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असम के कलाकार ने बटन से बना दी मां दुर्गा की मूर्ति, कई रिकॉर्ड हैं इस शख्स के नाम - Artiste in Dhubri makes Durga idol

Durga Idol of Assam: असम के धुबरी जिले के एक मूर्तिकार ने दुर्गा मां की मूर्ति बनाने में 2 लाख बेकार बटनों का इस्तेमाल किया. इस मूर्ति को बनाने में उन्हें तीन महीने का समय लगा. वहीं, कार्बन तांबे से बनी दूसरी मूर्ति बनाने में उन्हें नौ महीने लगे.

artist of assam
असम के कलाकार ने बनाई मां दुर्गा की मूर्ति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 1, 2024, 7:23 PM IST

धुबरी: पश्चिमी असम के धुबरी शहर में दुर्गा पूजा की सजावट हमेशा से ही आंखों को लुभाने वाली रही है. एक स्थानीय मूर्तिकार ने इस बार धुबरी में वेस्ट मटेरियल (अपशिष्ट पदार्थों) से दो अनोखी दुर्गा मां की मूर्तियां बनाई है, जिसे देखकर माता के भक्त आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएंगे.

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, इन मूर्तिकार ने बेकार हो चुके 2 लाख बटनों से देवी मां की पहली मूर्ति तैयार की है. वहीं उसने दूसरी मूर्ति बनाने के लिए कार्बन तांबे (कार्बन कॉपर) के इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से तैयार किया है. उन्हें मूर्ति को बनाने में तीन महीने का वक्त लग गया. वहीं, कार्बन तांबे से बनी दूसरी मूर्ति बनाने में उन्हें नौ महीने लगे. बता दें कि, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सजीब बसाक नाम के इस मूर्तिकार ने अनूठा योगदान दे रहे हैं.

यह मूर्तिकार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण असम (एसडीएमए असम) के एक कर्मचारी हैं. संजीब बसाक ने कहा कि, पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही उन्हें इन मूर्तियों का निर्माण किया है. उन्होंने कहा कि, "स्वच्छ पर्यावरण हर किसी की जिम्मेदारी है. इसलिए बटन और कार्बन तांबे जैसी साधारण वस्तुओं से मूर्तियां बनाकर, मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं कि हम बटन जैसी छोटी चीजों का भी फिर से उपयोग कर सकते हैं जो अन्यथा पर्यावरण को प्रदूषित करने कर सकती हैं.

प्लास्टिक के बटन समुद्र प्रदूषण का एक आम स्रोत हैं, क्योंकि वे आसानी से जलमार्गों से होते हुए समुद्र में पहुंच सकते हैं. ऐसे वेस्ट मटेरियल समुद्री जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं. वहीं कार्बन कॉपर भी मिट्टी और जल प्रदूषण का कारण बनता है.

बसाक ने कहा कि, उनकी दोनों मूर्तियों को धुबरी शहर के वार्ड नंबर 3 में पूजा पंडाल में प्रदर्शित किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मैं अपनी कला के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहता हूं कि हर किसी को कचरे के प्रबंधन के लिए पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया का पालन करना चाहिए ताकि पर्यावरण में कम प्रदूषण हो."

संजीब ने कहा कि, वे ड्यूटी से आने के बाद शाम और रात के समय ही रचनात्मक कार्यों के लिए समय दे पाते हैं. संजीब ने इससे पहले प्लास्टिक के चम्मच, थर्माकोल, कैप्सूल और टैबलेट आदि जैसे अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करके अनूठी दुर्गा मूर्तियां बनाई थीं. उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पहले ही शामिल किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2024: जानें, प्रमुख तिथियां, दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताएं, अनुष्ठान व महत्व

धुबरी: पश्चिमी असम के धुबरी शहर में दुर्गा पूजा की सजावट हमेशा से ही आंखों को लुभाने वाली रही है. एक स्थानीय मूर्तिकार ने इस बार धुबरी में वेस्ट मटेरियल (अपशिष्ट पदार्थों) से दो अनोखी दुर्गा मां की मूर्तियां बनाई है, जिसे देखकर माता के भक्त आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएंगे.

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, इन मूर्तिकार ने बेकार हो चुके 2 लाख बटनों से देवी मां की पहली मूर्ति तैयार की है. वहीं उसने दूसरी मूर्ति बनाने के लिए कार्बन तांबे (कार्बन कॉपर) के इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से तैयार किया है. उन्हें मूर्ति को बनाने में तीन महीने का वक्त लग गया. वहीं, कार्बन तांबे से बनी दूसरी मूर्ति बनाने में उन्हें नौ महीने लगे. बता दें कि, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सजीब बसाक नाम के इस मूर्तिकार ने अनूठा योगदान दे रहे हैं.

यह मूर्तिकार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण असम (एसडीएमए असम) के एक कर्मचारी हैं. संजीब बसाक ने कहा कि, पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही उन्हें इन मूर्तियों का निर्माण किया है. उन्होंने कहा कि, "स्वच्छ पर्यावरण हर किसी की जिम्मेदारी है. इसलिए बटन और कार्बन तांबे जैसी साधारण वस्तुओं से मूर्तियां बनाकर, मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं कि हम बटन जैसी छोटी चीजों का भी फिर से उपयोग कर सकते हैं जो अन्यथा पर्यावरण को प्रदूषित करने कर सकती हैं.

प्लास्टिक के बटन समुद्र प्रदूषण का एक आम स्रोत हैं, क्योंकि वे आसानी से जलमार्गों से होते हुए समुद्र में पहुंच सकते हैं. ऐसे वेस्ट मटेरियल समुद्री जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं. वहीं कार्बन कॉपर भी मिट्टी और जल प्रदूषण का कारण बनता है.

बसाक ने कहा कि, उनकी दोनों मूर्तियों को धुबरी शहर के वार्ड नंबर 3 में पूजा पंडाल में प्रदर्शित किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मैं अपनी कला के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहता हूं कि हर किसी को कचरे के प्रबंधन के लिए पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया का पालन करना चाहिए ताकि पर्यावरण में कम प्रदूषण हो."

संजीब ने कहा कि, वे ड्यूटी से आने के बाद शाम और रात के समय ही रचनात्मक कार्यों के लिए समय दे पाते हैं. संजीब ने इससे पहले प्लास्टिक के चम्मच, थर्माकोल, कैप्सूल और टैबलेट आदि जैसे अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करके अनूठी दुर्गा मूर्तियां बनाई थीं. उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पहले ही शामिल किया जा चुका है.

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