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इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला, दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने पर नौकरी देने से इनकार करना गलत - Allahabad High Court Order

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 7:28 PM IST

प्रयागराज में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने पर नौकरी से इनकार करना गलत है. आईपीसी की धारा 498A की एफआईआर पूरे परिवार पर दबाव बनाने के लिए दर्ज कराई जाती है.

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आईपीसी की धारा 498A की एफआईआर पूरे परिवार पर दबाव बनाने के लिए दर्ज कराई जाती है- हाईकोर्ट (Photo Credit- ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आईपीसी की धारा 498A पूरे परिवार पर दबाव बनाने के लिए दर्ज कराई जाती है, इसलिए इसके आधार पर किसी को नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बाबा सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार दिया.

कोर्ट डीएम मिर्जापुर और मुख्य अभियंता लघु सिंचाई को नोटिस जारी करते हुए उनसे याचिका पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक सेवा से बाहर करने का इरादा रखने वाला कानून उम्मीदवारों को केवल इसलिए अयोग्य ठहराने की परिकल्पना नहीं करता है कि वे पारिवारिक विवादों में फंसे हुए हैं. न्यायमूर्ति मुनीर ने कहा कि आईपीसी की धारा 498A के तहत शिकायत पूरे परिवार के खिलाफ दर्ज की गई है, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके.

अगर इस तरह के अपराधों को संभावित उम्मीदवार के आपराधिक इतिहास का आकलन करने के लिए ध्यान में रखा जाए, तो सार्वजनिक रोजगार के लिए बहुत नुकसान होगा. कोर्ट ने कहा कि चरित्र प्रमाण पत्र देने से इनकार करना तकनीकी रूप से या परिस्थितियों पर उचित विचार किए बिना नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने मामले को संवेदनशीलता से न संभालने के लिए डीएम की आलोचना करते हुए चरित्र प्रमाण पत्र जारी न करने का औचित्य बताने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि चरित्र प्रमाण पत्र को भी तकनीकी रूप से और आंख मूंदकर अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. डीएम को इस मामले को संवेदनशीलता से निपटना चाहिए था. मामले के तथ्यों के अनुसार याची बाबा सिंह का असिस्टेंट बोरिंग टेक्नीशियन के पद के लिए हुए चयन को गत 16 फरवरी के आदेश द्वारा रद्द कर दिया गया. इस आदेश को उचित ठहराते हुए यह आधार बताया गया कि बाबा सिंह के बड़े भाई और उनकी पत्नी के बीच वैवाहिक कलह थी.

इस कारण भाभी के पिता ने बड़े भाई और याची सहित उसके सभी परिवार के सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498A एवं 323 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी. बाबा सिंह ने आपराधिक शिकायत की कार्यवाही को चुनौती देते हुए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित शिकायत की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें- यूपी पुलिस के सिपाही की दरिंदगी; पत्नी के प्राइवेट पार्ट में डाला गर्म सरिया, नाखून उखाड़े - UP Police Constable Brutality

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आईपीसी की धारा 498A पूरे परिवार पर दबाव बनाने के लिए दर्ज कराई जाती है, इसलिए इसके आधार पर किसी को नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बाबा सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार दिया.

कोर्ट डीएम मिर्जापुर और मुख्य अभियंता लघु सिंचाई को नोटिस जारी करते हुए उनसे याचिका पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक सेवा से बाहर करने का इरादा रखने वाला कानून उम्मीदवारों को केवल इसलिए अयोग्य ठहराने की परिकल्पना नहीं करता है कि वे पारिवारिक विवादों में फंसे हुए हैं. न्यायमूर्ति मुनीर ने कहा कि आईपीसी की धारा 498A के तहत शिकायत पूरे परिवार के खिलाफ दर्ज की गई है, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके.

अगर इस तरह के अपराधों को संभावित उम्मीदवार के आपराधिक इतिहास का आकलन करने के लिए ध्यान में रखा जाए, तो सार्वजनिक रोजगार के लिए बहुत नुकसान होगा. कोर्ट ने कहा कि चरित्र प्रमाण पत्र देने से इनकार करना तकनीकी रूप से या परिस्थितियों पर उचित विचार किए बिना नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने मामले को संवेदनशीलता से न संभालने के लिए डीएम की आलोचना करते हुए चरित्र प्रमाण पत्र जारी न करने का औचित्य बताने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि चरित्र प्रमाण पत्र को भी तकनीकी रूप से और आंख मूंदकर अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. डीएम को इस मामले को संवेदनशीलता से निपटना चाहिए था. मामले के तथ्यों के अनुसार याची बाबा सिंह का असिस्टेंट बोरिंग टेक्नीशियन के पद के लिए हुए चयन को गत 16 फरवरी के आदेश द्वारा रद्द कर दिया गया. इस आदेश को उचित ठहराते हुए यह आधार बताया गया कि बाबा सिंह के बड़े भाई और उनकी पत्नी के बीच वैवाहिक कलह थी.

इस कारण भाभी के पिता ने बड़े भाई और याची सहित उसके सभी परिवार के सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498A एवं 323 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी. बाबा सिंह ने आपराधिक शिकायत की कार्यवाही को चुनौती देते हुए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित शिकायत की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

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