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भारत में CAA लागू होने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़े: बांग्लादेशी हिंदू नेता

Citizenship Amendment Act, भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद से बांग्लादेश में कथित तौर पर हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं. इस बात की जानकारी बांग्लादेश के राष्ट्रीय हिंदू ग्रैंड अलायंस के महासचिव एडवोकेट गोविंद चंद्र प्रमाणिक ने दी है. उनका कहना है कि भारत में इस अधिनियम के लागू होने के बाद से बांग्लादेश से हिंदूओं का पलायन बढ़ गया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 19, 2024, 4:30 PM IST

गुवाहाटी: भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के साथ ही पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और भी बढ़ गए हैं. इसे देखते हुए कई हिंदू बांग्लादेशी अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. दूसरी ओर, बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में नागरिकता देने के वादे के कारण कई लोग देश छोड़ चुके हैं.

ये हम नहीं कह रहे. यह बात बांग्लादेश के राष्ट्रीय हिंदू ग्रैंड अलायंस के महासचिव एडवोकेट गोविंद चंद्र प्रमाणिक ने कही है. भारत में सीएए लागू होने के बाद बांग्लादेश के माहौल और स्थिति को लेकर अधिवक्ता प्रमाणिक ने ईटीवी भारत के रिपोर्टर माणिक कुमार राय से फोन पर बातचीत की. बातचीत में उन्होंने कई पहलुओं के साथ-साथ कुछ विस्फोटक तथ्य भी उजागर किए.

बातचीत में उन्होंने बांग्लादेश में सीएए के असर पर बात की और कहा कि बांग्लादेश में मुसलमान इसे नफरत की नजर से देख रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस एक्ट में मुसलमानों को नजरअंदाज किया गया है. बांग्लादेश में मुसलमानों ने इस कानून को सांप्रदायिक बताया है. उधर, बांग्लादेश में अफवाह है कि भारत के मुसलमानों को भगा दिया जाएगा.

बातचीत के दौरान प्रमाणिक ने कहा कि इस बहुचर्चित कानून पर बांग्लादेश में हिंदुओं की ओर से ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि जो लोग 2014 से पहले भारत गए उन्हें नागरिकता मिलेगी. जो लोग यहां (बांग्लादेश) हैं, उन्हें कोई फायदा नहीं है. लेकिन इस कानून के बनने से इस कुचक्र ने हिंदुओं पर भयानक अत्याचार किए हैं.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक इस्लामिक राज्य है और लोगों का एक वर्ग हिंदुओं पर देश छोड़ने का दबाव बना रहा है, क्योंकि उनके अनुसार देश में कोई हिंदू नहीं होना चाहिए. बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 7.95 फीसदी है. लेकिन हकीकत में यह दर और भी ज्यादा होगी. 2015 में यह दर 10.7 फीसदी थी.

वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या में गिरावट की वजह पर उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का असर है, लेकिन संख्या ज्यादा नहीं है. हिंदुओं की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण देश से पलायन है. यह कहते हुए कि अपनी जान की खातिर बांग्लादेश छोड़ने वाले हिंदुओं ने भारत में शरण ली थी, उन्होंने कहा कि भारत में नागरिकता का मुद्दा सामने आने के बाद ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए.

उन्होंने कहा कि अब तो अत्याचार दो सौ गुना बढ़ गया है. जिसके लिए उन्होंने दोहरी नागरिकता का मुद्दा उठाया और कहा कि दोहरी नागरिकता होना बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए अच्छा होगा. क्योंकि अगर वर्तमान समय में भी बांग्लादेश से हिंदू भारत में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें कानून के मुताबिक नागरिकता नहीं मिलेगी. दोहरी नागरिकता होने पर उन लोगों के परिवार भी आ सकेंगे, जो 1964 के संघर्ष के दौरान ज़मीन छोड़कर भारत चले गए थे.

उन्होंने भारत सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में प्रवेश के मामले में वीज़ा से मुक्त करने का भी आह्वान किया. उन्होंने भारत में हिंदू बांग्लादेशियों की आमद का जिक्र करते हुए कहा कि 1971 के बाद बांग्लादेश से करीब साढ़े चार करोड़ हिंदू लोग भारत में आए हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हिंदू बांग्लादेशियों के भारत में प्रवेश का सिलसिला और भी तेजी से बढ़ रहा है.

यह देखते हुए कि पिछले छह वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू आबादी में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, उन्होंने कहा कि सभी हिंदुओं ने धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि कोई भी अपनी पवित्र मातृभूमि को छोड़कर अन्य स्थानों पर नहीं जाना चाहता. लेकिन कई लोग अपनी जान बचाने के लिए वहां से निकलने को मजबूर हो गए हैं.

उन्होंने कहा, एक पड़ोसी देश के तौर पर हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार बांग्लादेश के हिंदुओं पर नजर रखेगी. उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं के मुद्दे पर भारत सरकार की चुप्पी ने उन्हें बहुत आहत किया है. उन्होंने भारत सरकार से बांग्लादेश की संसद में अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का भी आह्वान किया.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने विभिन्न कारणों से पड़ोसी देश से दूर जाकर भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने के लिए सीएए लागू किया है, लेकिन इसका बांग्लादेश पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ा है. यह कानून हिंदुओं के कल्याण के लिए लाया गया है, लेकिन हकीकत में बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अब खतरे में हैं. नागरिकता के मुद्दे पर 2014 के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न 200 प्रतिशत तक बढ़ गया है.

