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'नाथ' का फिर इम्तेहान, अमरवाड़ा के लिए नहीं मिल रहा प्रत्याशी, उपचुनाव में कैसे मिलेगी जीत - Amarwara Challenging For Kamalnath

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 11, 2024, 8:52 PM IST

लोकसभा चुनाव में कमलनाथ अपना गढ़ हार गए. चुनाव समाप्त होने के बाद अभी मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं. छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव है. जिसके लिए कांग्रेस को प्रत्याशी तलाश करना बड़ी चुनौती बनी हुई है.

AMARWARA CHALLENGING FOR KAMALNATH
अमरवाड़ा के लिए नहीं मिल रहा प्रत्याशी (ETV Bharat)

छिंदवाड़ा। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कमलनाथ के सामने एक बार फिर अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनौती है. 2018 में अमरवाड़ा विधानसभा में कांग्रेस से चुनाव जीत कर आए कमलेश प्रताप शाह ने लोकसभा के पहले बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. इस विधानसभा क्षेत्र में 10 जुलाई को उपचुनाव होने हैं. अब यहां पर कांग्रेस को प्रत्याशी ढूंढना भी चुनौती साबित हो रही है.

बीजेपी से कमलेश शाह तो कांग्रेस के लिए चुनौती

लगातार तीन बार कांग्रेस की टिकट पर अमरवाड़ा विधानसभा से चुनाव जीतकर आए कमलेश प्रताप शाह इस बार फिर भाजपा के उम्मीदवार होंगे, क्योंकि लोकसभा चुनाव के एन वक्त पहले कमलेश शाह ने बीजेपी ज्वाइन कर विधायकी से इस्तीफा दिया था. इसीलिए अमरवाड़ा में उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी की तरफ से कमलेश प्रताप शाह कैंडिडेट माने जा रहे हैं, लेकिन कमलनाथ और कांग्रेस के सामने प्रत्याशी को लेकर चुनौती है, क्योंकि अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कमलेश प्रताप शाह कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा थे. जो नेता कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे थे. उन्हें टिकट नहीं मिला इसलिए वे विधानसभा के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे. ऐसे में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चुनना अब मुश्किल साबित हो रहा है.

Former MLA Kamlesh Shah In BJP
बीजेपी का अंग वस्त्र पहनाते वीडी शर्मा (ETV BHarat)

कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं कमलेश प्रताप शाह

आदिवासी बाहुल्य सीट अमरवाड़ा कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी. साल 2013, 2018 और 2023 में कमलेश प्रताप शाह यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले विधायक कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर ली थी और यहां पर उलटफेर भी बड़ा हुआ. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अमरवाड़ा विधानसभा से कांग्रेस को 78473 व भाजपा को 93512 वोट मिले थे. इस तरह भाजपा 15039 वोट से जीती थी. तीसरे स्थान पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 23036 वोट मिले थे. छह माह पहले नवम्बर 23 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 109765 और भाजपा को 84679 वोट मिले थे.

इस चुनाव में कांग्रेस 25086 वोट के अंतर से चुनाव जीती थी. इस परिवर्तन का एक मात्र कारण कमलेश शाह थे. स्थानीय पकड़ होने के कारण पहले उन्होंने कांग्रेस को जीत दिलाई. जब भाजपा में आए तो इस पार्टी को जीत दिला दी.

Amarwara Challenging For Congress
कमलेश शाह के बीजेपी जॉइन करने की तस्वीर (ETV Bharat)

गोंडवाना होती है निर्णायक भूमिका में

अमरवाड़ा विधानसभा में तीसरी शक्ति गोंडवाना निर्णायक भूमिका में रहती है. जिसने लोकसभा चुनाव में 23036 वोट लेकर साबित भी किया है. इससे पहले वर्ष 2018 तक गोंडवाना इस विधानसभा से स्वर्गीय मनमोहन शाह बट्टी के रहते 60 हजार वोट हासिल करती थी. 2003 में बीजेपी की लहर के बाद भी यहां से मनमोहन शाह बट्टी चुनाव जीते थे.

यहां पढ़ें...

