आगरा : ताजनगरी में 4 दिनों में 353.5 एमएम बारिश हुई. यह बारिश का नया रिकार्ड है. नदियां-नाले उफान मार रहे हैं. हाईवे पर भी पानी पहुंच गया. ताजमहल, आगरा किला, बेबीताज, फतेहपुर सीकरी, रामबाग को भी बारिश के पानी से काफी नुकसान पहुंचा. शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की. बारिश में ताजमहल के मुख्य मकबरे में भी कई जगह से पानी टपका था. एएसआई अधिकारियों के अनुसार मकबरे पर पीतल के कलश के सहारे पानी टपका. कलश लगाने में कई ज्वाइंट का इस्तेमाल किया गया है. संभावना है कि इनमें जंग लग गया है. सतह सूखने पर ग्राउटिंग और पैकिंग की जाएगी. वहीं यमुना के बढ़ते जलस्तर से ताजमहल की नींव के कुओं पर रखी साल की लकड़ी को संजीवनी मिली है.
मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को बारिश से ताजमहल के गार्डन में पानी भर गया. इसके साथ ही तीन दिन लगातार रुक-रुक और कुछ समय तक तेज हुई बारिश की वजह से ताजमहल के मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्र के पास पानी की बूंदें टपकी थीं. ताजमहल की छत भले ही डबल डोम है. मगर, कई जगह से बारिश का पानी टकपा. ऐसे ही आगरा किला के खास महल में भी सीलन मिली. बेबीताज, फतेहपुर सीकरी, रामबाग स्मारक में भी बारिश के पानी से नुकसान हुआ. एएसआई की टीमों ने इसकी जांच की.
स्मारकों की जांच में जुटी एएसआई की टीमें : एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल, ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने इंजीनियरों की टीम के साथ शुक्रवार को ताजमहल की छत टपकने की समस्या की जांच की. एएसआई की टीम ने ताजमहल में जहां से पानी टपका था. उस जगह को देखा. पानी के रिसाव की वजह जानने का प्रयास किया. ताजमहल का मुख्य मकबरा डबल डोम है. ऊपर की छत पर पानी निकलने की बेहतर व्यवस्था है. मगर, नीचे की छत पर पानी लगातार बारिश होने की वजह से आया. इससे मुमताज और शाहजहां की कब्र पर बूंदे टपकीं. शुकव्रार को बारिश बंद होने पर पानी नहीं टपका है. ऐसे ही शुक्रवार को आगरा किला के वरिष्ठ संरक्षण सहायक कलंदर बिंद ने टीम के साथ किले में मुसम्मन बुर्ज, दीवान ए आम, मोती मस्जिद, खास महल और अन्य स्मारकों की जांच की. एएसआई टीम को खास महल में सीलन मिली है.
पहली बार 1652 में लीक हुआ था मुख्य गुंबद : मोहब्बत की निशानी व दुनिया का सातवां अजूबा ताजमहल के मुख्य गुंबद लीक होने और पानी की बूंदें टपकने की कई कहानियां हैं. मगर, सबसे पहले वर्ष 1652 में मुख्य गुंबद में पानी का रिसाव हुआ था. मुगल शहंशाह शाहजहां के शहजादे औरंगजेब ने ताजमहल के दौरे के बाद दिसंबर 1652 में शाहजहां को पत्र लिखकर रिपोर्ट दी थी. इसमें बताया गया था कि मुख्य मकबरे के गुंबद से बारिश में उत्तर की ओर दो जगह से पानी टपकता है. औरंगजेब ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि, ताजमहल के चार मेहराबदार द्वार, दूसरी मंजिल की दीर्घाएं, चार छोटे गुंबद, चार उत्तरी बरामदे और सात मेहराबदार भूमिगत कक्ष भी नम हो गए हैं. बीते साल भी मुख्य गुंबद की छत टपकी थी. इसकी मरम्मत कराई गई है. मस्जिद और मेहमानखाने के गुंबद से पानी टपकता था. उन्हें जलरोधी बनाया गया है.
