बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को इंस्टाग्राम पोस्ट के मामले में अंतरिम राहत दी है, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर मुसलमानों को धन वितरित करेगी. न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने जेपी नड्डा और अमित मालवीय द्वारा कलबुर्गी साइबर स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया.
न्यायालय ने जांच के लिए जेपी नड्डा और अमित मालवीय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी है. इस मामले पर विस्तार से विचार किया जाना है. राज्य सरकार को नोटिस जारी कर प्रतिवादी को तत्काल नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि, जांच अधिकारी को आवेदक जेपी नड्डा और अमित मालवीय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश नहीं देना चाहिए.
नड्डा के वकील एम विनोद कुमार ने आपत्ति जताई कि, इस मामले में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 ही लागू है, बाकी धाराएं लागू नहीं हैं. अतिरिक्त विशेष लोक अभियोजक बीएन जगदीश ने तर्क दिया, जांच की अनुमति दें. हम उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई नहीं करेंगे.
पीठ ने सवाल किया कि क्या याचिकाकर्ता की 'व्यक्तिगत उपस्थिति' की आवश्यकता नहीं थी? एएसपीपी द्वारा इस पर सहमति जताए जाने के बाद अदालत ने जांच की अनुमति दी और आवेदकों को राहत दी.
क्या है मामला: लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी का एक एनिमेटेड वीडियो प्रकाशित हुआ था. उस वीडियो में कहा गया है कि, अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो गैर-मुस्लिमों की संपत्ति छीन ली जाएगी और मुस्लिम समुदाय को दे दी जाएगी. इस वीडियो पर आपत्ति जताते हुए कलबुर्गी जिले के जेवरगी तालुक के प्रवीण कुमार पाटिल ने कलबुर्गी के साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई.
इस मामले पर जेपी नड्डा और अमित मालवीय के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा और आईपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था. याचिकाकर्ता ने इसे रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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