पटना : लोकसभा चुनाव 2024 के सातों चरण का मतदान समाप्त हो चुका है. अब सब की निगाहें 4 जून को होने वाली मतगणना पर टिकी हुई है. बिहार के लोकसभा चुनाव में अलग-अलग चरणों में अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र का चुनाव हुआ. छिटपुट घटनाओं को छोड़कर यह पूरा चुनाव शांतिपूर्ण रहा. बिहार में लोकसभा की 40 सिटें हैं. पिछली बार एनडीए ने 40 में से 39 जीतकर रिकॉर्ड बनाया था. इस बार भी उनके सामने यह चुनौती है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीट जीतें. लेकिन, इस बार कई सीटों पर परिणाम चौंकाने वाले होंगे. पहले चरण से लेकर सातवें चरण तक एक-एक सीटों पर राजनीतिक पंडितों से चर्चा करके ईटीवी भारत ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इन सातों चरण के लिए ईटीवी भारत ने इसके लिए सभी ग्राउंड रिपोर्टर के साथ-साथ अपने एक्सपर्ट वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडे और वरिष्ठ पत्रकार कुमार राघवेंद्र से चर्चा करके रिपोर्ट तैयार की है.
पहला चरण : बिहार के लोकसभा चुनाव के पहले चरण में औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई में चुनाव हुए. इन चारों सीटों पर पहले से एनडीए का कब्जा रहा है. नवादा और जमुई लोजपा के पास रही थी. वहीं, गया से जदयू के सांसद थे. औरंगाबाद बीजेपी के पास था. लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों का समीकरण बदला है. इस बार औरंगाबाद और नवादा से बीजेपी के उम्मीदवार खड़े हुए तो, वहीं गया से हम के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मैदान में आए. जमुई से चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती खड़े हुए. वहीं दूसरी तरफ आरजेडी औरंगाबाद से कुशवाहा उम्मीदवार अभय कुमार कुशवाहा और नवादा से श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. गया से जीतन मांझी के सामने कुमार सर्वजीत है जो पासवान जाति से आते हैं. इसके अलावा जमुई से अरुण भारती के सामने राजद ने अर्चना रविदास को खड़ा किया है.
औरंगाबाद और नवादा में BJP मजबूत : इन चारों सीटों को यदि देखा जाए तो औरंगाबाद से सुशील सिंह और नवादा से विवेक ठाकुर बीजेपी से मजबूत दिखते हैं. औरंगाबाद में ढाई लाख राजपुत वोट हैं. लालू प्रसाद यादव की नजर 1,90,000 यादव वोटर के अलावा 1,25,000 मुस्लिम और 1,25,000 कुशवाहा जाति के वोटर पर है. नवादा लोकसभा सीट भूमिहार डोमिनेंट माना जाता है. पिछले तीन चुनाव से भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही चुनाव जीत रहे हैं. नवादा लोकसभा सीट पर 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार चंदन सिंह को 4,95,000 वोट मिले थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह को 3,90,000 वोट हासिल हुए थे. उन्होंने राजबल्लभ प्रसाद को 1,40,000 वोटों से हराया था.
जीतने की स्थिति में अरुण भारती : अपने बहनोई अरुण भारती को लेकर चिराग पासवान ने जमुई में खूब मेहनत की है. हालांकि इससे पहले चिराग पासवान खुद यहां से सांसद थे लेकिन, इस बार उन्होंने अपना सीट बदल दिया है. वह अब हाजीपुर से उम्मीदवार हैं. जमुई में पुराने वाले समीकरण ही काम कर रहे हैं. भाजपा-जदयू दोनों का साथ मिला है तो, राजनीतिक पंडित बता रहे हैं की लड़ाई टक्कर की है लेकिन, यहां एनडीए के उम्मीदवार अरुण भारती छोटी मार्जिन से ही सही लेकिन जीत जाएंगे. जमुई लोकसभा क्षेत्र में तीन लाख से ज्यादा यादव वोटर हैं. ढाई लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं. दलित-महादलित की आबादी भी ढाई लाख के आसपास है. सवर्ण वोटरों की संख्या तकरीबन 2.5 लाख से ज्यादा है. अगड़ी जाति की आबादी में राजपूत सबसे अधिक हैं, जिनकी आबादी 2 लाख से अधिक बताई जाती है.
