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केरल का यह घर साल भर मनाता है ओणम, हर रोज बिछाए जाते हैं फूलों के कालीन - Onam Tradition Ayancheri Kovilakam - ONAM TRADITION AYANCHERI KOVILAKAM

Onam Tradition at Ayancheri Kovilakam: ओणम फूलों, समृद्धि और परंपरा का त्योहार है जब मलयाली घरों के आंगनों में पूकलम यानी की फूलों के कालीन सजते हैं. हालांकि, पुरामेरी में वडकारा के पास एक ऐतिहासिक निवास अयनचेरी कोविलकम में यह परंपरा ओणम के मौसम तक ही सीमित नहीं है. इसे साल के हर दिन मनाया जाता है.

Onam Tradition
उदयवर्मा राजा और उनका परिवार और फूलों का कालीन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 9, 2024, 7:00 PM IST

कोझिकोड: केरल में ओणम फूलों, समृद्धि और परंपरा का त्योहार है. इस फेस्टिवल पर मलयाली घरों के आंगन में फूलों के कालीन (पूकलम) सजते हैं. हालांकि, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पुरामेरी में वडकारा के पास एक ऐतिहासिक निवास, अयनचेरी कोविलकम में यह परंपरा केवल ओणम के मौसम तक ही सीमित नहीं है. इसे साल के हर एक दिन मनाया जाता है.

अयनचेरी कोविलकम में हर रोज मनाया जाता है ओणम
अयनचेरी कोविलकम, प्राचीन कदथानाडु राजवंश के उदयवर्मा राजा और उनकी पत्नी वत्सलथमपुरट्टी का घर है. यहां 80 से अधिक सालों से, प्रतिदिन फूलों का कालीन बिछाने की प्रथा का पालन किया जाता रहा है. इसकी शुरुआत उदयवर्मा राजा की मां उमामहेश्वरी तंबुराट्टी से हुई. जिन्होंने नीलेश्वरम, कासरगोड में अपने परिवार से यह परंपरा लाई थी. मूल रूप से परिवार के पवित्र दीपक के पास रखा जाने वाला फूलों का कालीन अब एक निरंतर अनुष्ठान बन गया है, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है. यह ठीक वैसे ही है जैसे ओणम त्योहार मनाते हुए केरल के लोगों के अंदर की भावनाएं जागृत होती हैं.

ईटीवी भारत ने जब कोविलकम का दौरा किया तो पाया कि यहां हमेशा की तरह फूलों का कालीन बिछा हुआ था, जिसमें पूरी तरह खिले हुए देसी फूल थे. टीम ने एक पड़ोसी, किझाक्केप्पोइल केसी मुरली से मुलाकात की, जिन्हें परिवार की अनुपस्थिति में परंपरा को बनाए रखने का जिम्मा सौंपा गया है.

स्थानीय फूलों से पूकलम होता है तैयार
मुरली ने ईटीवी भारत बताया कि, "उदयवर्मा राजा और वत्सलथमपुरट्टी वर्तमान में चेन्नई में अपने बेटे के साथ रह रहे हैं और जाने से पहले, उन्होंने मुझे यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फूलों का कालीन बिना किसी चूक के प्रत्येक दिन बिछाया जाए. उन्होंने कहा कि, हर सुबह सात बजे वह स्थानीय फूलों से पूकलम तैयार करता हैं. उसके बाद एक तस्वीर लेते हैं और सबूत के तौर पर उन्हें (उदयवर्मा राजा) भेजते हैं.

फूलों के कालीन बनाने की प्रथा अस्सी साल पहले शुरू हुई थी
चेन्नई में परिवार से संपर्क करने पर, श्रीमती वत्सलथमपुरट्टी ने परंपरा को जारी रखने की पुष्टि की. उन्होंने बताया, "फूलों के कालीन बनाने की प्रथा अस्सी साल पहले मेरी सास के साथ शुरू हुई थी और तब से हम इसे जीवित रखे हुए हैं." उन्होंने आगे कहा कि, "हमारे लिए, यह हर दिन ओणम मनाने जैसा है, जो आशा और समृद्धि का प्रतीक है." उनके बेटे, हरिशंकर वर्मा ने भी इस प्रथा को अपनाया है. चेन्नई में अपने घर में हर दिन फूलों का कालीन बनाना सुनिश्चित करते हुए, एक ऐसी विरासत को जारी रखा है जो पीढ़ियों को जोड़ती है और पूरे साल ओणम के सार को जीवित रखती है.

