Quota Violence: भारत में रहकर पढ़ाई कर रहे बांग्लादेशी छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से देश में चल रहे हिंसक प्रदर्शन को तुरंत खत्म करवाने की अपील की है. उन्होंने छात्रों की मांगों को स्वीकार करने का अनुरोध किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 19, 2024, 4:51 PM IST

Updated : Jul 19, 2024, 5:18 PM IST

बोलपुर: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के कारण उथल-पुथल मचा हुआ है. पश्चिम बंगाल के बोलपुर में इस घटना को लेकर बांग्लादेशी छात्रों ने चिंता व्यक्त किया है. इसके साथ ही छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से देश में चल रहे इस खून-खराबे को तुरंत रोकने की अपील की है. छात्रों का कहना है कि इस आंदोलन के कारण पूरे बांग्लादेश में भय का माहौल बना हुआ है.

बोलपुर स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के बांग्लादेशी छात्रों ने देश में चल रहे इस हिंसक प्रदर्शन को लेकर काफी चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया समेत परिवार के लोगों से मौत, आगजनी, घायलों की खबरें मिल रही हैं. देश में इंटरनेट कनेक्शन बंद होने के कारण कई छात्र अपने परिवार से भी बात नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए वे काफी डरे हुए हैं. बता दें, बांग्लादेश सरकार के अनुसार आरक्षण विरोधी इस आंदोलन में अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस हिंसक प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या सरकार के दिए आकड़ों से काफी ज्यादा है.

क्या है मुद्दा
बांग्लादेश को वर्ष 1971 में आजादी मिली थी. आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में रिजर्वेशन व्यवस्था लागू है. इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 फीसदी, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 फीसदी, अल्पसंख्यकों के लिए 5 फीसदी, महिलाओं को 10 फीसदी और दिव्यांगों के लिए 1 फीसदी रिजर्वेशन का नियम था. इस तरह बांग्लादेश में गवर्नमेंट जॉब में 56 फीसदी रिजर्वेशन था. साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस रिजर्वेशन के खिलाफ प्रोटेस्ट किया. कई महीने तक चले इस प्रोटेस्ट के बाद बांग्लादेश सरकार ने रिजर्वेशन खत्म करने का एलान किया.

जिसके बाद, खुजरे महीने 5 जून को बांग्लादेश की SC ने देश में फिर से रिजर्वेशन की पुरानी व्यवस्था को लागू करने का आदेश दिया. शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा. इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

विरोध प्रदर्शन ने कैसे लिया हिंसक रूप
विरोध प्रदर्शन 1 जुलाई को प्रतिष्ठित ढाका विश्वविद्यालय में शुरू हुआ और बाद में देश भर के अन्य परिसरों और शहरों में फैल गया, जिसमें लगभग दैनिक सड़क सभाएं शामिल थीं, जिसमें रेल और सड़क अवरोध शामिल थे. 15 जुलाई को प्रदर्शन हिंसक हो गए, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग के सदस्यों ने कथित तौर पर ढाका विश्वविद्यालय परिसर के अंदर छात्र प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. तब से, सुरक्षा बलों, प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पें बढ़ गई हैं, जिसमें बांग्लादेश ने अपने अर्धसैनिक रैपिड एक्शन बटालियन को तैनात किया है, जिसे 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गंभीर मानवाधिकार हनन के व्यापक आरोपों के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था.

हिंसक प्रदर्शन में अबतक कितनी मौतें
बांग्लादेश सरकार के अनुसार अब तक 39 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. लेकिन, सूत्रों का कहना है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. इस हिंसा में मरने वाले ज्यादातर युवा और नौजवान थे, जिनकी उम्र 30 साल तक के आसपास की बताई जा रही है. स्वाभाविक रूप से देश में हालात काफी नाजुक है. हर जगह प्रदर्शन, आगजनी, तोड़फोड़, हमले, गोलीबारी, दंगे जोरों पर हैं. सरकार ने देश में इंटरनेट कनेक्शन भूी काट दिया है.

भारत में पढ़ाई कर रहे बांगलादेशी छात्रों ने क्या कहा
विश्वभारती की छात्रा कथा घोष, अमृता सरकार, श्रावणी सायंतनी ने एक स्वर में कहा कि देश की स्थिति को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकती. कितनी माताओं ने अपने बेटे खो दिए, कितनी बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया. देश में हम अब और लोगों को मरता नहीं देखना चाहते. यह एक भयानक स्थिति है. भारत के पश्चिम बंगाल में बैठकर मुझे सोशल मीडिया पर वहां की सारी खबरें मिल रही हैं.