जीतन राम मांझी की नैया हो सकती है पार : गया लोकसभा सीट पर पिछले 25 साल से मांझी जाति का कब्जा है. जीतन राम मांझी लगातार गया लोकसभा सीट से चुनाव जीतने की कोशिश करते रहे थे लेकिन, इस बार बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ मिला है तो, वहां से मांझी पहली बार लोकसभा के लिए जीत सकते हैं. गया लोकसभा सीट मांझी आबादी के लिए भी जाना जाता है. ढाई लाख से अधिक मांझी वोटर गया लोकसभा क्षेत्र में है. इसके अलावा पासवान, धोबी और पासी की आबादी भी अच्छी खासी है.
दूसरा चरण : बिहार में दूसरे चरण के चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख पूरी तरह से दाव पर लगी हुई है. किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका इन पांच सीटों पर NDA की तरफ से जदयू के उम्मीदवार ही खड़े हैं. इसमें से एक सीट किशनगंज को हटा दिया जाए तो चार सीटों पर जदयू के सांसद वर्तमान में है. जदयू ने अपने पुराने सभी उम्मीदवारों को रिपीट किया है. जदयू ने भागलपुर से अजय मंडल, कटिहार से दुलालचंद गोस्वामी, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा, बांका से गिरधारी यादव को चुनावी अखाड़े में उतारा है. इस बार किशनगंज से जदयू ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. यहां से मुजाहिद आलम को चुनाव लड़ाया गया है.
मजबूत स्थिति में तारिक अनवर : जिस तरह से इंडिया गठबंधन ने अपनी रणनीति सीमांचल इलाकों के लिए बनाई है, उसमें कटिहार से कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं. भागलपुर से कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधायक अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. अजीत शर्मा ने अपने कैंपेनिंग में अपनी अभिनेत्री बेटियों को भी उतरा था लेकिन, यहां अजय मंडल की स्थिति ठीक दिख रही है.
किशनगंज में फंसा है पेंच : दूसरी तरफ किशनगंज से कांग्रेस ने एक बार फिर मोहम्मद जावेद को चुनावी मैदान में उतरे उतारा है तो, यहां उनकी स्थिति ठीक दिख रही है. लगातार किशनगंज और कटिहार में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव प्रचार भी किया था. किशनगंज का मुकाबला भी दिलचस्प है. मो. जावेद का एआईएमआईएम के अख्तरुल ईनाम और जदयू के मास्टर मुजाहिद मजबूती से मुकाबला कर रहे हैं. अख्तरुल ईमान के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने कैंप किया था, तो मास्टर मुजाहिद के लिए पूरा जेडीयू और भाजपा का कुनबा लगा हुआ था. किशनगंज के नतीजे चौंका देने वाले आ सकते हैं.
बांका में कांटे की टक्कर : इधर, बांका से गिरधारी यादव के सामने राजद के दिग्गज नेता जयप्रकाश यादव हैं. यहां पुराना वाला समीकरण काम कर रहा है. जदयू को भाजपा, लोजपा, हम का पूरा सहयोग मिल रहा है. जयप्रकाश यादव लालू प्रसाद यादव के हनुमान कहे जाते हैं और पिछले लोकसभा चुनाव में इन्हें शिकस्त मिली थी. गिरधारी यादव बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे.
बेहतर स्थिति में पप्पू यादव : पूर्णिया में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. यहां संतोष कुशवाहा एनडीए की तरफ से हैं, राजद के तरफ से बीमा भारती हैं तो तीसरा समीकरण बना रहे हैं पप्पू यादव. कांग्रेस से बगावत करके पप्पू यादव ने यहां निर्दलीय उम्मीदवारी ठोकी है. पप्पू यादव के साथ सकारात्मक चीज यह है कि वह यहां से तीन बार निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं.
तीसरा चरण : बिहार के तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर चुनाव हुए. जिसमें झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया की सीटें शामिल हैं. यहां भले ही पिछली बार सभी सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी लेकिन इसबर मुकाबला कड़ा दिख रहा है.