अयनचेरी कोविलकम में यह अनूठी परंपरा केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थायी रीति-रिवाजों की एक दिल को छू लेने वाली याद दिलाती है. जबकि दुनिया साल में एक बार ओणम मनाती है मगर यह परिवार इसे हर दिन मनाता है.

ये भी पढ़ें: Watch Video : तिरुवनंतपुरम में ओणम के लिए बंजर पहाड़ियों पर हो रही गेंदे की खेती

कोझिकोड: केरल में ओणम फूलों, समृद्धि और परंपरा का त्योहार है. इस फेस्टिवल पर मलयाली घरों के आंगन में फूलों के कालीन (पूकलम) सजते हैं. हालांकि, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पुरामेरी में वडकारा के पास एक ऐतिहासिक निवास, अयनचेरी कोविलकम में यह परंपरा केवल ओणम के मौसम तक ही सीमित नहीं है. इसे साल के हर एक दिन मनाया जाता है.

अयनचेरी कोविलकम में हर रोज मनाया जाता है ओणम
अयनचेरी कोविलकम, प्राचीन कदथानाडु राजवंश के उदयवर्मा राजा और उनकी पत्नी वत्सलथमपुरट्टी का घर है. यहां 80 से अधिक सालों से, प्रतिदिन फूलों का कालीन बिछाने की प्रथा का पालन किया जाता रहा है. इसकी शुरुआत उदयवर्मा राजा की मां उमामहेश्वरी तंबुराट्टी से हुई. जिन्होंने नीलेश्वरम, कासरगोड में अपने परिवार से यह परंपरा लाई थी. मूल रूप से परिवार के पवित्र दीपक के पास रखा जाने वाला फूलों का कालीन अब एक निरंतर अनुष्ठान बन गया है, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है. यह ठीक वैसे ही है जैसे ओणम त्योहार मनाते हुए केरल के लोगों के अंदर की भावनाएं जागृत होती हैं.

ईटीवी भारत ने जब कोविलकम का दौरा किया तो पाया कि यहां हमेशा की तरह फूलों का कालीन बिछा हुआ था, जिसमें पूरी तरह खिले हुए देसी फूल थे. टीम ने एक पड़ोसी, किझाक्केप्पोइल केसी मुरली से मुलाकात की, जिन्हें परिवार की अनुपस्थिति में परंपरा को बनाए रखने का जिम्मा सौंपा गया है.

स्थानीय फूलों से पूकलम होता है तैयार
मुरली ने ईटीवी भारत बताया कि, "उदयवर्मा राजा और वत्सलथमपुरट्टी वर्तमान में चेन्नई में अपने बेटे के साथ रह रहे हैं और जाने से पहले, उन्होंने मुझे यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फूलों का कालीन बिना किसी चूक के प्रत्येक दिन बिछाया जाए. उन्होंने कहा कि, हर सुबह सात बजे वह स्थानीय फूलों से पूकलम तैयार करता हैं. उसके बाद एक तस्वीर लेते हैं और सबूत के तौर पर उन्हें (उदयवर्मा राजा) भेजते हैं.

फूलों के कालीन बनाने की प्रथा अस्सी साल पहले शुरू हुई थी
चेन्नई में परिवार से संपर्क करने पर, श्रीमती वत्सलथमपुरट्टी ने परंपरा को जारी रखने की पुष्टि की. उन्होंने बताया, "फूलों के कालीन बनाने की प्रथा अस्सी साल पहले मेरी सास के साथ शुरू हुई थी और तब से हम इसे जीवित रखे हुए हैं." उन्होंने आगे कहा कि, "हमारे लिए, यह हर दिन ओणम मनाने जैसा है, जो आशा और समृद्धि का प्रतीक है." उनके बेटे, हरिशंकर वर्मा ने भी इस प्रथा को अपनाया है. चेन्नई में अपने घर में हर दिन फूलों का कालीन बनाना सुनिश्चित करते हुए, एक ऐसी विरासत को जारी रखा है जो पीढ़ियों को जोड़ती है और पूरे साल ओणम के सार को जीवित रखती है.

अयनचेरी कोविलकम में यह अनूठी परंपरा केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थायी रीति-रिवाजों की एक दिल को छू लेने वाली याद दिलाती है. जबकि दुनिया साल में एक बार ओणम मनाती है मगर यह परिवार इसे हर दिन मनाता है.

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