रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में बहस पूरी हो गई है. दोनों पक्षों की ओर से दलील पेश की गई है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत फैसला सुरक्षित रख लिया है.
ईडी की ओर से जमानत का विरोध किया गया. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि बड़गाई लैंड स्कैम में हेमंत सोरेन शामिल थे. इससे जुड़े तमाम साक्ष्यों का ईडी के अधिवक्ता ने जिक्र किया. उनकी ओर से उन्हीं बातों का जिक्र किया गया, जो बातें पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में रखी गई थीं. इससे पहले 12 जून को आंशिक सुनवाई हुई थी.
इधर, 10 जून को न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हेमंत सोरेन को नियमित जमानत देने के लिए दलील पेश की थी. उन्होंने पक्ष रखते हुए कहा था कि बड़गाई की जिस 8.86 एकड़ जमीन मामले में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया है, वह जमीन भुईंहरी है. उसका ट्रांसफर नहीं हो सकता है. उस जमीन के दस्तावेज में हेमंत सोरेन का कहीं भी नाम नहीं है. यह सिविल मामला है. इसलिए हेमंत सोरेन को जमानत दी जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि जमीन पर कब्जे की भी कोई शिकायत नहीं हुई है. याचिकार्ता की ओर से दलील पेश होने के बाद कोर्ट ने ईडी को पक्ष रखने के लिए 12 जून की तारीख तय की थी.
दरअसल, 13 मई को ईडी की स्पेशल कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उसी को हेमंत सोरेन की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. दरअसल, लैंड स्कैम मामले में ईडी की टीम ने 31 जनवरी को पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. उसी दिन उन्होंने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया था. तब से वह रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में हैं.
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