रामप्रीत मंडल के फिर जीतने की पूरी उम्मीद : झंझारपुर से इंडिया गठबंधन से वीआईपी के उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ और जेडीयू से पुराने उम्मीदवार रामप्रीत मंडल को उतारा गया है. अंतिम दौर में वीआईपी ने अपना उम्मीदवार दिया. जबकि रामप्रीत मण्डल पहले से चुनाव प्रचार करते रहे हैं. ऐसे में झंझारपुर में एनडीए के उम्मीदवार एक बार फिर रिपीट कर रहे हैं. हालांकि बीएसपी के गुलाब यादव कितना वोट लाते हैं इसपर भी निगाह टिकी रहेगी.
दिलेश्वर कामत के जीतने की उम्मीद : सुपौल से इंडिया गठबंधन से राजद ने चंद्रहास चौपाल को तो, जदयू ने एनडीए की तरफ से दिलेश्वर कामत को एक बार फिर से मौका दिया है. कामत को यहां ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव का भी सहयोग मिला है. ऐसे में ये यहां से जीत सकते हैं.
अररिया में RJD की मजबूत स्थिति : वही, अररिया से इंडिया गथबन्धन से राजद ने मोहम्मद शाहनवाज आलम को उतारा है तो, भाजपा ने एनडीए प्रत्याशी प्रदीप कुमार को एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. शाहनवाज आलम का बैकग्राउंड पॉलिटकल है. MY समीकरण भी इनके साथ है, ऐसे यहां से मजबूत दिख रहे. हालांकि 7.30 लाख मुस्लिम और 2 लाख यादव वोटर वहां है. राष्ट्रीय जनता दल के शत्रुघ्न मंडल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. वह इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ रहे हैं.
मधेपुरा से फिर जीत सकते हैं दिनेश चंद्र यादव : मधेपुरा से इंडिया गथबन्धन के तहत राजद ने कुमार चंद्रदीप को और जदयू ने एनडीए की तरफ से दिनेश चंद्र यादव को एक बार फिर से मौका दिया है. चंद्रदीप नए कैंडिडेट हैं वही, दिनेश चंद्र यादव पहले विधायक फिर सांसद बने. यहां दिनेश चंद्र मजबूत स्थिति में है.
राजेश वर्मा की मजबूत स्थिति : खगड़िया में थोड़ी तस्वीर बदली है. खगड़िया में इंडिया गथबन्धन के तहत सी.पी.एम. से संजय कुमार कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया है तो एनडीए के तरफ से लोजपा (रामविलास) की पार्टी से राजेश वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. धनकुबेर राजेश वर्मा ने पानी की तरह पैसा बहाया है. मुकाबला टक्कर का है. यहां एनडीए उम्मीदवार मजबूत स्थिति में है.
चौथा चरण : बिहार के चौथे चरण लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर चुनाव हुए. जिसमें समस्तीपुर, मुंगेर, उजियारपुर, बेगूसराय और दरभंगा शामिल हैं. सभी सीटों पर पिछली बार एनडीए खेमे की जीत हुई थी.
समस्तीपुर में कांटे की टक्कर : समस्तीपुर में एनडीए उम्मीदवार और लोजपा रामविलास की प्रत्याशी शाम्भवी चौधरी हैं. शाम्भवी नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं, साथ ही पूर्व आईपीएस कुणाल किशोर की बहू भी हैं. वहीं, सन्नी हजारी नीतीश के ही एक मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे हैं और कांग्रेस से ताल ठोंक रहे हैं. दोनों ओर से मुकाबला काफी कड़ा माना जा रहा है. समस्तीपुर में भी कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.
मुंगेर में फिर किला फतह कर सकते हैं ललन : मुंगेर में ललन सिंह का मुकाबला आरजेडी की अनिता देवी से है. अनिता देवी कुख्यात अजय महतो की पत्नी हैं. लालू यादव ने जातीय समीकरण को देखते हुए ये दांव खेला है. लेकिन, ललन सिंह पुराने और मजबूत खिलाड़ी हैं. अपनी जाति के साथ साथ भाजपा का भी इन्होंने खूब सहारा लिया. अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आए थे. इससे भी ललन सिंह को फायदा होने की बात कही जा रही है. ऐसे में ललन सिंह की स्थिति मजबूत दिख रही है.
गोपाल जी ठाकुर फिर बन सकते हैं सांसद : दरभंगा में बीजेपी के गोपाल जी ठाकुर का मुख्य मुकाबला राजद के ललित यादव से है. गोपाल जी ठाकुर दूसरी बार यहां से चुनाव लड रहें है. दरभंगा को ब्राह्मण सीट भी कहा जाता है. लेकिन, राजद ने ललित यादव को लड़ाकर यादव-मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश की है. इसके बावजूद अगड़ा और अतिपिछडों के सहारे एनडीए मजबूत है.
