गुवाहाटी : असम में बच्चों के लापता होने की एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. असम विधानसभा में पेश किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में असम में कुल 3,779 बच्चे लापता हुए हैं. चौंकाने वाले आंकड़े तब सामने आए हैं जब कांग्रेस विधायक भास्करज्योति बरुआ ने मंगलवार को विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान एक लिखित प्रश्न पूछा था. उन्होंने विधानसभा में बाल विवाह, बाल शोषण, बाल तस्करी की रोकथाम को लेकर सवाल उठाए थे.
विधानसभा में बरुआ का सवाल था- पिछले तीन साल में घर खोने वाले कितने बच्चों का नाम विभागीय सूची में दर्ज किया गया है? पाए गए बच्चों की संख्या कितनी है? क्या सरकार के पास उनके निपटान के बारे में कोई जानकारी है?
इसपर, महिला एवं बाल विकास मंत्री नाबा डोले ने अपने जवाब में कहा कि 2021 से 2023 तक घर से खोए हुए बच्चों की कुल संख्या 3779 है. पहले से खोए हुए 3779 बच्चों में से 3419 बच्चों को बचाया जा चुका है. बचाए गए बच्चों को उचित माता-पिता के पते के साथ परिवार को सौंप दिया जाता है. बिना परिवार या पता वाले बच्चों को संबंधित जिले की बाल कल्याण समिति की अनुशंसा पर सीसीएल में आश्रय देकर भरण-पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा प्रदान की जाती है. जनवरी और दिसंबर 2023 के बीच बचाए गए कुल 474 बच्चों को संबंधित जिलों की बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया और इन बच्चों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है.
बरुआ ने विधानसभा में एक और सवाल पूछा - वर्ष 2021 - 2023 के बीच POCSO अधिनियम, 2012 के तहत बाल शोषण के कितने मामले दर्ज किए गए हैं? उपरोक्त मामलों के प्रबंधन के लिए कितने फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया है और कितने मामलों का निपटारा किया गया है?
इस सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि POCSO एक्ट, 2012 के तहत 2021 से 2023 के बीच कुल 6054 मामले दर्ज किए गए हैं. कुल 6054 मामलों में से 3522 मामलों का निपटारा पहले ही किया जा चुका है.सदन में बाल विवाह पर एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, मंत्री ने कहा कि राज्य बाल संरक्षण समिति, असम ने अभी तक बाल विवाह को रोकने के लिए एक राज्य कार्य योजना तैयार नहीं की है, लेकिन बाल विवाह को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं.
मंत्री ने सदन को बताया कि बाल तस्करी की घटना को रोकने के लिए असम के हर जिले में मानव तस्करी विरोधी इकाई की स्थापना की गई है. सीमावर्ती जिलों के साथ-साथ अन्य जिलों में भी बाल तस्करी के मामलों को रोकने के लिए मानव तस्करी विरोधी इकाई और विशेष किशोर पुलिस इकाई की स्थापना के लिए कदम उठाए गए हैं. मंत्री ने सदन को बताया कि 2020 और 2023 के बीच, असम के कमोबेश हर जिले में बाल तस्करी देखी गई है, लेकिन कामरूप, उदलगुरी, सोनितपुर, कोकराझार, लखीमपुर और बिश्वनाथ जिलों में मामले अपेक्षाकृत अधिक रहे हैं.