रांची: झारखंड विधानसभा में एक बार फिर बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठाया गया. सदन में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने यह मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज हो रहा है. इस समस्या को लेकर हाई कोर्ट को निर्देश देना पड़ा. इस मामले में सरकार को जवाब देना चाहिए.
बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन की नई सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए झारखंड विधानसभा के एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया. जिसमें यह डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठाया गया. अमर बाउरी ने कहा कि जब हम डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठाते थे, तो कहा जाता था कि हम इस पर राजनीति करते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि संथाल परगना में आज डेमोग्राफी चेंज हो गई है और ये बातें हाई कोर्ट ने भी मानी.
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इसे लेकर निर्देश भी दिया. लेकिन सरकार को समझना होगा कि यह निर्देश सरकार को न देकर उपायुक्तों को दिया गया. हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में साफ कहा कि संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज हो रही है. इसलिए संथाल परगना के सभी जिलों के डीसी आपस में समन्वय बनाकर इस डेमोग्राफी चेंज को कैसे रोकें, इसके लिए कार्रवाई करें.
अमर बाउरी ने कहा कि हद तो तब हो जाती है जब पाकुड़ के गोपीनाथपुर में पर्व की आड़ लेकर पश्चिम बंगाल से सैकड़ों की संख्या में लोग हिंदू आबादी पर हमला कर देते हैं. उनके घरों को जला देते हैं. बमबाजी करते हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल से आज डेमोक्रेसी खत्म हो गई है. एफआईआर में लिखा हुआ है कि टीएमसी के गुंडे पुलिस के हथियार छीन कर लोगों पर हमला करते हैं. पाकुड़ में हुई घटना ऐसा नहीं लगा कि यह एक अंतर्राज्यीय विषय है, बल्कि ऐसा लगा कि यह एक अंतर्देशीय विषय है. वहां के लोग डरे हुए हैं. वहां के लोगों को सरंक्षण देने का काम कौन करेगा, सरकार ये बताए, क्योंकि इस पूरे मामले पर सरकार के किसी मंत्री का बयान नहीं आया.
अमर बाउरी ने कहा कि डेमोग्राफी चेंज को लेकर सरकार के पास क्या जवाब है, उसे यह देना चाहिए. उन्होंने कहा कि शहीद सिदो कान्हो के गांव भोगनाडीह में आज मात्र 7 घर बचे हुए हैं. बाकि सारे परिवार चेंज हो गए हैं. अगर आदिवासी बचेगा ही नहीं तो आप किस आदिवासी अस्मिता की बात करेंगे.
वहीं नेता प्रतिपक्ष के इस बयान पर कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा कि बीजेपी लॉ एंड ऑर्डर की बात करती है, आदिवासियों की बात करती है, तो ये बताएं कि हम कहते रहे गए लेकिन फिर भी प्रधान मंत्री मोदी मणिपुर क्यों नहीं गए.
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