मुंबई : मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पिछले कई महीनों से मराठा नेता मनोज जडांगे पाटिल आंदोलन कर रहे थे. आखिरकार आंदोलन सफल हो गया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जारांगे पाटिल की सभी मांगें माने जाने की घोषणा करते उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज (मराठा आरक्षण अध्यादेश) सौंपा दिया है.
इसी बीच वकील गुणरत्न सदावर्ते ने इस अध्यादेश के खिलाफ अदालत में जाने की तैयारी में हैं. मुंबई में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मनोज जारांगे पाटिल का आंदोलन एक स्टंट था, क्योंकि सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है, उसमें सब कुछ पुराना है. संविधान में वही पाया जा सकता है जो सही है. हम संविधान में दिए गए फैसले को कैसे चुनौती दे सकते हैं? अतः इस अध्यादेश से पराजित होने का कोई कारण नहीं है. धैर्य रखें हम इस अध्यादेश के खिलाफ कोर्ट जाएंगे और सोमवार को प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.
उन्होंने आगे कहा कि डॉ. जयश्री पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बीच कोर्ट में चल रही लड़ाई पर भी काफी कुछ लिखा जा चुका है. मैंने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है.' इस तरह का निर्णय लेते समय वर्तमान स्थिति की जानकारी हाईकोर्ट को देनी होती है. आरक्षण पर विचार करते समय उस मोर्चे पर बहुमत किसका है, यह सही है या गलत? यह स्पष्ट रूप से कहा गया है.
मराठा समुदाय कितने प्रतिशत हैं? इसमें कितने क्लास वन अधिकारी हैं? इन सभी बातों पर विचार करना होगा. जब ऐसी व्यवस्था हो जहां मंत्रियों का प्रतिशत कुछ भी हो. मैं किसी भी हालत में ओबीसी ओपन कैटेगरी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा.
मराठों को कुनबी के रूप में प्रमाणित नहीं किया जा सकता है. सबसे पहले मैं ये कहना चाहता हूं कि मनोज जारांगे पाटिल ने कोर्ट की अवमानना की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान जिस तरह से आंदोलन किया गया है. सदावर्ते ने यह भी कहा है कि उनकी मंशा के कारण परेशानी हुई. सरकार के झुकने का सवाल ही नहीं है. मौके पर सदावर्ते ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की भी कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा, राज ठाकरे की क्या जिम्मेदारी है? उनकी पृष्ठभूमि क्या है? मुझे ये कहने की जरूरत नहीं है.