भोपाल। राजधानी में पहली बार एमपी के तीन लोगों को सीएए यानि नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता दी गई. इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रथम तीन आवेदकों को प्रमाण पत्र देकर उनका स्वागत किया. यह कार्यक्रम मंत्रालय परिसर में आयोजित किया गया था.
पाकिस्तान और बंगलादेश के लोगों को मिली नागरिकता
एमपी में सीएए कानून के अंतर्गत पहले आवेदक समीर सेलवानी और संजना सेलवानी को नागरिकता का प्रमाणपत्र दिया. इनके पिता पाकिस्तान में रह रहे थे. साल 2012 से ये बच्चे भारत में रह रहे हैं. इन्होंने सीएए के अंतर्गत नागरिकता के लिए मई में आवेदन किया था. तीसरी आवेदक राखी दास बांग्लादेश से हैं. इन्हें भी गुरुवार को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया.
आज मंत्रालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के अंतर्गत राज्य में पहले तीन आवेदकों को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र प्रदान कर शुभकामनाएं दीं। #DrMohanYadav #CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/Me4y27aCq2
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 27, 2024
सीएए के कारण हमारे परिवार के लोग पास आ रहे
इस अवसर पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सीएए से हमारे परिवार के लोग हमारे पास आ रहे हैं. ये अपने धर्म को बचाने के लिए अपने मूल देश में आ रहे हैं. अगर वहां ये धर्म बदल लेते तो वहीं रह सकते थे. डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा काम किया है. मध्य प्रदेश में जो भी आएगा, उन सभी का स्वागत करेंगे. मध्य प्रदेश शासन द्वारा इनकी जो जरूरतें होंगी, उसमें शासन पूरी मदद करेगा.
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सीएए अखंड भरत की याद दिलाता है
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता संबंधी कठिनाई का निराकरण कर, एक ऐसा रिश्ता पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया, जो अखण्ड भारत की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि 1947 के पहले तत्कालीन सरकार द्वारा जो निर्णय किया गया था, कि हम अपने देश में सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा और उनकी चिंता करेंगे. इस भरोसे से हिंदू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी भारत के पूर्व हिस्से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह गए थे. काल के प्रवाह में उनको भारत में आने से मना कर दिया गया. उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया और इन्हें विदेशी माना गया. जबकि ये मूल रूप से विदेशी नहीं थे. ये उस अखण्ड भारत के हिस्सा थे. ये सिर्फ तत्कालीन सरकार के भरोसे से वहां रह गए थे. बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सरकारें उनकी सुरक्षा उपलब्ध नहीं करा पा रही थी.