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ATS की पूछताछ में हुआ खुलासा, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई लोग अनजाने में बन रहे ISI के मददगार - ATS interrogation

उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के भोले भाले लोग अभी तक सिर्फ साइबर अपराधियों का ही निशाना बन रहे थे, लेकिन अब उनका फायदा आतंकी संगठन भी उठा रहे हैं और अनजाने में ISI के नेटवर्क में शामिल हो जा रहे हैं.

isi का जाल.
isi का जाल. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 10:46 PM IST

Updated : May 13, 2024, 11:05 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के भोले भाले लोग अभी तक सिर्फ साइबर अपराधियों का ही निशाना बन रहे थे, लेकिन अब उनका फायदा आतंकी संगठन भी उठा रहे हैं और अनजाने में ISI के नेटवर्क में शामिल हो जा रहे हैं. हाल ही में संतकबीरनगर से गिरफ्तार किए गए जियाउल हक ने एटीएस की रिमांड में कई बड़े खुलासे किए हैं, जिसमें उसने एजेंसी को बताया कि वह देश भर में फैले आईएसआई के कई एजेंट को खुफिया जानकारियां निकालने के लिए अलग-अलग खातों से पैसे ट्रांसफर करता था. ये वे खाते होते हैं, जिन्हे इन्हीं तीन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दस्तावेजों के आधार पर खुलवाए जाते हैं, जिसकी जानकारी उन लोगों को हो ही नहीं पाती है.

4 मई को गिरफ्तार किए गए चंपारण बिहार के रहने वाले जियाउल हक को स्पेशल जज एनआइए / एटीएस ने सात दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की है. इस दौरान यूपी एटीएस ने जियाउल हक से देश भर में फैले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट्स और उन्हे फंडिंग करने वालों की जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ की है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, जियाउल हक ने पूछताछ में बताया है कि वह सीधे तौर पर आईएसआई के कमांडर से संपर्क में था. ISI उसे भारत में रह रहे कुछ एजेंट्स की डिटेल भेजती थी, जिनसे वह सेना से जुड़ी जानकारियां जुटाया करता और उसके एवज में उन्हें पैसे ट्रांसफर करता था. ये पैसा आईएसआई पाकिस्तान में बैठ कर जियाउल को भेजता और फिर वह यहां एजेंट्स को सीधे बैंक में ट्रांसफर करता था.

यूपी, बिहार व बंगाल के लोगों के खरीदते थे बैंक अकाउंट

सूत्रों के मुताबिक, जियाउल हक से जन यूपी एटीएस ने यह पूछा कि वह अपने अकाउंट में पाकिस्तान से पैसे मंगवाता और फिर उसे एजेंट्स को ट्रांसफर करता था. ऐसे में क्या उसे डर नहीं था कि बैंक अकाउंट से उनकी जानकारी हम तक पहुंच जाएगी. जिस पर जियाउल ने जवाब दिया कि किसी का भी अकाउंट उनके नाम पर नहीं था. बल्कि वो साइबर अपराधियों की ही तरह बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों के लोगों को कुछ रुपए देकर उनके बैंक अकाउंट खरीद लेते थे. उन्हे यह पता ही नहीं चलता था कि यह अकाउंट ISI के लिए इस्तमाल किया जाएगा. ऐसे में जब बैंक अकाउंट और उसके एटीएम कार्ड उनके पास आ जाते थे तो ये सभी एजेंट्स को दे दिए जाते.

