रांची: झारखंड की राजनीति में इनदिनों असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा छाए हुए हैं. सेंटर ऑफ अट्रेक्शन बने हुए हैं. पॉलिटिक्ल नैरेटिव सेट कर रहे हैं. उनकी पहल पर झामुमो के वरिष्ठ नेता रहे चंपाई सोरेन भाजपा में आ चुके हैं. बोरियो के विधायक रहे लोबिन हेंब्रम भी भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं. अब सवाल है कि क्या भाजपा बौरो प्लेयर के भरोसे झारखंड के चुनावी रण को जीतना चाहती है. चुनाव सह प्रभारी के नाते हिमंता बिस्वा सरमा के सामने झारखंड में कौन-कौन सी चुनौतियां हैं. सत्ता तक पहुंचने के लिए कौन सा रास्ता मुफिद दिख रहा है. हेमंत सोरेन को कितनी बड़ी चुनौती मान रहे हैं. इन सारे सवालों पर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा से बात की हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने.
लोकसभा चुनाव के पैटर्न को दोहराने पर जोर
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा का कहना है कि झारखंड में भाजपा का गुडविल अच्छा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 14 में से 12 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में वैसे रिस्पांस नहीं मिला. हम चाहते हैं कि जो लोग हमे लोकसभा चुनाव में साथ देते हैं, वे विधानसभा चुनाव में भी साथ दें. इस मामले में हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. माहौल भी बना है. चुनाव के वक्त झारखंड में माहौल भाजामय हो जाएगा.
झारखंड में किसके साथ होने वाली है लड़ाई
सीएम हिमंता से पूछा गया कि इस बार का चुनाव हेमंत बनाम हिमंता, भाजपा बनाम झामुमो या इंडी बनाम एनडीए होगा. जवाब में उन्होंने कहा कि उनका काम है कार्यकर्ता को उत्साहित करना. वातावरण को पीछे से सपोर्ट करना. मुझे यहां सेहरा नहीं बांधना है. इससे पार्टी को भी कोई फायदा नहीं होगा. चुनावी संग्राम में मैं कभी भी फ्रंटफूट पर नहीं रहूंगा.
क्या इस चुनाव में सारथी की भूमिका में रहेंगे
क्या हिमंता सारथी की भूमिका में रहेंगे. इस सवाल जवाब में असम के सीएम कहते हैं कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे निभाना है. लेकिन झारखंड की आंतरिक राजनीति में मुझे इंटर नहीं करना है. हमे एक लक्ष्मण रेखा का भी ध्यान रखना है.
सारा नैरेटिव सेट आप कर रहे हैं
पार्टी का निर्णय है कि असम, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों के मुद्दो को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना है. साथ ही प्रदेश में भी जागरुकता लाना है. हमारा लक्ष्य है कि लोग इस समस्या के समाधान के प्रति जागरुक हों. ये सिर्फ झारखंड का मुद्दा नहीं है. यह मुद्दा पूरे देश का है. मैं अपनी लक्ष्मण रेखा जानता हूं.
झामुमो में भगदड़ क्यों मची है
आदिवासी समाज की बहुत सी समस्याएं हैं. उन समस्याओं से भाजपा खुद को अलग नहीं रख सकती. अगर चंपाई सोरेन और लोबिन जैसे लोग भाजपा में आते हैं तो वे आदिवासी की आवाज लेकर आते हैं. उस आवाज को हमे प्लेटफॉर्म देना है. इन दोनों नेताओं का भाजपा में आना हमारे लिए शुभ संकेत है. पहले हमसे पूछा जाता था कि आपके पास आदिवासी लीडर कौन है. अब मीडिया बोल रही है कि आपके पास बहुत सारे आदिवासी नेता आ गये हैं.
कैसे संभालेंगे इतने पूर्व मुख्यमंत्रियों को
झामुमो का जिक्र करते हुए यह पूछने पर कि चंपाई सोरेन के भाजपा ज्वाइन करते वक्त अपने भाषण में बाबूलाल मरांडी ने एक बार भी उनका नाम क्यों नहीं लिया. जवाब में सीएम हिमंता ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के कहने पर ही चंपाई सोरेन के साथ बातचीत आगे बढ़ी. रही बात इतने पूर्व मुख्यमंत्रियों को संभालने की तो झामुमो से सीखना होगा. क्योंकि चंपाई के आने से पहले झामुमो में तीन सीएम थे और भाजपा में सिर्फ दो. अब झामुमो को बताना चाहिए कि वे अपने पूर्व सीएम को क्यों नहीं संभाल पाए. जासूस लगाकर संभालते थे. हम संभालेंगे प्यार और सम्मान से.
भाजपा की ओर से कौन होगा सीएम चेहरा
यह तय करेगा पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड. आपने जो बीजेपी देखा था, उससे बहुत अलग है आज की बीजेपी. असम के सीएम ने दावे के साथ कहा कि सीएम के नाम को लेकर कोई सवाल नहीं उठने वाला है. इसकी गारंटी देता हूं.
क्या आप जानते हैं हिमंता और हेमंत का मतलब
असम के सीएम ने अपने नाम पर अर्थ बताया. उन्होंने कहा कि उनका नाम हिम और अंत से जुड़कर बना है. जहां से बर्फ पिघलना शुरु होता है उसे हिमंता कहा जाता है. जबकि हेमंत का मतलब एक ऋतु से है. उन्होंने कहा कि हमारे पिताजी ने बहुत सोचकर मुझे नाम दिया था.
हेमंत सोरेन को आप कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं
सीएम हिमंता ने कहा कि मैं चाहता हूं कि आगे चलकर भाजपा को झामुमो के साथ काम करना चाहिए. वैसे इस चुनाव में यह संभव नहीं है. लेकिन झामुमो के पास आदिवासी समाज का गुडविल है. कांग्रेस चाहती है आदिवासी और घुसपैठियां समाज में समीकरण बनाना. यह राष्ट्रहित में नहीं है. संथाल में घुसपैठियां हावी हो गये हैं. झामुमो को लग रहा है कि वो उनका वोट है. यह सोच ममता बनर्जी या कांग्रेस ने डेवलप कराया है. मैं हेमंत जी को मैसेज देने की कोशिश कर रहा हूं कि घुसपैठियां आपका दोस्त कभी नहीं बनेगा. आप बिहारी और बंगाली की तुलना घुसपैठियों से नहीं कर सकते. ये भारत मां की संतान हैं. मूलवासियों की समस्याओं को एड्रेस कीजिए. मूलवासियों की समस्या के समाधान के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को मत आने दीजिए. अभी हेमंत अलग तरह के लोगों से घिरे हैं. लेकिन मैं उन्हें अपना दुश्मन नहीं मानता. चुनाव बाद मैं उनसे भी संपर्क करूंगा. मुझे आदिवासी को बचाना है. झारखंड को आगे बढ़ाना है. जिस दिन हेमंत सोरेन कांग्रेस से नाता तोड़ लेंगे, उस दिन हम जुड़ जाएंगे.
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