जीत के करीब नित्यानंद राय : इधर, उजियारपुर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का मुकाबला राजद के दिग्गज नेता आलोक मेहता से है. नित्यानंद राय को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जिगरी दोस्त बताया था. तीसरी बार चुनाव में उतरे नित्यानंद राय अगड़ा, अतिपिछड़ा और कुछ प्रतिशत यादव वोट की बदौतल जीत के करीब हैं. बेगूसराय में भी गिरिराज सिंह की जीत तय मानी जा रही है.
पांचवां चरण : बिहार में पांचवें चरण की लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर चुनाव हुए. जिसमें सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर सीटें शामिल हैं. इन पांचो सीटों में सबसे ज्यादा हॉट सीट सारण लोकसभा का रहा.
सारण में कांटे की टक्कर : सारण में लालू यादव अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. यानी कि उनकी दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य मैदान में है. उनके सामने भाजपा की तरफ से पांचवीं बार अपनी किस्मत को आजमाने के लिए राजीव प्रताप रूडी हैं. आरजेडी रोहिणी आचार्य के साथ इमोशनल कार्ड चला है. वहीं, राजीव प्रताप रूडी अपने प्रधानमंत्री के किए हुए कामों के आधार पर लोगों से वोट मांगे हैं. यहां टक्कर काफी नजदीकी बताया जा रहा है.
हाजीपुर में तो चिराग ही जलेगा : इस चरण में दूसरी सबसे हॉट सीट हाजीपुर लोकसभा सीट है. जहां से चिराग पासवान चुनाव लड़ रहे हैं. चिराग पासवान पिछली बार जमुई से चुनाव लड़े थे लेकिन, इस बार अपने चाचा से विरोध करके उन्होंने इस सीट को हासिल किया है. अपने पिता की पुरानी विरासत वाली सीट हाजीपुर से चुनाव लड़े. उनके सामने आरजेडी से शिवचंद्र राम हैं. चुंकि, चिराग पासवान के साथ सकारात्मक पहलू यह है कि उनके पिता यहां से आठ बार सांसद रह चुके हैं. ऐसे में उन्हें यहां एक बड़ी मार्जिन से जीत मिलती हुई दिख रही है.
मुजफ्फरपुर BJP आगे : मुजफ्फरपुर भी पांचवें चरण के लिए हॉट सीट साबित हुआ है. यहां से पुराने सांसद अजय निषाद का भाजपा ने टिकट काट दिया तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. भाजपा ने राज भूषण चौधरी निषाद को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर जेडीयू और बीजेपी लगातार कब्जा जमाया हुआ है. यहां मुकाबले काफी दिलचस्प होने वाला है. हालांकि बीजेपी बढ़त दिख रही है.
संसद जाने की दहलीज पर देवेश चंद्र ठाकुर : सीतामढ़ी लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प है. चुनाव की घोषणा से पहले ही यहां के एनडीए उम्मीदवार देवेश चंद ठाकुर के नाम की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर दी थी. बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर लगातार सीतामढ़ी में प्रचार करते रहे हैं, काम करते रहे हैं. उनके सामने राजद से अर्जुन राय उम्मीदवार हैं. अर्जुन राय यहां से पहले भी सांसद रह चुके हैं. लेकिन, देवेश चंद ठाकुर ने अयोध्या के बाद मां सीता का भव्य मंदिर बनाने का वादा करके लोगों पर एक धार्मिक दाव खेला है. यहां देवेश चन्द्र ठाकुर मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं.
मधुबनी में अशोक यादव का पलड़ा भारी : मधुबनी लोकसभा के चुनाव में मुकाबला भाजपा के पुराने नेता हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव और राजद की पुराने नेता अली अशरफ फातमी के साथ है. चूंकी, हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी से लगातार सांसद रहे हैं. पिछली बार अपने बेटे अशोक यादव को उतारा था जिन्होंने सबसे ज्यादा मार्जिन से चुनाव जीता था. इस बार भी इनका पलड़ा भारी है.
