हैदराबाद : तस्करी एक वैश्विक समस्या है, जो दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है. दुनिया भर की सरकारों ने तस्करी से निपटने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं. इनमें सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, सख्त व्यापार नियमों को लागू करना और आपराधिक नेटवर्क को बाधित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना शामिल है. इन सबों के बावजूद आज के समय में तस्करी एक बड़ी समस्या बन गई है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. भ्रष्टाचार मुक्त देश और नीति निर्माताओं की इच्छा शक्ति पर काफी हद तक किसी देश में तस्करी की समस्या निर्भर करता है. इस साल तस्करी विरोधी दिवस की तीसरी वर्षगांठ है, इस दिन का मुख्य उद्देश्य तस्करी के महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करना और जागरूकता बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दोहराना है.
विश्व तस्करी दिवस का इतिहास: फिक्की (FICCI) ने कैस्केड (CASCADE) के साथ मिलकर 2022 में 11 फरवरी को 'एंटी स्मगलिंग डे' लॉन्च किया था. इसके तहत राष्ट्रव्यापी स्तर पर सभी तस्करी के विरोध में अभियान चलाया जाता है. इसके अलावा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी विरोधी दिवस पर कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ाने, सूचनाओं और अनुभवों को बेहतर ढंग से साझा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए मजबूत नेटवर्क बनाने का प्रयास किया जाता है. ताकि तस्करी की गतिविधियों को पूरी तरह से बंद किया जा सके.
तस्करी क्या है:
राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate Of Revenue Intelligence-DRI) के अनुसार सीमा शुल्क या आयात या निर्यात प्रतिबंधों से बचने के लिए राष्ट्रीय सीमाओं के पार माल/उत्पाद की गुप्त आवाजाही को तस्करी कहा जाता है. यह आम तौर पर तब होता है जब या तो सीमा शुल्क इतना अधिक होता है कि तस्कर गुप्त वस्तुओं पर बड़ा लाभ कमा सकता है या जब प्रतिबंधित वस्तुओं, जैसे नशीले पदार्थों या हथियारों की मजबूत मांग होती है.
तस्करी विरोधी दिवस का महत्व:
- एंटी स्मगलिंग डे, तस्करी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग व समन्वय को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.
- यह दिवस तस्करी के मूल कारणों व परिणामों पर चर्चा और समाधान के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करता है.
- यह दिवस सभी संबंधित एजेंसियों को समस्या के बारे में अवगत करने का अवसर देता है.
- यह दिवस उपभोक्ताओं व नागरिकों के बीच तस्करी, प्रतिबंधित पदार्थ और नकली उत्पादों के खतरनाक प्रभाव के बारे में जागरूकता को बढ़ाने का अवसर देता है.
- तस्करी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है.
- तस्करी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के बिना समुचित विकास संभव नहीं है.
तस्करी का प्रभाव
तस्करी संगठित अपराध में वृद्धि में योगदान करती है, क्योंकि यह आपराधिक समूहों के शोषण के लिए एक लाभदायक भूमिगत बाजार बनाती है. तस्करी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी संगठनों/आपराधिक संगठनों को आर्थिक रूप से मदद करती है. काला धन उत्पन्न करना और प्रसारित करना. तस्करी जिसमें करों और टैरिफ से बचना या चोरी करना शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप सरकारों को महत्वपूर्ण राजस्व हानि होती है. कुल मिलाकर यह देश के विकास और आर्थिक वृद्धि को नुकसान पहुंचाता है.
भारत में तस्करी की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं
- शराब
- खनिज पदार्थ
- नशीले पदार्थों
- विदेशी मुद्रा
- नशीले पदार्थ
- मादक पदार्थ
- हथियार व शस्त्र
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
- वन्यजीव, विदेशी जानवरों और पक्षियों के अंग
- एफएमसीजी व्यक्तिगत सामान और एफएमसीजी पैकेज्ड सामान
तस्करी पर कैसे रोक लगे?
- सीमा सुरक्षा और निगरानी बढ़ाया जाए.
- लोगों को तस्करी के खतरों और परिणामों के बारे में शिक्षित किया जाए.
- तस्करी विरोधी प्रयासों में स्थानीय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए.
- तस्करी गतिविधियों का पता लगाकर और ट्रैकिंग में सुधार किया जाए.
- विभिन्न एजेंसियों और देशों के बीच सीमा पार समन्वय में सुधार किया जाए.
- भ्रष्टाचार को दूर किया जाए और कानून एवं व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू जाए.
- तस्करी के सामान का पता लगाने के लिए कस्टम नियंत्रण और निरीक्षण को मजबूत किया जाए.
- तस्करी के कारणों को कम करने के लिए आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में सुधार किया जाए.
तस्करी रोकने के लिए भारत में मौजूद प्रमुख कानून
- सीमा शुल्क अधिनियम, 1962
- विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम 1974
- शस्त्र अधिनियम में धारा 25