पटना : बिहार में तीसरे चरण के दौरान लोकसभा की 5 सीटों पर मतदान हुए. मौसम खुशगवार रहा और उसका असर वोटिंग ट्रेंड पर भी देखने को मिला. 60% से अधिक वोटिंग बिहार में तीसरे चरण में दर्ज किया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक अररिया में मतदान हुआ और सबसे कम वोटिंग झंझारपुर में दर्ज किया गया. अररिया में 62.80 प्रतिशत, 61% मधेपुरा में, 58.20% खगड़िया में, 55.50% झंझारपुर वोटिंग दर्ज किया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी पांचों सीटों पर 60% वोटिंग दर्ज किया गया. जबकि 2019 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 61.22% वोटिंग हुए थे.
लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण संपन्न : बिहार में 60.00% पोल के साथ तीसरा चरण संपन्न हो गया. वर्ष 2019 के मुकाबले 1.22% कम हुआ मतदान. झंझारपुर लोकसभा सीट की बात करें तो NDA की ओर से यहां जेडीयू के रामप्रीत मंडल चुनाव लड़ रहे हैं. रामप्रीत मंडल झंझारपुर के मौजूदा सांसद हैं. उनका मुकाबला वीआईपी के सुमन महासेठ से है. सुमन महासेठ पूर्व विधानपार्षद हैं और विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.
अररिया में एनडीए मजबूत : अररिया में भी NDA ने अपने मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जताया है. इस सीट से बीजेपी सांसद प्रदीप सिंह फिर से ताल ठोक रहे हैं. उनके सामने हैं महागठबंधन की ओर से आरजेडी के शाहनवाज आलम. शाहनवाज आलम जोकीहाट से विधायक हैं और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. सुपौल में भी अनुभव बनाम फर्स्ट टाइमर की लड़ाई है. यहां से NDA ने जेडीयू के मौजूदा सांसद दिलेश्वर कामत पर भरोसा जताते हुए उन्हें फिर से चुनावी मैदान में उतारा है, तो महागठबंधन ने चंद्रहास चौपाल पर दांव लगाया है. सिंघेश्वर से विधायक चंद्रहास चौपाल पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
अररिया में हिन्दू-मुस्लिम वोटबैंक में डिवीजन नहीं : सुपौल लोक सभा सीट पर एनडीए और राष्ट्रीय जनता दल के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. उम्मीदवार का कोई आकर्षण नहीं दिखा. नरेंद्र मोदी का नाम, काम और चेहरे की बदौलत जदयू प्रत्याशी को वोट मिले हैं. राष्ट्रीय जनता दल के वोट बैंक में डिवीजन का नुकसान होता दिख रहा है. अररिया लोकसभा सीट पर सीधी लड़ाई है. हिंदू वोट बैंक में वहां डिवीजन नहीं हुआ है. वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी का फायदा एनडीए को होता दिख रहा है. मुस्लिम वोट बैंक में भी डिवीजन नहीं है, जिसके चलते लड़ाई वहां टक्कर की दिख रही है.
खगड़िया में मुकाबला दिलचस्प : खगड़िया लोकसभा सीट पर तो दो फर्स्ट टाइमर की दिलचस्प जंग है. यहां से NDA की ओर से एलजेपीआर ने राजेश वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजेश वर्मा सिर्फ 31 साल के हैं वहीं महागठबंधन की ओर से सीपीएम के संजय कुमार ताल ठोक रहे हैं. संजय कुमार भी पहली बार ही लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ ने कहा है कि ''अररिया लोकसभा सीट फिलहाल एनडीए के पास है. वहां 6 में से चार विधायक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास हैं. प्रदीप सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं है और ऐसे में उनकी बढ़त दिखाई दे रही है. हालांकि 7.30 लाख मुस्लिम और 2 लाख यादव वोटर वहां है. राष्ट्रीय जनता दल के शत्रुघ्न मंडल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. वह इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ रहे हैं.''