खुद नेपाल व एजेंट्स को देता था प्री एक्टिवेटेड सिम

जियाउल हक ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह खुद नेपाल के सिम से व्हाट्सएप चलाता था, जिससे वह ISI के संपर्क में था. इसके अलावा एजेंट्स तक उसके अन्य साथी प्री एक्टिवेटेड सिम मुहैया करवाता था, जिस पर वे व्हाट्सएप चलाते थे. यूपी एटीएस के मुताबिक, बीते वर्ष आईएसआई के तीन एजेंट ऑटो ड्राइवर अमृतपाल, इजहारुल और रियाजुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था. तीनों से पूछताछ में जियाउल हक का नाम सामने आया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें खुफिया जानकारी ISI तक पहुंचाने के लिए जियाउल हक ही पैसे और सिम मुहैया करवाता था. जिसके बाद से ही यूपी एटीएस उसे तलाश रही थी.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के भोले भाले लोग अभी तक सिर्फ साइबर अपराधियों का ही निशाना बन रहे थे, लेकिन अब उनका फायदा आतंकी संगठन भी उठा रहे हैं और अनजाने में ISI के नेटवर्क में शामिल हो जा रहे हैं. हाल ही में संतकबीरनगर से गिरफ्तार किए गए जियाउल हक ने एटीएस की रिमांड में कई बड़े खुलासे किए हैं, जिसमें उसने एजेंसी को बताया कि वह देश भर में फैले आईएसआई के कई एजेंट को खुफिया जानकारियां निकालने के लिए अलग-अलग खातों से पैसे ट्रांसफर करता था. ये वे खाते होते हैं, जिन्हे इन्हीं तीन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दस्तावेजों के आधार पर खुलवाए जाते हैं, जिसकी जानकारी उन लोगों को हो ही नहीं पाती है.

4 मई को गिरफ्तार किए गए चंपारण बिहार के रहने वाले जियाउल हक को स्पेशल जज एनआइए / एटीएस ने सात दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की है. इस दौरान यूपी एटीएस ने जियाउल हक से देश भर में फैले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट्स और उन्हे फंडिंग करने वालों की जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ की है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, जियाउल हक ने पूछताछ में बताया है कि वह सीधे तौर पर आईएसआई के कमांडर से संपर्क में था. ISI उसे भारत में रह रहे कुछ एजेंट्स की डिटेल भेजती थी, जिनसे वह सेना से जुड़ी जानकारियां जुटाया करता और उसके एवज में उन्हें पैसे ट्रांसफर करता था. ये पैसा आईएसआई पाकिस्तान में बैठ कर जियाउल को भेजता और फिर वह यहां एजेंट्स को सीधे बैंक में ट्रांसफर करता था.

यूपी, बिहार व बंगाल के लोगों के खरीदते थे बैंक अकाउंट

सूत्रों के मुताबिक, जियाउल हक से जन यूपी एटीएस ने यह पूछा कि वह अपने अकाउंट में पाकिस्तान से पैसे मंगवाता और फिर उसे एजेंट्स को ट्रांसफर करता था. ऐसे में क्या उसे डर नहीं था कि बैंक अकाउंट से उनकी जानकारी हम तक पहुंच जाएगी. जिस पर जियाउल ने जवाब दिया कि किसी का भी अकाउंट उनके नाम पर नहीं था. बल्कि वो साइबर अपराधियों की ही तरह बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों के लोगों को कुछ रुपए देकर उनके बैंक अकाउंट खरीद लेते थे. उन्हे यह पता ही नहीं चलता था कि यह अकाउंट ISI के लिए इस्तमाल किया जाएगा. ऐसे में जब बैंक अकाउंट और उसके एटीएम कार्ड उनके पास आ जाते थे तो ये सभी एजेंट्स को दे दिए जाते.

खुद नेपाल व एजेंट्स को देता था प्री एक्टिवेटेड सिम

जियाउल हक ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह खुद नेपाल के सिम से व्हाट्सएप चलाता था, जिससे वह ISI के संपर्क में था. इसके अलावा एजेंट्स तक उसके अन्य साथी प्री एक्टिवेटेड सिम मुहैया करवाता था, जिस पर वे व्हाट्सएप चलाते थे. यूपी एटीएस के मुताबिक, बीते वर्ष आईएसआई के तीन एजेंट ऑटो ड्राइवर अमृतपाल, इजहारुल और रियाजुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था. तीनों से पूछताछ में जियाउल हक का नाम सामने आया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें खुफिया जानकारी ISI तक पहुंचाने के लिए जियाउल हक ही पैसे और सिम मुहैया करवाता था. जिसके बाद से ही यूपी एटीएस उसे तलाश रही थी.

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Last Updated : May 13, 2024, 11:05 PM IST
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