गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर उल्फा (आई) को शांति वार्ता के लिए बुलाया है. मुख्यमंत्री ने उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ से फिर अपील करते हुए कहा, 'परेश बरुआ को दस दिनों के लिए म्यांमार छोड़ देना चाहिए और असम आना चाहिए. उसके बाद वह असम छोड़ना नहीं चाहेंगे. आज असम में माहौल बदला हुआ है. कभी-कभी मैं परेश बरुआ को फोन पर बताता रहता हूं कि 80 से 2023 के बीच चीजें इतनी बदल गई हैं कि उन्हें यकीन ही नहीं होता. हथियारों के बजाय असम में अब जन आंदोलन की जरूरत है.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं उल्फा को आतंकवादी नहीं कहूंगा, मैं मातृभूमि से प्यार करने के कृत्य को आतंकवाद नहीं कहूंगा. हमने हर संभव तरीके से मदद की है और इस बारे में बात करते रहे हैं कि हम क्या कर सकते हैं (शांति पाने के लिए). मैं परेश बरुआ से हमेशा कहता हूं कि अगर आप 10 दिन के लिए असम आएंगे तो फिर वापस नहीं जाएंगे.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'अपने जन्म के बाद से हमने नागा विद्रोह, मिज़ो विद्रोह देखा है. हमने कहीं भी कोई समाधान नहीं देखा. हाल ही में दो या तीन वर्षों में हमने थोड़ी शांति देखी है. हथियारों की गिरफ्त में राज्य में शांति नहीं है. आत्मनिर्भर असम असमिया की लड़ाई है. यहां हथियारों से यह संभव नहीं है'.
डॉ. सरमा का बयान शनिवार को श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र के सभागार में आयोजित वार्ता समर्थक उल्फा की एक विशेष बैठक के दौरान आया. मुख्यमंत्री की उपस्थिति में पूर्व उल्फा सदस्यों, आतंक उन्मूलन अभियानों के पीड़ितों, प्रताड़ित परिवारों और लापता सदस्यों के करीबी रिश्तेदारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया.
गौरतलब है कि कि 44 साल के संघर्ष के अंत में उल्फा का वार्ता समर्थक गुट पहले ही भंग हो चुका है, लेकिन परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा (आई) ने संप्रभुता के लिए अपना सशस्त्र संघर्ष जारी रखा है. इस बात से साफ है कि मुख्यमंत्री और असम सरकार का लहजा उल्फा (आई) के प्रति नरम है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज के कार्यक्रम में परेश बरुआ को असम आकर शांति वार्ता में शामिल होने का एक तरह का संदेश दिया.
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