छठा चरण : बिहार के छठे चरण की लोकसभा चुनाव में 8 सीटों पर चुनाव हुए. जिसमें बाल्मीकि नगर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज शामिल है. इन सीटों पर 86 प्रत्याशियों के भाग्य के फैसले होंगे.
सुनील कुशवाहा अच्छी मार्जिन से जीत सकते हैं चुनाव : बिहार के नंबर एक लोकसभा क्षेत्र बाल्मीकि नगर में चुनाव दिलचस्प है. यहां पुराने एनडीए के प्रत्याशी सुनील कुमार कुशवाहा के खिलाफ राजद ने दीपक कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया. दीपक कुमार इससे पहले बीएसपी से भी 2019 में अपनी किस्मत आजमा चुके थे. इस बार उनको राजद का साथ मिला है. हालांकि, सुनील कुमार कुशवाहा जाति से आते हैं. दीपक कुमार यादव जाति से आते हैं लेकिन, यहां ब्राह्मण का वोट सबसे अधिक है. ऐसे में यहां का डिसाइडिंग फैक्टर ब्राह्मण होते हैं. क्योंकि एनडीए की तरफ से किसी ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया गया है. तो ऐसे में माना जा रहा है कि ब्राह्मणों का पूरा वोट सुनील कुशवाहा को जाएगा. यहां सुनील कुशवाहा को ठीक-ठाक मार्जिन दिखती हुई मिल रही है.
पश्चिम चंपारण में कांटे की टक्कर : इधर पश्चिम चंपारण यानी की बेतिया लोकसभा सीट पर भाजपा के पुराने प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल एक बार फिर से अपनी अपना किस्मत आजमा रहे हैं. हालांकि इससे पहले इनके पिता मदन जायसवाल भी यहां से सांसद रह चुके हैं. इनके मुकाबले कांग्रेस ने मदन मोहन तिवारी को मैदान में उतारा है. पश्चिमी चंपारण में ब्राह्मणों का ठीक-ठाक वोट बैंक है. ऐसे में मदन मोहन तिवारी भाजपा के इस दिग्गज नेता को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. हालांकि संजय जायसवाल ने भूमिहार वोट बैंक में सेंधमारी करते हुए प्रसिद्ध यूट्यूब मनीष कश्यप को भाजपा में शामिल कर लिया है. ऐसे में संजय जायसवाल की स्थिति ठीक होती हुई नजर आ रही है.
राधा मोहन सिंह का जीतना तय : भाजपा से छह बार सांसद रह चुके राधा मोहन सिंह पूर्वी चंपारण से एक बार फिर से उम्मीदवार बने हैं. उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन की तरफ से वीआईपी ने राजेश कुमार को उतारा है. हालांकि राधा मोहन सिंह का पूर्वी चंपारण यानी कि मोतिहारी में ऑरा इतना बड़ा है उनके सामने राजेश कुशवाहा की उपस्थित छोटी लग रही है. सातवीं बार भी राधा मोहन सिंह जीत के करीब हैं.
मजबूत स्थिति में लवली आनंद : शिवहर में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प है. पक्ष और विपक्ष की तरफ से दो महिलाएं आमने-सामने हैं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद राजपूत वोट बैंक के साथ शिवहर में राजद की तेज तर्रार नेत्री रितु जायसवाल को टक्कर दे रही हैं. रितु जायसवाल बनिया वोट बैंक के सहारे शिवहर की लड़ाई जीतना चाहती है. लवली आनंद इससे पहले भी शिवहर से सांसद रह चुकी हैं. तो जाहिर सी बात है वह एक बार फिर से पुराने रंगत में दिख रही हैं. लवली आनंद को भाजपा का पूरा सहयोग मिल रहा है. मुकाबले में लवली आनंद मजबूत दिख रही हैं.
एकतरफा जीत रहे जनार्दन सिंह सिग्रीवाल : बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ कहे जाने वाले महाराजगंज में तीसरी बार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को भाजपा की तरफ से उम्मीदवारी मिली है. यहां कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह को उतारा है. माना जाता है कि महाराजगंज में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल जन-जन के नेता हैं और यहां उनकी मजबूत पकड़ है तो, ऐसे में यहां का मुकाबला जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की तरफ एक तरफा जा रहा है.