ब्रिटिश शासन में कई बार हुई मरम्मत : ब्रिटिश काल में सन 1872 में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की निगरानी में ताज में मरम्मत के काम हुए. इसमें पानी के रिसाव की परेशानियां भी दूर की गईं. इसके बाद सन 1924 में बाग खान ए आलम की दीवार ही गिर गई. 7 अक्तूबर 1924 को गिरी दीवारी की उसी साल मरम्मत कराई गई. सन 1928 में ताजमहल की शाही मस्जिद लीक होने पर उसकी मरम्मत की गई थी. सन 1941 में मुख्य गुंबद पर लीकेज रोकने के लिए काम किया गया था. इसके बाद सन 1978 की बाढ़ में ताज के भूमिगत कक्षों को नुकसान पहुंचा था. तब ताजमहल के गुंबद के साथ भूमिगत कक्षों की मरम्मत की गई थी.
साल की लकड़ी को मिली संजीवनी : ताजमहल की नींव में कुएं हैं. इन कुओं में साल की लकड़ी भरी हुई है. साल की लकड़ी के लिए नमी बहुत जरूरी है. बारिश की वजह से यमुना ताजमहल के पास से बह रही है. इससे ताजमहल की नींव में लगी साल की लकड़ी को भरपूर नमी मिल रही है. इससे नींव को मजबूती मिली है.
जांच टीमें ने रिसाव को लेकर ये जताई आशंका : एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने बताया कि सभी स्मारकों पर टीमें लगाकर नुकसान और रिसाव की जांच कराई है. सभी स्मारकों में नमी की वजह से पानी टपकने की जानकारी मिली है. जांच टीम को आशंका है कि ताजमहल के मुख्य मकबरे में चोटी पर लगे पीतल के कलश के सहारे सहारे पानी आया है. पीतल के कलश लगाने में लोहो के ज्वॉइंटस में लगे हैं. इनमें जंग लगने की आशंका है. जंग से धातु फूलती है. जिसकी वजह से पत्थर में क्रेक आने की भी आशंका है.
इसके साथ ही ये भी आशंका है कि, कलश के पास कोई पत्थर क्रेक हो. इससे ही धीरे धीरे पानी रिसकर टपका हो. अब सतह सूखने पर ग्राउटिंग और पैकिंग की जाएगी. अभी मुख्य मकबरे में नमी है. इसे खत्म होने में समय लगेगा. इसके साथ ही सभी स्मारकों पर नजर रखी जा रही है. किसी भी स्मारक की छत पर पानी रुके नहीं. इसके लिए नालियां साफ कराईं हैं. स्मारकों में गिरे पेड़ों को काटकर हटाया गया है. ताजमहल के गार्डन में भरा पानी निकल गया है. फतेहपुर सीकरी, रामबाग, बेबीताज में गिरी दीवारों के मलबे को हटाने का काम किया जा रहा है.
तीन दिन में सबसे अधिक बारिश : आगरा की बात करें तो सितंबर माह में बारिश का नया रिकार्ड कायम हुआ है. सन 2021 के बाद आगरा में इस साल सितंबर माह में जमकर बारिश हुई. इस माह में 365.4 मिली मीटर बारिश रिकार्ड हुई है. इमसें तीन दिन में आगरा में 222 मिली मीटर बारिश हुई है. जिले में इस सीजन में 1035.25 मिलीमीटर बारिश हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक आगरा में मंगलवार को 13 एमएम, बुधवार को 150 और गुरुवार को 58 एमएम बारिश रिकार्ड हुई.
साल दर साल ऐसे बरसे बदरा : साल 2021 में 822.9 एमएम बारिश हुई. इसी तरह साल 2022 में 1035.53 एमएम, 2023 में 591.93 एमएम, 2024 में 1035.25 एमएम बारिश हुई. इसी तरह साल 2021 में सितंबर महीने में 96.4 एमएम बारिश हुई. इसी तरह 2022 में 194.95 एमएम, 2023 में 88.70 एमएम, 2024 में 353.5 एमएम बारिश हुई थी.
इस बार सितंबर में हुई इतनी बारिश : कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के आंकड़ों के अनुसार 03 सितंबर को 53.0 एमएम बारिश हुई. इसी कड़ी में 08 सितंबर को 21.0 एमएम, 10 सितंबर को 30.75 एमएम, 11 सितंबर को 38.75 एमएम, 12 सितंबर को 201.00 एमएम, 13 सितंबर को 09.00 एमएम बारिश हुई. इस महीने अब तक कुल 353.5 एमएम बारिश हुई.
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