कोलकाता: आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रोफेसर और डॉक्टरों ने प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ रेप और हत्या के विरोध में और अनशन कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में मंगलवार को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन करते हुए करीब 50 प्रोफेसर और डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया.
बताया जाता है कि सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय मंगलवार सुबह सरकारी अस्पताल के विभिन्न विभागों के प्रमुखों की बैठक में लिया गया. इसी क्रम में आर.जी. कर एम.सी.एच. के साथ ही कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टर भी सामूहिक इस्तीफे की राह पर चल रहे हैं.
West Bengal: More than 50 faculty members and senior doctors of RG Kar Medical College and Hospital have submitted mass resignation pic.twitter.com/ZxSqxbmasS
— IANS (@ians_india) October 8, 2024
वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे पत्र में लिखा है कि हम, आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के हस्ताक्षरकर्ता डॉक्टर, बेहतरीन अस्पताल सेवाएं प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों ने मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता को बेहतर बनाना चुनौतीपूर्ण बना दिया है, जो कि आवश्यक है. वर्तमान में भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का स्वास्थ्य बहुत तेजी से बिगड़ रहा है.
साथ ही इस्तीफे में कहा गया है कि हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह तुरंत प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों के साथ समझौता करे. हम आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर हैं और सामूहिक इस्तीफा दे रहे हैं, क्योंकि सरकार भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों की बिगड़ती हालत से बेखबर है और अगर हालात की मांग हुई तो हम व्यक्तिगत इस्तीफा भी देंगे.
बता दें कि जूनियर डॉक्टर 10 सूत्री मांगपत्र को सामने रखते हुए आंदोलन कर रहे हैं. शुक्रवार को काम बंद करने के बाद जूनियर डॉक्टर शनिवार से आमरण अनशन पर हैं. मूसलाधार बारिश के बावजूद उनकी भूख हड़ताल जारी है. इससे पहले वरिष्ठ डॉक्टर अपने जूनियर समकक्षों के साथ खड़े थे और भूख हड़ताल का समर्थन कर रहे थे. अब आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर और डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे की राह अपना ली है. अन्य मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ डॉक्टरों के भी यही करने की संभावना है.
दुर्गा पूजा और पीजी कॉलेज की परीक्षाएं आगे होने से आशंका है क्यों कि सामूहिक इस्तीफे के कारण मेडिकल कॉलेज में समस्याएं पैदा हो सकती हैं. प्रोफेसर और डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से सेवाएं बाधित हो सकती हैं. अब सवाल यह है कि जूनियर डॉक्टरों की क्लास कौन लेगा. वहीं सामूहिक इस्तीफे के बारे में आरजी कर अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर देवव्रत बिस्वास ने कहा कि इस्तीफा देने का मतलब यह नहीं है कि मैं अस्पताल छोड़ दूंगा. इसके लिए नोटिस पीरियड होता है. ऐसा नहीं है कि हम मरीजों का इलाज नहीं करेंगे. हम ऐसा नहीं कर सकते. यह हमारा विरोध है. मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि वह आकर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों से बात करे और उनकी मांगों का तुरंत निपटारा करे.
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