गोपालगंज में JDU की जीत निश्चित : इधर, गोपालगंज लोकसभा सुरक्षित से एक बार फिर से जदयू ने अपने पुराने उम्मीदवार डॉक्टर आलोक कुमार सुमन को उतारा है. वह पार्टी के कोषाध्यक्ष भी हैं. इनके लिए पार्टी ने जमकर चुनाव प्रचार भी किया है. इनको बीजेपी का सहारा मिला है. उनके मुकाबले मुकेश साहनी ने वीआईपी से प्रेम नाथ चंचल को उतारा है. काफी देरी से इस उम्मीदवार को उतारा गया है. तो ऐसे में मुकाबला एक बार फिर से एक तरफा ही जा रहा है.
वैशाली में किसी के लिए जीत नहीं आसान : वैशाली लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला है. यहां पुरानी सांसद वीणा देवी लोजपा रामविलास की तरफ से चुनाव लड़ रही है तो, वहीं राजद की तरफ से बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला लड़ रहे हैं. वैशाली लोकसभा क्षेत्र यूं तो राजपूत का गढ़ कहा जाता है. लेकिन, मुन्ना शुक्ला भूमिहार, यादव और मुस्लिम के सहारे इस चुनाव को जीतना चाहते हैं. यहां वीणा देवी को राजपूत, ब्राह्मण, अति पिछड़ा का सहारा मिल रहा है और मजबूत स्थिति में दिख रही है.
त्रिकोणीय मुकाबले में हिना शहाब आगे : सिवान में लड़ाई त्रिकोणीय है. एक तरफ जदयू की तरफ से विजय लक्ष्मी देवी को उतारा गया है. राजद की तरफ से अवध बिहारी चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं. तो इस लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही है बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब. मुस्लिम वोट बैंक के सहारे हिना शहाब इस चुनाव को जीतना चाहती हैं. इनको सिवान के सवर्ण का भी साथ मिल रहा है. इधर विजय लक्ष्मी देवी एनडीए के वोट बैंक के सहारे इस चुनाव को जीतना चाहती है. हालांकि यहां की पुरानी सांसद कविता सिंह के टिकट कटने के बाद राजपूत में ठीक-ठाक नाराजगी दिख रही है. ऐसे में राजपूतो का रुख जिधर होगा जीत उधर ही जाएगी.
सातवां चरण : बिहार में सातवें और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव में 8 सीटों पर चुनाव हुए. इन सीटों में आरा, बक्सर, सासाराम, नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, काराकाट और जहानाबाद शामिल हैं. शुरुआत आरा से करते हैं.
बड़ी मार्जिन से जीतेंगे RK सिंह : आरा में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को भाजपा ने एक बार फिर से उम्मीदवारी दी है तो, वहीं उनके सामने सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं. आरा में कहा जाता है कि आरके सिंह कम बोलते हैं लेकिन उनका काम ज्यादा बोलता है. आरा में विकास के कामों के आधार पर एक बार फिर से आरके सिंह उम्मीदवारी कर रहे हैं. आरा में राजपूत वोट बैंक के साथ-साथ भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ का भी वोट बैंक है. अति पिछड़ों का भी वोट बैंक है. ऐसी स्थिति में सुदामा प्रसाद के सामने आरके सिंह की स्थिति मजबूत दिख रही है और बड़ी मार्जिन मिलने की उम्मीद है.
बक्सर का मुकाबला है दिलचल्प : वहीं, बक्सर में त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. भाजपा की तरफ से मिथिलेश तिवारी को उतारा गया है. तो वहीं राजद की तरफ से सुधाकर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इसी लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं निर्दलीय उम्मीदवार आनंद मिश्रा. पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा को बक्सर में भाजपा ने ही इस शर्त पर लाया था कि वह उन्हें उम्मीदवार बनाएंगे. लेकिन, अंतिम समय में मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवारी दे दी गई. ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. बक्सर ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है तो भाजपा ने ब्राह्मण मिथिलेश तिवारी को उतारा है लेकिन, उनके सामने दूसरे ब्राह्मण निर्दलीय उम्मीदवार आनंद मिश्रा है हालांकि, इस सीट पर राजपूत वोट बैंक भी ठीक-ठाक है ऐसे में राजद के तरफ से सुधाकर सिंह को उतार कर राजपूत, यादव मुस्लिम के सहारे राजद इस जंग को जीतना चाहती हैं. हालांकि, राजद के पुराने नेता ददन पहलवान ने भी चुनावी ताल ठोका है, ऐसे में राजद को यह डेंट दे सकते हैं. यहां भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है.
