प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के काफिले पर गोली चलाने के आरोपियों सचिन शर्मा और शुभम गुर्जर की जमानत मंजूर कर ली. कोर्ट ने दोनों को जमानत की शर्तों के साथ रिहा करने का निर्देश दिया है. सचिन शर्मा और शुभम गुर्जर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया.
जमानत पर पक्ष रखते हुए आरोपियों के अधिवक्ता का कहना था कि दोनों प्राथमिकी में नामजद नहीं किए गए थे. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर विवेचक ने उनका नाम शामिल किया. काफिले में शामिल लोग भी आरोपियों को नहीं पहचानते हैं. अब तक जिन तीन लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, उनमें से किसी ने उनका नाम नहीं लिया. यह अभी कहा गया कि सीसीटीवी फुटेज में देखे गए लोगों की अभियुक्तों से पहचान और फोटो के मिलान से संबंधित कोई साक्ष्य केस डायरी में उपलब्ध नहीं है.
वादी पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व में दोनों को हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, जिसके बाद उन्होंने मीडिया में शेखी बघारी और कहा कि उनको अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. अपराध गंभीर किस्म का है, इसलिए जमानत मंजूर नहीं की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तगणों के खिलाफ प्रथम दृष्टिया कोई ठोस साक्ष्य नहीं है. वह 4 फरवरी 2022 से जेल में हैं. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. इस आधार पर अदालत ने दोनों की जमानत मंजूर कर ली.
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान 3 फरवरी 2022 को मेरठ से दिल्ली जाते समय असदुद्दीन ओवैसी के काफिले पर गोलीबारी की गई थी. इस हमले में किसी को चोट नहीं आई थी. हत्या के प्रयास के कारण आईपीसी की धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. बाद में विवेचना में सचिन शर्मा और शुभम गुर्जर का नाम सामने आया. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. हाईकोर्ट से उनकी जमानत मंजूर हो गई थी. मगर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की जमानत रद्द करते हुए मामला वापस हाई कोर्ट को भेज दिया था.