मधेपुरा में अनुभव Vs नया चेहरा : जहां तक मधेपुरा लोकसभा सीट का सवाल है तो वहां दो यादव उम्मीदवार के बीच मुकाबला है. जदयू के दिनेश चंद्र यादव अनुभवी नेता हैं और सांसद भी हैं. उनके मुकाबले अपेक्षाकृत नए चेहरे से है इंडिया गठबंधन ने राजद के टिकट पर चंद्रदीप यादव को मैदान में उतारा है. 5 लाख यादव और 3लाख मुस्लिम वोटर हैं. यादव वोट में डिवीजन होगा. ऐसे में अति पिछड़ा वोट निर्णायक होता है. 36% वोट भी उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करता है. आमतौर पर यह वोट नीतीश कुमार के साथ रहता है.
मधेपुरा में टक्कर : मधेपुरा लोकसभा सीट पर जेडीयू के मौजूदा सांसद दिनेश चंद्र यादव का मुकाबला आरजेडी के फर्स्ट टाइमर उम्मीदवार चंद्रदीप से है. दिनेश चंद्र यादव इस सीट से शरद यादव को मात दे चुके हैं तो चंद्रदीप पेशे से प्राध्यापक हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
मधेपुरा में चंद्रदीप कमजोर : मधेपुरा लोकसभा सीट पर दिनेश चंद्र यादव को लेकर मतदाताओं के बीच आक्रोश दिखाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल की ओर से नए उम्मीदवार उतारे जाने के चलते दिनेश चंद्र यादव की बढ़त दिख रही है. यादव वोट बैंक में डिवीजन होगा और अति पिछड़ा वोट बैंक भी निर्णायक होने जा रहा है. इंडिया गठबंधन के चंद्रदीप यादव उम्मीदवार परिचय के मोहताज रहे जिसका नुकसान हुआ.
खगड़िया में एनडीए को बढ़त : खगड़िया लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. दोनों ओर से नए उम्मीदवार मैदान में हैं. नरेंद्र मोदी के चेहरे और काम के बदौलत एनडीए उम्मीदवार जीत सकते हैं. इनके खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी फैक्टर फिलहाल नहीं है इसलिए कि एनडीए में नए चेहरे पर दाव लगाया है. खगड़िया लोकसभा सीट पर दोनों नए चेहरे मैदान में हैं. एनडीए के लिए यह सीट अग्नि परीक्षा की तरह है. यहां नरेंद्र मोदी और सम्राट चौधरी के चेहरे पर चुनाव हो रहे हैं. इंडिया और एनडीए दोनों गठबंधन में कुशवाहा चेहरे को मैदान में उतारा है. कुल मिलाकर आज हुए इन पांच सीटों पर एनडीए अपर हैंड दिखाई दे रहा है.
सुपौल में त्रिकोणीय लड़ाई : सुपौल लोकसभा सीट पर भी लड़ाई त्रिकोणात्मक दिख रहा है. जदयू के दिलेश्वर कामत मैदान में हैं. विजेंद्र यादव ने उनके लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. राष्ट्रीय जनता दल ने चंद्रहास चौपाल को मैदान में उतारा है लेकिन यहां भी राष्ट्रीय जनता दल का खेल निर्दलीय उम्मीदवार बैद्यनाथ महतो बिगाड़ रहे हैं. तीनों ही उम्मीदवार शिक्षित और अधिकारी वर्ग के हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि ''तीसरे चरण में सभी पांच सीटों पर एनडीए का कब्जा है. एनडीए मजबूत स्थिति में इस चरण में दिखाई दे रही है. अधिक वोटिंग होना एनडीए नेताओं के लिए खुशखबरी की तरह है.''
झंझारपुर में दिनेश चंद्र यादव अपर हैंड : झंझारपुर लोकसभा सीट की अगर बात कर लें तो एनडीए का अपर हैंड दिखाई दे रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के बागी उम्मीदवार गुलाब यादव के चलते इंडिया गठबंधन को नुकसान हो रहा है. नरेंद्र मोदी की योजना का फायदा इंडिया उम्मीदवार को मिल रहा है. कुल मिलाकर पलड़ा एनडीए उम्मीदवार का भारी दिख रहा है. फिलहाल 54 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है. 4 जून को नतीजे आएंगे. जनता ने किसके सिर जीत का हार सौंपा है ईवीएम जब खुलेगा तब पता लगेगा.
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