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बुलेट ट्रेन मार्गों पर लगाए जाएंगे रेनफॉल मॉनिटरिंग सिस्टम - Rainfall Monitoring system

Rainfall Monitoring System: NHSRCL ने बताया है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के साथ ठाणे और पालघर जिलों में छह रेन गेज स्टेशन स्थापित करने का प्रस्ताव है.

Rainfall Monitoring System
बुलेट ट्रेन मार्गों पर लगाए जाएंगे ऑटोमैटिड रेनफॉल मॉनिटरिंग सिस्टम (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 15, 2024, 3:04 PM IST

नई दिल्ली: भारी बारिश के दौरान बुलेट ट्रेन सेवाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे ने रेन गेज का इस्तेमाल करके बारिश पर वास्तविक समय के आंकड़ों की निगरानी के लिए एक ऑटोमैटिड रेनफॉल मॉनिटरिंग सिस्टम अडोप्ट किया है. यह सिस्टम एडवांस इंस्ट्रूमेंट सिस्टम से लैस है. इस बात की जानकारी राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने दी.

अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह एडवांस इंस्ट्रूमेंट सिस्टम से लैस रेन गेज का उपयोग करके बारिश पर रियल टाइम डेटा हासिल करेगा. बता दें कि प्रत्येक गेज में एक ट्रिपिंग सेल होता है जो एकत्रित बारिश की मात्रा के रिस्पांस में सिग्नल पल्स जनरेट करता है.

इन पल्स को एक सिग्नल कम्युनिकेश लाइन के माध्यम से ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (OCC) में फैसलिटी कंट्रोलर सिस्टम से में भेजा जाता है, जहां उन्हें सावधानीपूर्वक डिस्प्ले और मॉनिटर किया जाता है. NHSRCL के अधिकारियों ने बताया कि यह दो महत्वपूर्ण माप मान प्रदान करेगा. पहला प्रति घंटा बारिश और उसकी मात्रा. दूसरा 24 घंटे की बारिश और पिछले 24 घंटों में हुई कुल वर्षा.

मिलेगा रियल टाइम डेटा
ऑटोमैटिक रेन मॉनिटरिंग सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि बुलेट ट्रेन सेवाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए, एक स्वचालित वर्षा निगरानी प्रणाली को अपनाया गया है. यह सिस्टम एडवांस इंस्ट्रूमेंटेशन सिस्टम से लैस वर्षा गेज का उपयोग करके वर्षा पर रियल टाइम डेटा प्रदान करेगी.

पृथ्वी संरचना के आधार पर लागू होंगे नियम
NHSRCL के अधिकारियों ने कहा, 'मैनटेनेंस सेंटर के माध्यम से एक्टिव गश्ती दलों द्वारा विधिवत मान्य किए गए प्रत्येक खंड के लिए वर्षा डेटा, पृथ्वी संरचना के प्रकार और प्राकृतिक ढलानों के आधार पर विशिष्ट नियम लागू किए जाएंगे.'

गौरतलब है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के साथ ठाणे और पालघर जिलों में विशेष रूप से कमजोर मिट्टी की संरचनाओं, पर्वतीय सुरंग के प्रवेश या निकास और सुरंग के द्वारों के पास लगभग छह यंत्रयुक्त वर्षामापी स्टेशन स्थापित करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा कटाव और संभावित भूस्खलन जोखिम वाले क्षेत्रों पर भी बारीकी से नजर रखी जाएगी.

यह भी पढ़ें- कुमंडीह रेल हादसे के बाद उठ रहे कई सवाल, जंगली इलाकों में क्यों रोकी जाती हैं पैसेंजर ट्रेनें?

नई दिल्ली: भारी बारिश के दौरान बुलेट ट्रेन सेवाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे ने रेन गेज का इस्तेमाल करके बारिश पर वास्तविक समय के आंकड़ों की निगरानी के लिए एक ऑटोमैटिड रेनफॉल मॉनिटरिंग सिस्टम अडोप्ट किया है. यह सिस्टम एडवांस इंस्ट्रूमेंट सिस्टम से लैस है. इस बात की जानकारी राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने दी.

अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह एडवांस इंस्ट्रूमेंट सिस्टम से लैस रेन गेज का उपयोग करके बारिश पर रियल टाइम डेटा हासिल करेगा. बता दें कि प्रत्येक गेज में एक ट्रिपिंग सेल होता है जो एकत्रित बारिश की मात्रा के रिस्पांस में सिग्नल पल्स जनरेट करता है.

इन पल्स को एक सिग्नल कम्युनिकेश लाइन के माध्यम से ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (OCC) में फैसलिटी कंट्रोलर सिस्टम से में भेजा जाता है, जहां उन्हें सावधानीपूर्वक डिस्प्ले और मॉनिटर किया जाता है. NHSRCL के अधिकारियों ने बताया कि यह दो महत्वपूर्ण माप मान प्रदान करेगा. पहला प्रति घंटा बारिश और उसकी मात्रा. दूसरा 24 घंटे की बारिश और पिछले 24 घंटों में हुई कुल वर्षा.

मिलेगा रियल टाइम डेटा
ऑटोमैटिक रेन मॉनिटरिंग सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि बुलेट ट्रेन सेवाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए, एक स्वचालित वर्षा निगरानी प्रणाली को अपनाया गया है. यह सिस्टम एडवांस इंस्ट्रूमेंटेशन सिस्टम से लैस वर्षा गेज का उपयोग करके वर्षा पर रियल टाइम डेटा प्रदान करेगी.

पृथ्वी संरचना के आधार पर लागू होंगे नियम
NHSRCL के अधिकारियों ने कहा, 'मैनटेनेंस सेंटर के माध्यम से एक्टिव गश्ती दलों द्वारा विधिवत मान्य किए गए प्रत्येक खंड के लिए वर्षा डेटा, पृथ्वी संरचना के प्रकार और प्राकृतिक ढलानों के आधार पर विशिष्ट नियम लागू किए जाएंगे.'

गौरतलब है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के साथ ठाणे और पालघर जिलों में विशेष रूप से कमजोर मिट्टी की संरचनाओं, पर्वतीय सुरंग के प्रवेश या निकास और सुरंग के द्वारों के पास लगभग छह यंत्रयुक्त वर्षामापी स्टेशन स्थापित करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा कटाव और संभावित भूस्खलन जोखिम वाले क्षेत्रों पर भी बारीकी से नजर रखी जाएगी.

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