उन्होंने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री से छात्रों की मांगों को स्वीकार करने का अनुरोध करते हैं. विश्वभारती की एक बांग्लादेशी छात्रा दीपा साहा ने ने कहा कि वह बांग्लादेश में इंटरनेट बंद होने के कारण अपने परिवार से बात नहीं कर पा रही है. दीपा ने ईटीवी भारत से कहा कि देश में स्थिति बहुत खराब है. मौतों की खबरें आ रही हैं. मैं लंबे समय से अपने परिवार से बात नहीं कर पा रही हूं. मैं इसके चलते चिंतित और डरी हुई हूं.

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बोलपुर स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के बांग्लादेशी छात्रों ने देश में चल रहे इस हिंसक प्रदर्शन को लेकर काफी चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया समेत परिवार के लोगों से मौत, आगजनी, घायलों की खबरें मिल रही हैं. देश में इंटरनेट कनेक्शन बंद होने के कारण कई छात्र अपने परिवार से भी बात नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए वे काफी डरे हुए हैं. बता दें, बांग्लादेश सरकार के अनुसार आरक्षण विरोधी इस आंदोलन में अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस हिंसक प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या सरकार के दिए आकड़ों से काफी ज्यादा है.

क्या है मुद्दा
बांग्लादेश को वर्ष 1971 में आजादी मिली थी. आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में रिजर्वेशन व्यवस्था लागू है. इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 फीसदी, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 फीसदी, अल्पसंख्यकों के लिए 5 फीसदी, महिलाओं को 10 फीसदी और दिव्यांगों के लिए 1 फीसदी रिजर्वेशन का नियम था. इस तरह बांग्लादेश में गवर्नमेंट जॉब में 56 फीसदी रिजर्वेशन था. साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस रिजर्वेशन के खिलाफ प्रोटेस्ट किया. कई महीने तक चले इस प्रोटेस्ट के बाद बांग्लादेश सरकार ने रिजर्वेशन खत्म करने का एलान किया.

जिसके बाद, खुजरे महीने 5 जून को बांग्लादेश की SC ने देश में फिर से रिजर्वेशन की पुरानी व्यवस्था को लागू करने का आदेश दिया. शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा. इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

विरोध प्रदर्शन ने कैसे लिया हिंसक रूप
विरोध प्रदर्शन 1 जुलाई को प्रतिष्ठित ढाका विश्वविद्यालय में शुरू हुआ और बाद में देश भर के अन्य परिसरों और शहरों में फैल गया, जिसमें लगभग दैनिक सड़क सभाएं शामिल थीं, जिसमें रेल और सड़क अवरोध शामिल थे. 15 जुलाई को प्रदर्शन हिंसक हो गए, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग के सदस्यों ने कथित तौर पर ढाका विश्वविद्यालय परिसर के अंदर छात्र प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. तब से, सुरक्षा बलों, प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पें बढ़ गई हैं, जिसमें बांग्लादेश ने अपने अर्धसैनिक रैपिड एक्शन बटालियन को तैनात किया है, जिसे 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गंभीर मानवाधिकार हनन के व्यापक आरोपों के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था.

हिंसक प्रदर्शन में अबतक कितनी मौतें
बांग्लादेश सरकार के अनुसार अब तक 39 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. लेकिन, सूत्रों का कहना है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. इस हिंसा में मरने वाले ज्यादातर युवा और नौजवान थे, जिनकी उम्र 30 साल तक के आसपास की बताई जा रही है. स्वाभाविक रूप से देश में हालात काफी नाजुक है. हर जगह प्रदर्शन, आगजनी, तोड़फोड़, हमले, गोलीबारी, दंगे जोरों पर हैं. सरकार ने देश में इंटरनेट कनेक्शन भूी काट दिया है.

भारत में पढ़ाई कर रहे बांगलादेशी छात्रों ने क्या कहा
विश्वभारती की छात्रा कथा घोष, अमृता सरकार, श्रावणी सायंतनी ने एक स्वर में कहा कि देश की स्थिति को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकती. कितनी माताओं ने अपने बेटे खो दिए, कितनी बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया. देश में हम अब और लोगों को मरता नहीं देखना चाहते. यह एक भयानक स्थिति है. भारत के पश्चिम बंगाल में बैठकर मुझे सोशल मीडिया पर वहां की सारी खबरें मिल रही हैं.

उन्होंने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री से छात्रों की मांगों को स्वीकार करने का अनुरोध करते हैं. विश्वभारती की एक बांग्लादेशी छात्रा दीपा साहा ने ने कहा कि वह बांग्लादेश में इंटरनेट बंद होने के कारण अपने परिवार से बात नहीं कर पा रही है. दीपा ने ईटीवी भारत से कहा कि देश में स्थिति बहुत खराब है. मौतों की खबरें आ रही हैं. मैं लंबे समय से अपने परिवार से बात नहीं कर पा रही हूं. मैं इसके चलते चिंतित और डरी हुई हूं.

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Last Updated : Jul 19, 2024, 5:18 PM IST
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