सासाराम में शिवेश राम मजबूत : सासाराम की बात करें तो यहां भाजपा ने शिवेश राम को अपना उम्मीदवार बनाया है. शिवेश राम के पिता मुनीलाल राम यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं. उनके मुकाबले कांग्रेस ने मनोज कुमार को उतारा है. मनोज कुमार नए उम्मीदवार हैं. शिवेश राम इससे पहले अगिआंव से विधायक रह चुके हैं. वहां के समीकरण को देखते हुए भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है.
कौशलेंद्र कुमार फिर बन सकते हैं सांसद : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में एक बार फिर से कौशलेंद्र कुमार को उम्मीदवारी दी गई है. कौशलेंद्र कुमार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं 2014 में मोदी लहर के खिलाफ कौशलेंद्र कुमार ने नालंदा की सीट बचा ली थी. इसलिए उन्हें लगातार वहां से उम्मीदवारी दी जाती है. उनके खिलाफ भाकपा माले के संदीप सौरभ को टिकट दिया गया है. हालांकि संदीप सौरभ नालंदा के रहने वाले नहीं हैं. माना जाता है कि नालंदा में कौशलेंद्र कुमार नीतीश कुमार के नाम पर ही जीतते रहे हैं तो, ऐसे में कौशलेंद्र कुमार की स्थिति एक बार फिर से मजबूत है.
रविशंकर प्रसाद का फिर से सांसद बनना तय : इधर, पटना साहिब में एक बार फिर से रविशंकर प्रसाद को भाजपा ने अपनी उम्मीदवारी दी है. रविशंकर प्रसाद भाजपा के दिग्गज नेता हैं. केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. उनके सामने मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजित को टिकट दिया गया है. कांग्रेस की तरफ से अंशुल अविजित नए उम्मीदवार हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो रविशंकर प्रसाद कायस्थ जाति से आते हैं. वहीं, अंशुल अविजित कुशवाहा जाति से आते हैं. माना जाता है कि पटना साहिब का डोमिनेटिंग वोट बैंक कायस्थ हैं तो, ऐसे में रविशंकर प्रसाद यहां मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं.
पाटलिपुत्र में दिलचस्प लड़ाई : सातवें चरण में सबसे दिलचस्प मुकाबला पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का है. यहां लालू यादव के पुराने साथी रहे राम कृपाल यादव को भाजपा ने फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने तीसरी बार रामकृपाल यादव को यह उम्मीदवारी दी है तो वहीं, उनके मुकाबले राजद ने लालू यादव की बेटी मीसा भारती को प्रत्याशी बनाया है. माना जाता है कि रामकृपाल यादव जन-जन के नेता हैं. ऐसे में राम कृपाल यादव खुद की जाति यादव और अगड़ी, अतिपिछड़ी जातियों को मिलाकर जीतने की उम्मीद रखते हैं. वहीं मीसा भारती यादव के साथ-साथ मुसलमान के वोट बैंक पर नजर रखते हुए इस लड़ाई को जीतना चाहती हैं. यह सीट फंसी हुई दिखाई पड़ रही है.
जहानाबाद में RJD का पलरा भारी : इस बार जहानाबाद की लड़ाई भी दिलचस्प होने वाली है. नीतीश कुमार के प्रयोग में चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को जदयू से एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया गया है. पिछली बार काफी कम मार्जिन से चंद्रवंशी जीत हासिल कर पाए थे. उनके मुकाबले राजद के दिग्गज नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. 2019 में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने तीसरा कैंडिडेट खड़ा कर दिया था. इसलिए चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी की जीत सुनिश्चित हो पाई थी. इस बार मुकाबला सीधा है. चंद्रवंशी के लिए यह लड़ाई जीतना मुश्किल है.
काराकाट में कुछ कह पाना मुश्किल : इस चरण में सबसे हॉट सीट काराकाट लोकसभा की है. यहां भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने राष्ट्रीय लोक मंच के और एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं. कुशवाहा का वोट बैंक ठीक-ठाक है. लेकिन, राजपूत वोट बैंक भी डिसाइडिंग है. वहीं इस सीट से भाकपा माले की तरफ से राजाराम चुनाव लड़ रहे हैं. मुकाबला त्रिकोणीय है और दिलचस्प है.
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