गुवाहाटी: भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के साथ ही पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और भी बढ़ गए हैं. इसे देखते हुए कई हिंदू बांग्लादेशी अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. दूसरी ओर, बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में नागरिकता देने के वादे के कारण कई लोग देश छोड़ चुके हैं.

ये हम नहीं कह रहे. यह बात बांग्लादेश के राष्ट्रीय हिंदू ग्रैंड अलायंस के महासचिव एडवोकेट गोविंद चंद्र प्रमाणिक ने कही है. भारत में सीएए लागू होने के बाद बांग्लादेश के माहौल और स्थिति को लेकर अधिवक्ता प्रमाणिक ने ईटीवी भारत के रिपोर्टर माणिक कुमार राय से फोन पर बातचीत की. बातचीत में उन्होंने कई पहलुओं के साथ-साथ कुछ विस्फोटक तथ्य भी उजागर किए.

बातचीत में उन्होंने बांग्लादेश में सीएए के असर पर बात की और कहा कि बांग्लादेश में मुसलमान इसे नफरत की नजर से देख रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस एक्ट में मुसलमानों को नजरअंदाज किया गया है. बांग्लादेश में मुसलमानों ने इस कानून को सांप्रदायिक बताया है. उधर, बांग्लादेश में अफवाह है कि भारत के मुसलमानों को भगा दिया जाएगा.

बातचीत के दौरान प्रमाणिक ने कहा कि इस बहुचर्चित कानून पर बांग्लादेश में हिंदुओं की ओर से ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि जो लोग 2014 से पहले भारत गए उन्हें नागरिकता मिलेगी. जो लोग यहां (बांग्लादेश) हैं, उन्हें कोई फायदा नहीं है. लेकिन इस कानून के बनने से इस कुचक्र ने हिंदुओं पर भयानक अत्याचार किए हैं.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक इस्लामिक राज्य है और लोगों का एक वर्ग हिंदुओं पर देश छोड़ने का दबाव बना रहा है, क्योंकि उनके अनुसार देश में कोई हिंदू नहीं होना चाहिए. बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 7.95 फीसदी है. लेकिन हकीकत में यह दर और भी ज्यादा होगी. 2015 में यह दर 10.7 फीसदी थी.

वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या में गिरावट की वजह पर उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का असर है, लेकिन संख्या ज्यादा नहीं है. हिंदुओं की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण देश से पलायन है. यह कहते हुए कि अपनी जान की खातिर बांग्लादेश छोड़ने वाले हिंदुओं ने भारत में शरण ली थी, उन्होंने कहा कि भारत में नागरिकता का मुद्दा सामने आने के बाद ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए.

उन्होंने कहा कि अब तो अत्याचार दो सौ गुना बढ़ गया है. जिसके लिए उन्होंने दोहरी नागरिकता का मुद्दा उठाया और कहा कि दोहरी नागरिकता होना बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए अच्छा होगा. क्योंकि अगर वर्तमान समय में भी बांग्लादेश से हिंदू भारत में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें कानून के मुताबिक नागरिकता नहीं मिलेगी. दोहरी नागरिकता होने पर उन लोगों के परिवार भी आ सकेंगे, जो 1964 के संघर्ष के दौरान ज़मीन छोड़कर भारत चले गए थे.

उन्होंने भारत सरकार से बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में प्रवेश के मामले में वीज़ा से मुक्त करने का भी आह्वान किया. उन्होंने भारत में हिंदू बांग्लादेशियों की आमद का जिक्र करते हुए कहा कि 1971 के बाद बांग्लादेश से करीब साढ़े चार करोड़ हिंदू लोग भारत में आए हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हिंदू बांग्लादेशियों के भारत में प्रवेश का सिलसिला और भी तेजी से बढ़ रहा है.

यह देखते हुए कि पिछले छह वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू आबादी में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, उन्होंने कहा कि सभी हिंदुओं ने धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि कोई भी अपनी पवित्र मातृभूमि को छोड़कर अन्य स्थानों पर नहीं जाना चाहता. लेकिन कई लोग अपनी जान बचाने के लिए वहां से निकलने को मजबूर हो गए हैं.

उन्होंने कहा, एक पड़ोसी देश के तौर पर हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार बांग्लादेश के हिंदुओं पर नजर रखेगी. उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं के मुद्दे पर भारत सरकार की चुप्पी ने उन्हें बहुत आहत किया है. उन्होंने भारत सरकार से बांग्लादेश की संसद में अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का भी आह्वान किया.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने विभिन्न कारणों से पड़ोसी देश से दूर जाकर भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने के लिए सीएए लागू किया है, लेकिन इसका बांग्लादेश पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ा है. यह कानून हिंदुओं के कल्याण के लिए लाया गया है, लेकिन हकीकत में बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू अब खतरे में हैं. नागरिकता के मुद्दे पर 2014 के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न 200 प्रतिशत तक बढ़ गया है.

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