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कमलनाथ के लिए अग्निपरीक्षा, सुखदेव पांसे और सुनील जायसवाल बने प्रभारी

अब तक कांग्रेस के टिकट और कमलनाथ के नाम पर चुनाव जीतने वाले कमलेश प्रताप शाह को कांग्रेस भी हार का स्वाद चखाना चाहेगी, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के सामने चुनौती प्रत्याशी चुनने की है. कांग्रेस ने अमरवाड़ा चुनाव के लिए मुलताई के पूर्व विधायक सुखदेव पांसे और गाडरवारा के पूर्व विधायक सुनील जायसवाल को प्रभारी बनाकर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी है.

छिंदवाड़ा। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कमलनाथ के सामने एक बार फिर अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनौती है. 2018 में अमरवाड़ा विधानसभा में कांग्रेस से चुनाव जीत कर आए कमलेश प्रताप शाह ने लोकसभा के पहले बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. इस विधानसभा क्षेत्र में 10 जुलाई को उपचुनाव होने हैं. अब यहां पर कांग्रेस को प्रत्याशी ढूंढना भी चुनौती साबित हो रही है.

बीजेपी से कमलेश शाह तो कांग्रेस के लिए चुनौती

लगातार तीन बार कांग्रेस की टिकट पर अमरवाड़ा विधानसभा से चुनाव जीतकर आए कमलेश प्रताप शाह इस बार फिर भाजपा के उम्मीदवार होंगे, क्योंकि लोकसभा चुनाव के एन वक्त पहले कमलेश शाह ने बीजेपी ज्वाइन कर विधायकी से इस्तीफा दिया था. इसीलिए अमरवाड़ा में उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी की तरफ से कमलेश प्रताप शाह कैंडिडेट माने जा रहे हैं, लेकिन कमलनाथ और कांग्रेस के सामने प्रत्याशी को लेकर चुनौती है, क्योंकि अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कमलेश प्रताप शाह कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा थे. जो नेता कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे थे. उन्हें टिकट नहीं मिला इसलिए वे विधानसभा के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे. ऐसे में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चुनना अब मुश्किल साबित हो रहा है.

Former MLA Kamlesh Shah In BJP
बीजेपी का अंग वस्त्र पहनाते वीडी शर्मा (ETV BHarat)

कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं कमलेश प्रताप शाह

आदिवासी बाहुल्य सीट अमरवाड़ा कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी. साल 2013, 2018 और 2023 में कमलेश प्रताप शाह यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले विधायक कमलेश प्रताप शाह ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर ली थी और यहां पर उलटफेर भी बड़ा हुआ. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अमरवाड़ा विधानसभा से कांग्रेस को 78473 व भाजपा को 93512 वोट मिले थे. इस तरह भाजपा 15039 वोट से जीती थी. तीसरे स्थान पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 23036 वोट मिले थे. छह माह पहले नवम्बर 23 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 109765 और भाजपा को 84679 वोट मिले थे.

इस चुनाव में कांग्रेस 25086 वोट के अंतर से चुनाव जीती थी. इस परिवर्तन का एक मात्र कारण कमलेश शाह थे. स्थानीय पकड़ होने के कारण पहले उन्होंने कांग्रेस को जीत दिलाई. जब भाजपा में आए तो इस पार्टी को जीत दिला दी.

Amarwara Challenging For Congress
कमलेश शाह के बीजेपी जॉइन करने की तस्वीर (ETV Bharat)

गोंडवाना होती है निर्णायक भूमिका में

अमरवाड़ा विधानसभा में तीसरी शक्ति गोंडवाना निर्णायक भूमिका में रहती है. जिसने लोकसभा चुनाव में 23036 वोट लेकर साबित भी किया है. इससे पहले वर्ष 2018 तक गोंडवाना इस विधानसभा से स्वर्गीय मनमोहन शाह बट्टी के रहते 60 हजार वोट हासिल करती थी. 2003 में बीजेपी की लहर के बाद भी यहां से मनमोहन शाह बट्टी चुनाव जीते थे.

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अब तक कांग्रेस के टिकट और कमलनाथ के नाम पर चुनाव जीतने वाले कमलेश प्रताप शाह को कांग्रेस भी हार का स्वाद चखाना चाहेगी, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के सामने चुनौती प्रत्याशी चुनने की है. कांग्रेस ने अमरवाड़ा चुनाव के लिए मुलताई के पूर्व विधायक सुखदेव पांसे और गाडरवारा के पूर्व विधायक सुनील जायसवाल को प्रभारी बनाकर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी है.

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