अयोध्या: सनातन आस्था के लिए वो पल सबसे बड़ा और शुभ था जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई. मंदिर में रामलला के विग्रहों को आदिकाल के लिए स्थापित कर दिया गया. आज अयोध्या नगरी दुल्हन सी सजी रही. अयोध्या में रामलला अपने महल में विराजमान हो चुके हैं. हर ओर उत्सव का माहौल है. हर कोई राममय हुआ है. रामलला के नए और पुराने दोनों विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है.
जब सब कुछ शुभ-मंगल हो चुका है तो अब बात आती है कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद रामलला की पूजा कैसे की जाएगी. जिस तरह से रामलला की पूजन-आरती टाट में होती रही और जिस तरह से रामलला के महल में वापस आने के बाद नई शुरुआत होगी. ऐसे में इस नए रूप-स्वरूप में रामलला की आरती-पूजन की विधि क्या होगी? रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बताते हैं कि 4 भोग और तीन आरती विधि से रामलला की पूजा अर्चना होगी.
कैसे होगी पूजन की शुरुआत: आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं, 'रामानंद वैष्णव समाज ने एक पुस्तक लिखी है. उसी पुस्तक के अनुसार रामलला की पूजा-आरती की जाएगी. सबसे पहले रामलला को जगाएंगे. उसके बाद स्नान कराएंगे. इसके बाद कपड़े पहनाएंगे. तिलक लगाएंगे और मुकुट धारण कराएंगे. कुण्डल धारण कराएंगे. इसके बाद जितने भी भोग लगते हैं वो भोग लगाए जाएंगे. इसके बाद आरती करेंगे. आरती करने के बाद प्रसाद वितरण करेंगे. 12 बजे राजभोग के रूप में भोग लगेगा. इसके बाद में शाम का भोग लगेगा.' बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद नए विग्रह और पुराने विग्रह की पूजा की जानी है.
कितने और किस प्रकार के लगेंगे भोग, कितनी होंगी आरतियां: वे बताते हैं, '5 आरतियां, 3 बाल भोग और 2 राजभोग के साथ रामलला की पूजा की जाएगी. रामलला को जगाने और शयन कराने के लिए अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण किया जाएगा.' आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं, रामलला को जगाने के लिए हम कहते हैं कि ये ईश्वर, परमात्मा. आप उठिए सवेरा हो गया है. मै आपकी पूजा-अर्चना करूंगा. उनसे कहा जाता है कि हे ईश्वर जब आप उठेंगे उसके बाद ही इस धरती पर रहने वाले जीव उठेंगे और आपके बाद ही अपना जीवन शुरू करेंगे.
रामलला को रात में सोने से पहले सुनाया जाएगा विशेष मंत्र: उन्होंने बताया कि इसी तरीके से रात के शयन के लिए भी भगवान को मंत्रोच्चार के साथ सुलाया जाता है. रामलला की पूजा के लिए अभी नई किताब आई है, जिसमें पूजन विधि लिखी हुई है. इस किताब का नाम है 'श्रीरामोपासना'.
28 साल किसी तरह हुई रामलला की पूजा: आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि, हमने रामलला की पूजा उस परिस्थिति में की जब वो त्रिपाल में रहे. उस टेंट में रहने के कारण जो परेशानियां रहीं उन सब में 28 तक रामलला रहे. उनकी पूजा-अर्चना किसी तरीके से होती थी. उसके लिए रिसीवर नियुक्त थे. रिसीवर से कोई चीज मांगी जाती थी तब वह जाकर कोई चीज देते थे. उसमें भी कटौती कर दी जाती थी. जिस समय कोर्ट ने पूजा का आधिकार दिया था उस समय सारा अधिकार रिसीवर को था. वह सब कुछ कर सकते थे. मण्डलायुक्त रिसीवर बनाए गए. उन्होंने भी किसी तरह से काम चलाया. इसी तरह 28 साल बीत गए. रिसीवर सोचते थे कि किसी तरीके से समय बीत जाए और ट्रांसफर हो जाए.