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वाहन पीयूसी मानदंडों का करें अनुपालन, तीसरे पक्ष का बीमा अनिवार्य :PUCC पर SC - SC on pucc - SC ON PUCC

Supreme Court on PUCC:सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह सुनिश्चित करने के लिए सही संतुलन बनाना होगा. वाहन प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) मानदंडों के अनुरूप रहें और साथ ही, उनका थर्ड पार्टी बीमा भी हो.

Supreme Court on PUCC
सुप्रीम कोर्ट की PUCC पर टिपण्णी (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : May 13, 2024, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार, 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. इसके परिणामस्वरूप यदि वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, तो पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलेगा.

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 और 147 के अनुसार, तीसरे पक्ष का बीमा कराना अनिवार्य है. मेहता ने कहा कि अगस्त 2017 में शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र नहीं होगा, बीमा कंपनियों द्वारा थर्ड पार्टी बीमा नहीं दिया जाएगा.

धारा 146 तीसरे पक्ष के जोखिम के खिलाफ बीमा की आवश्यकता से संबंधित है, और धारा 147 पॉलिसियों की आवश्यकताओं और दायित्व की सीमा से संबंधित है. मेहता ने कहा, 'क्या होता है, पीयूसी के अभाव में. हमारे सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. भारत सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. जिसका अर्थ है कि यदि वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलता'.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यथासंभव सख्त मानदंड लागू किए जाने चाहिए. उदाहरण के लिए यदि वाहन में पीयूसी नहीं है, तो पेट्रोल न दें. पीठ ने कहा कि यदि हां, तो कई वाहन बिना थर्ड पार्टी बीमा के रह जाते हैं. दुर्घटना की स्थिति में यह एक गंभीर समस्या है. किसी वाहन के मालिक के पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हो सकते हैं. भले ही मुकदमा डिक्री हो जाए, लेकिन अगर कोई बीमा कंपनी है, तो वह बाध्य होगी.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह सुनिश्चित करने के लिए संतुलन की आवश्यकता होगी कि वाहन पीयूसी मानदंडों के अनुरूप रहें. उनमें तीसरे पक्ष का बीमा भी हो. अगस्त 2017 के निर्देश की पृष्ठभूमि में, पीठ ने मेहता की इस दलील पर गौर किया कि बड़ी संख्या में वाहन तीसरे पक्ष का बीमा नहीं ले रहे हैं. शीर्ष अदालत ने मेहता और न्याय मित्र को समाधान निकालने की अनुमति दी, ताकि अगस्त 2017 के आदेश में उचित संशोधन किया जा सके.

सवोर्च्च अदालत ने मामले को जुलाई में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया. शीर्ष अदालत अपने 10 अगस्त, 2017 के आदेश में संशोधन की मांग करने वाली एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. इसमें कहा गया था कि कंपनियां किसी वाहन का बीमा तब तक नहीं करेंगी, जब तक कि उसके पास बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण की तारीख पर वैध पीयूसी प्रमाणपत्र न हो.

पढ़ें: 'किसी को परवाह नहीं...', ठोस कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने MCD को लगाई फटकार

नई दिल्ली: जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार, 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. इसके परिणामस्वरूप यदि वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, तो पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलेगा.

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 और 147 के अनुसार, तीसरे पक्ष का बीमा कराना अनिवार्य है. मेहता ने कहा कि अगस्त 2017 में शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र नहीं होगा, बीमा कंपनियों द्वारा थर्ड पार्टी बीमा नहीं दिया जाएगा.

धारा 146 तीसरे पक्ष के जोखिम के खिलाफ बीमा की आवश्यकता से संबंधित है, और धारा 147 पॉलिसियों की आवश्यकताओं और दायित्व की सीमा से संबंधित है. मेहता ने कहा, 'क्या होता है, पीयूसी के अभाव में. हमारे सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. भारत सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं. जिसका अर्थ है कि यदि वे दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलता'.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यथासंभव सख्त मानदंड लागू किए जाने चाहिए. उदाहरण के लिए यदि वाहन में पीयूसी नहीं है, तो पेट्रोल न दें. पीठ ने कहा कि यदि हां, तो कई वाहन बिना थर्ड पार्टी बीमा के रह जाते हैं. दुर्घटना की स्थिति में यह एक गंभीर समस्या है. किसी वाहन के मालिक के पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हो सकते हैं. भले ही मुकदमा डिक्री हो जाए, लेकिन अगर कोई बीमा कंपनी है, तो वह बाध्य होगी.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह सुनिश्चित करने के लिए संतुलन की आवश्यकता होगी कि वाहन पीयूसी मानदंडों के अनुरूप रहें. उनमें तीसरे पक्ष का बीमा भी हो. अगस्त 2017 के निर्देश की पृष्ठभूमि में, पीठ ने मेहता की इस दलील पर गौर किया कि बड़ी संख्या में वाहन तीसरे पक्ष का बीमा नहीं ले रहे हैं. शीर्ष अदालत ने मेहता और न्याय मित्र को समाधान निकालने की अनुमति दी, ताकि अगस्त 2017 के आदेश में उचित संशोधन किया जा सके.

सवोर्च्च अदालत ने मामले को जुलाई में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया. शीर्ष अदालत अपने 10 अगस्त, 2017 के आदेश में संशोधन की मांग करने वाली एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. इसमें कहा गया था कि कंपनियां किसी वाहन का बीमा तब तक नहीं करेंगी, जब तक कि उसके पास बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण की तारीख पर वैध पीयूसी प्रमाणपत्र न हो.

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